हमारी और आपकी जिंदगी में मिठास घोलने वाले गन्ना किसानों की जिंदगी कसैली हो रही है। चीनी मिलों के लेटलतीफ भुगतान और घटतौली के चलते गन्ना बेल्ट के किसान काफी परेशान हैं।
लखनऊ/शामली/मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान समय पर भुगतान न होने और मिलों और कांटों पर होने वाली घटतौली से परेशान हैं। यूपी सरकार की सख्ती के बाद कई मिलों ने पुराना भुगतान कर दिया है और नए सत्र में भी तय समय पर भुगतान कर रही हैं लेकिन काफी मिलें ऐसी हैं जहां से किसानों को पैसा काफी देरी से मिल रहा है। हालांकि गन्ने के गढ़ मेरठ में योगी आदित्यनाथ ने कहा 30 जनवरी तक गन्ना किसानों को पूरा भुगतान कराया जाएगा और ये बाकी 14 दिन के अंदर पहुंचने का सिलसिला जारी रहेगा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश को चीनी और गुड़ खिलाने वाले उत्तर प्रदेश में 33 लाख गन्ना किसान हैं। प्रदेश सरकार के गन्ना विभाग के मुताबिक, पहली बार ऐसा हुआ है जब 14 दिन के अंदर किसानों को 28 लाख 76 हजार रुपए का भुगतान हुआ है, जबकि दूसरी तरफ सैकड़ों किसानों का आरोप है कि उनका पिछले साल तक का भुगतान नहीं हुआ है।
शामली जिले में सिलावर गाँव के रहने वाले अमित तरार बताते हैं, “ये (शामली) गन्ना मंत्री का इलाका है, लेकिन यहां भी कई किसानों का पिछले साल का भुगतान बाकी है। इस बार ढाई महीने से ज्यादा वक्त शामली मिल को चले हो गए, लेकिन पैसा सिर्फ कुछ ही पर्चियों का आया है।” अमित की तरह शामली के ही बनत गाँव के देशपाल सिंह और सतेंद्र चौधरी भी चालू सीजन में मिल से पैसे आने की राह देख रहे हैं।
22 बीघे गन्ने के काश्तकार सतेंद्र चौधरी बताते हैं, “पिछले साल का पैसा किसी तरह मिल गया, लेकिन इस सीजन में 15 दिन का सिर्फ 10 हजार रुपए मिला है।“ आगे कहा, “जब सुरेश राणा जी गन्ना मंत्री नहीं थे, खुद किसानों की इन्हीं समस्याओं के लिए प्रदर्शन करते थे, और अब वो सुध नहीं ले रहे। बहुत नुकसान हो रहा है, किसान तो समझो मर लिया (अपनी जुबान में कहते हैं)। इतना ही नहीं, किसान की दूसरी सबसे बड़ी समस्या घटतौली है।“
यह भी पढ़ें: गन्ना माफिया की चांदी, उठा रहे किसानों की मजबूरी का फायदा
पीएम मोदी ने भी कहा था, यूपी में गन्ने की घटतौली होती है
ये समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूपी की एक रैली से लगाया जा सकता है। 24 फरवरी 2017 को बीजेपी की रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था, “यूपी में गन्ने की घटतौली होती है। किसान को आधा वहीं मार दिया जाता है। गन्ना ले लेंगे, लेकिन तौल का हिसाब बाद में देंगे। कांटों पर भी चोरी होती है।“ इस दौरान उन्होंने किसानों को पूर्ण भुगतान और घटतौली रोकने का वादा भी किया था, लेकिन 11 महीने बाद भी हालात ज्यादा नहीं बदले।
गन्ना तौल में आदेश का पालन ज्यादातर जगह नहीं हुआ
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की बहुत वर्षों से यह शिकायत है कि चीनी मिलों के जरिए गन्ना तौलने में गड़बड़ी की जाती है। इस पर रोक लगाने के लिए गन्ना किसान मांग कर रहे थे। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार गन्ना तौलने की पूरी प्रक्रिया का मैन्युअल की जगह कंप्यूराइज्ड करने का आदेश जारी कर दिया था। प्रदेश के सभी चीनी मिलों के गेट पर कम से कम 10 टन की क्षमता का कंप्यूराइज्ड कांटा लगाने का आदेश दिया गया था। गन्ना तौलने में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके, इसके लिए गन्ना लिपिकों को लाइसेंस जारी करते हुए यह सुनिश्चित किया गया था कि गन्ना तौलने में ऐसे किसी कर्मचारी को नहीं तैनात किया जाएगा, जो पूर्व में गलत गन्ना तौलने में दंडित हुआ हो, लेकिन इस आदेश का पालन अधिकतर जगह नहीं हुआ।
दौराला और डूंगरपुर (मेरठ) में शिकायतकर्ता और किसानों पर ही धारा 307 के तहत रिपोर्ट कराई गई है। एक क्विंटल पर 2 किलो कम तौल को तो आप समझिए, गन्ना किसानों ने कांटा वालों को अनुमति ही दे रखी है, लेकिन ये औसतन 4 से 10 फीसदी तक घटतौली कर रहे हैं। गन्ना विभाग निरंकुश हो गया है। इस वक्त किसान का बहुत शोषण हो रहा है।
डॉ. राजकुमार सांगवान, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य, राष्ट्रीय लोकदल
किसान का बहुत शोषण हो रहा
राष्ट्रीय लोकदल में प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य और गन्ना किसानों को लेकर आवाज उठाने वाले डॉ. राजकुमार सांगवान कहते हैं, “गन्ना किसानों के हालात और बदतर हुए हैं। घटतौली रोकना तो दूर शिकायत और जांच करने वालों पर कार्रवाई हो रही है।“ आगे कहा, “दौराला और डूंगरपुर (मेरठ) में शिकायतकर्ता और किसानों पर ही धारा 307 के तहत रिपोर्ट कराई गई है। एक क्विंटल पर 2 किलो कम तौल को तो आप समझिए, गन्ना किसानों ने कांटा वालों को अनुमति ही दे रखी है, लेकिन ये औसतन 4 से 10 फीसदी तक घटतौली कर रहे हैं। गन्ना विभाग निरंकुश हो गया है। इस वक्त किसान का बहुत शोषण हो रहा है।”
यह भी पढ़ें: उप्र : 28 लाख गन्ना किसानों को भुगतान 14 दिनों के अंदर
स्टिंग ऑपरेशन में हुआ गन्ना तौल का खुलासा
किसान और किसान नेताओं के मुताबिक, लगभग हर तौल सेंटर पर किसानों का गन्ना कम तौलकर उन्हें सैकड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। गाँव कनेक्शन लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा है। दो वर्ष पहले शामली के कई तौल सेंटर पर जाकर किसानों की घटलौती की समस्या को उठाया था। समाचार चैनल एबीपी न्यूज ने पश्चिमी यूपी में गन्ने की घटतौली को लेकर खास रिपोर्ट में कहा है कि प्रदेश में 2-4 फीसदी की घटतौली हो रही है, जिससे करीब एक हजार 54 करोड़ का नुकसान के साथ घोटाला किया जा रहा है। चैनल ने मेरठ, बिजनौर और शामली में स्टिंग ऑपरेशन और खुद तौल और मिलों पर जाकर इसकी पड़ताल की है।
पूरे देश में धर्मकांटे की तौल पर कारोबार होता है, लेकिन मिल मालिक उसकी पर्ची को नहीं मानते। हम लोगों ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया था, जिसके मुताबिक एक मिल से एक धर्मकांटे को अटैच कर दिया जाए, लेकिन सरकार ने वो भी नहीं माना।
राकेश टिकैत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन
माना कि घटतौली होती है और हर जगह होती है
चैनल ने बिजनौर जिले के किसान के उदाहरण देते हुए दिखाया है। दीपक की ट्राली का वजन पहले धर्मकांटे पर कराया गया, जिसमें वजन 75.5 किलो निकला, जबकि वेब चीनी मिल पर इसमें एक कुंटल 85 किलो गन्ना कम निकला। यूपी में गन्ने का रेट 315 रुपए प्रति कुंटल है, इसके मुताबिक करीब 582 रुपए का नुकसान हुआ। यहां एक और गौर करने वाली बात है कि धर्मकांटा वाले दीपक को कोई पर्ची नहीं दी और तर्क में कहा कि माप-तौल विभाग ने ही किसी किसान को पर्ची देने से मना किया है। चैनल पर एक कांटा इंचार्ज ने खुद माना कि वो घटतौली करता है और हर जगह होती है।
मुझे इस रिपोर्ट को करने में करीब 20 दिन लगे। मुझे हर जगह अनियमितता मिली। गन्ना एक नियंत्रित कमोडिटी है, यानि इसे सरकारी तौर पर कहां बेचा जाना है, ये सरकार ने तय कर रखा है। ऐसे में किसान ज्यादा मिल के खिलाफ बोलते नहीं, क्योंकि फिर उन्हें पर्ची मिलने में दिक्कत हो सकती है, ये पेट्रोल पंप की घटतौली की तरह का ही नियंत्रित घोटाला है।
रक्षित सिंह, संवाददाता, एबीपी न्यूज
यह भी पढ़ें: खेत-खलिहान : आखिर गुस्से में क्यों हैं गन्ना किसान
ज्यादातर किसान जांच-पड़ताल को राजी नहीं होते
एबीपी न्यूज के संवाददाता रक्षित सिंह के मुताबिक, ये बहुत बड़ा घोटाला है, समस्या है कि ज्यादातर किसान जांच-पड़ताल को राजी नहीं होते क्योंकि उन्हें दोबारा उसी मिल से डील करनी है। रक्षित कहते हैं, “मुझे इस रिपोर्ट को करने में करीब 20 दिन लगे। मुझे हर जगह अनियमितता मिली। गन्ना एक नियंत्रित कमोडिटी है, यानि इसे सरकारी तौर पर कहां बेचा जाना है, ये सरकार ने तय कर रखा है। ऐसे में किसान ज्यादा मिल के खिलाफ बोलते नहीं, क्योंकि फिर उन्हें पर्ची मिलने में दिक्कत हो सकती है, ये पेट्रोल पंप की घटतौली की तरह का ही नियंत्रित घोटाला है।“
अभी भी करोड़ों रुपए बाकी
पुराने बकाए का जिक्र करते हुए प्रमोद अहलावत बताते हैं, “मलकपुर (बागपत) और मोदी नगर (गाजियाबाद) पर अभी भी करोड़ों रुपए बाकी हैं।“ शामली के देशपाल सिंह कहते हैं, “शामली मिल पर मेरा करीब एक लाख रुपए बाकी है। ऐसी स्थिति में बच्चों को पढ़ाना मुश्किल है।“ हालांकि घटलौती की बात पर वो कहते हैं, “चीनी मिलों के अंदर तो फिर हाल ठीक है, लेकिन जो गाँवों में सेटर लगे हैं, वहां और भी कम तौला जाता है।“
गन्ना घटलौती पर अंकुश लगा दिया गया है। एक दो जगहों पर शिकायतें मिली हैं, उन पर कार्रवाई हुई है।
सुरेश राणा, गन्ना मंत्री, यूपी