सीतापुर। कटिया गाँव की सुशीला वर्मा को गन्ना छिलाई में पहले काफी समय लगता था, पर अब मिनटों में गन्ने की छिलाई हो जाती है, सिर्फ गन्ना छिलाई ही नहीं सब्जी तोड़ने से लेकर बहुत से काम अब आसान हो गए हैं।
सीतापुर जिले के कई गाँवों की महिला किसानों की जिंदगी अब आसान हो गई है, कृषि विज्ञान केंद्र द्वितीय सीतापुर में आईसीएआर-कृषि तकनीकी अनुप्रयोग के माध्यम से महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
केवीके ने जिले की छह गाँव की 120 महिलाओं पर किए गए सर्वे के अनुसार यह सामने आए हैं कृषि संबंधित, फसल कटाई/तुड़ाई के बाद प्रबंधन और पशुपालन में महिला किसानों का ही मुख्य योगदान होता है। खेती में महिलाएं सबसे ज्यादा बीज बोने, पौधरोपण, निराई-गुड़ाई, सब्जियों की तुड़ाई, फसलों की कटाई/छिलाई, डंठल काटना, अनाज की उसाई-सफाई ग्रेडिंग व भंडारण का कार्य करती हैं।
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कृषि विज्ञान केन्द्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. सौरभ बताती हैं, “हमने सर्वे में पाया गया कि अगर महिलाओं की मदद की जाए तो उनका समय भी बचेगा और काम भी आसान हो जाएगा, हमने जिले की महिलाओं को ऐसे कई यंत्र दिए हैं, जिनसे उनके काम आसान हो रहे हैं।”
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 18 प्रतिशत खेतिहर परिवारों का नेतृत्व महिलाएं ही करती हैं। कृषि का कोई कार्य ऐसा नहीं है जिसमें महिलाओं की भागीदारी न हो।
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आनंद सिंह ने बताया, “महिलाओं के श्रम साध्य कृषि कार्य में श्रम को कम कर उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाकर उनके बचे हुए समय को हम धनोपार्जन की अन्य गतिविधियों में लगा सकते हैं और इस दिशा में कृषि विज्ञान केंद्र अपने स्थापना वर्ष से ही प्रयासरत है। पिछले वर्षों में फसल कटाई के लिए नवीन उन्नत दंराती का प्रदर्शन केंद्र द्वारा किया गया था, इस वर्ष अनाज की ग्रेडिंग व सफाई करने वाले हैंगिंग टाइपग्रेडर कम क्लीनर, भिंडी/सब्जी तुडाई यंत्र व गन्ने की छिलाई करने वाले यंत्र-शुगर केन स्ट्राइपर का सफल प्रदर्शन व इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया गया है।”
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केंद्र की गृह वैज्ञानिक डॉक्टर श्रीमती सौरभ ने कृषि यंत्रों के बारे में बताया,”सीतापुर में इन कृषि यंत्रों का फार्म पर परीक्षण व प्रथम पंक्ति प्रदर्शन आयोजित कर महिलाओं की कार्य क्षमता में वृद्धि व लगने वाले समय का अध्ययन किया गया।” उन्होंने आगे बताया कि हैंगिंग टाइपग्रेडर क्लीनर से औसतन 161 किलो प्रति घंटा की वृद्धि दर्ज की गई, जहां परंपरागत तरीके से अनाज को साफ करने में एक महिला औसतन 55 किलो प्रति घंटा अनाज साफ करती हैं, वहीं सफाई यंत्र का प्रयोग कर औसतन 216 किलो अनाज साफ कर सकती हैं।
गन्ना छिलाई यंत्र से बढ़ी कार्य क्षमता
गन्ना छिलाई यंत्र से गन्ने की पत्तियों व जड़ों की छिलाई के प्रदर्शन में उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुए। इस यंत्र की मदद से कार्य क्षमता लगभग 20 किलो प्रति घंटा बढ़ गई और दंराती से गन्ना छिलाई में चोट लगने के डर भी नहीं है। आने वाले समय में केवीके महिलाओं के लिए उपयोगी अन्य कृषि यंत्रों व उपकरणों का परीक्षण विभिन्न कृषि क्रियाकलापों में उनके श्रम को कम कर क्षमता बढ़ाने और क्षमता की बचत कर उस समय को अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में लगाने के लिए प्रयासरत रहेगा।
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सब्जी तुड़ाई यंत्र का बताया प्रयोग
सब्जियों की तुड़ाई करते समय हाथों में खुजली, दंराती का प्रयोग करने पर चोट लगना, नाखूनों में दर्द आदि का परेशानियों का अनुभव महिला किसान करती हैं, इन परेशानियों से छुटकारा दिलाने के लिए केवीके कटिया ने सब्जी तुडाई यंत्र का प्रयोग भिंडी की तुड़ाई में करवाया, जिससे भिंडी की तुड़ाई में कार्य क्षमता लगभग 40 प्रतिशत बढ़ गई, औसतन सात किलोप्रति घंटा भिंडी की तुड़ाई हुई और खुजली आदि समस्याओं से भी छुटकारा मिल गया।
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