यूपी: बीज ग्राम योजना के अंतर्गत गेहूं-धान के बीजों पर मिलेगा ज्यादा अनुदान, योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी

यूपी में किसानों को धान के बीज पर प्रति कुंटल 250 रुपए और गेहूं के बीज पर 400 रुपए प्रति कुंतल का अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 से आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बीज ग्राम योजना में अतिरिक्त अनुदान को मंजूरी दी है।
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लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश में अब किसानों को धान और गेहूं के सरकारी बीज खरीदने पर ज्यादा अनुदान मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने बीज ग्राम योजना में अतिरिक्त अनुदान को मंजूरी दे दी है। योजना के अंतर्गत किसानों को धान के बीज पर 250 रुपए प्रति कुंतल और गेहूं के बीज पर 400 रुपये प्रति कुन्तल का अतिरिक्त अनुदान मिलेगा, जिसका वहन यूपी सरकार करेगी।

बीज ग्राम योजना के अंतर्गत गेहूं और धान के बीज मूल्य पर अन्य केन्द्रीय योजनाओं की तुलना में कम अनुदान मिलता था। यूपी सरकार अब अन्य योजनाओं की तुलना में मिलने वाले कम अनुदान की भरपाई खुद से करेगी। मंत्रिपरिषद ने सोमवार (16 अगस्त) को चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 से आगामी वित्तीय वर्ष हेतु बीज ग्राम योजनान्तर्गत गेहूं एवं धान के बीज पर अन्य केन्द्रीय योजनाओं के समतुल्य अनुदान की धनराशि दिये जाने के लिए प्रदेश सरकार के विशेष अनुदान की नयी व्यवस्था के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

बीज ग्राम योजना के अन्तर्गत धान एवं गेहूं के बीजों के वितरण पर मूल्य का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 1,750 रुपये प्रति कुन्तल धान पर एवं 1,600 रुपये प्रति कुन्तल गेहूं पर अनुदान था। जबकि इसी तरह की अन्य योजनाओं में किसानों को अधिकतम 2000 रुपए प्रति कुंतल तक का अनुदान मिलता था। लेकिन अब बीज ग्राम योजना में भी अधिकतम 2000 रुपए प्रति कुंतल का अनुदान मिल सकेगा।

उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग में अतिरिक्त कृषि निदेशक (बीज और फॉर्म) डॉ. एसबी सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, “ये भारत सरकार द्वारा पोषित योजना है, जिसमें किसान को एक एकड़ खेत के लिए अनुदान (सब्सिडी पर) बीज दिया जाता है। इस योजना में अन्य सब्सिडी वाले बीज की तुलना में कम अनुदान था, किसानों को ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त अनुदान की व्वयस्था राज्य के बजट से की है। ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान सर्टिफाइड (प्रमाणित) का इस्तेमाल करें।”

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बेहतर और गुणवत्ता युक्त उत्पादन, किसानों की आमदनी को बढ़ाने, उन्नत बीजों को किसानों तक पहुंचाने वाली योजनाओं में केंद्र सरकार की बीज ग्राम योजना भी शामिल है। केन्द्र पोषित योजनाओं यथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, पूर्वी भारत में हरित क्रान्ति के विस्तार की योजना, एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत किसानों को धान और गेहूं के बीज अनुदान पर दिए जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश में औसतन हर साल 58 से 60 लाख हेक्टेयर में धान (खरीफ) और 98 से 99 लाख हेक्टेयर में गेहूं (रबी) की खेती होती है। पंजाब-हरियाणा समेत कई  राज्यों की तुलना में प्रदेश में गेहूं-धान की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम है। इसलिए प्रदेश में गुणवत्ता युक्त बीज और तकनीकी की अवश्यकता पर जोर दिए जाने की जरुरत है।

डॉ. एसबी सिंह आगे बताते हैं, “उत्तर प्रदेश में करीब 8 लाख कुंतल बीज (फाउंडेशन और प्रमाणित) हर साल सब्सिडी पर दिया जाता है। जबकि 50 हजार कुंतल क्वालिटी (गुणवत्ता) वाला बीज इस्तेमाल होता है। इसमें प्राइवेट सेक्टर का बीज भी शामिल है। देश में ज्यादातर किसान अपना बीज इस्तेमाल करते हैं। 10-20 फीसदी फाउंडेशन या प्रमाणित बीज सरकार या प्राइवेट से खरीदता है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सब्सिडी पर अच्छा बीज दिया जाता है। उसके उगाने के तरीके बताए जाते हैं ताकि एक बार लगाने के बाद किसान न सिर्फ अपने बाकी खेतों में उसे उगाए बल्कि दूसरे किसानों को भी अच्छे बीज दे सके।”

बीज ग्राम योजना से किसानों का कैसे फायदा मिलता है? इस बारे में पूछने पर यूपी में बाराबंकी जिले के जिला कृषि अधिकारी संजीव कुमार बताते हैं, “योजना को किसानों तक पहुंचाने के लिए न्याय पंचायत स्तर (कुछ ग्राम पंचायतों का समूह) पर टेक्निकल असिस्टेंट (प्राविधिक सहायक) हैं। उनको हर साल टार्गेट दिया जाता है फिर वो गांव के स्तर पर किसानों का चयन कर उन्हें बीज दिलवाने से लेकर बुआई और फसल पैदा होने तक तकनीकी मदद करते हैं। किसानों को बीज खाद की बारीकियां सिखाई जाती हैं।”

यूपी सरकार ने अपने बयान में कहा कि कम अनुदान मिलने से किसान इस योजना की तरफ कम ध्यान देते थे, लेकिन सब्सिडी बढ़ने से ज्यादा किसान इस तरफ आकर्षित होंगे और केंद्र सरकार से आवंटित धनराशि का भी शत-प्रतिशत उपयोग हो पाएगा।

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