लखनऊ। जो चना किसानों के साथ हुआ वही अब सोयाबीन के किसानों के साथ होने वाला है। सोयाबीन का रकबा इस साल अभी से 10 फीसदी तक बढ़ गया है। ऐसे मेंआशंका जाहिर की जा रही है कि फसल आते-आते बाजार में इसकी कीमतें तेजी से गिरेंगी।
वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश की मंडियों में जिस चने की कीमत 5931 रुपए प्रति कुंतल थी, वो इस बार 3446 रुपए पर आ गई। कीमतों में लगभग 42 फीसदी तक गिरावट आई है। बोनस सहित चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4400 रुपए है।
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल देश में चने का कुल उत्पादन 1100 लाख कुंतल हुआ है, जबकि सरकार ने खरीद का लक्ष्य महज 424.4 लाख कुंतल रखा है। बाकी का बचा हुआ चना खुले बाजार में बिकेगा, जहां किसानों से मनमानी रेट वसूला जाएगा।
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जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक और कृषि मामले के जानकर अविक शाह कहते हैं, “किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये प्रति कुंतल लगभग 1100 रुपए तक नुकसान बैठ रहा है। इसके लिए सरकार ही दोषी है और अब सोयाबीन के साथ भी ऐसा होगा। किसान सोयाबीन पर लग गए हैं, रकबा अभी से बढ़ गया है। मुश्किल ही है कि सही कीमत मिल पाए।”
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक देश में सोयाबीन का रकबा पिछले साल की अपेक्षा 10 फीसदी बढ़कर 94 लाख हेक्टेयर पहुंच गया। खरीफ सीजन में सोयाबीन का सामान्य रकबा 112.51 लाख हेक्टेयर है जिसमें से औसतन 94.21 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई होती है। ऐसे में सोयाबीन का रकबा बढ़ना किसानों के लिए सिरदर्द साबित होने वाला है। चना इसका जीता-जागता उदाहरण है। और अभी तो बस रकबा बढ़ने की खबर ही आई है, और बाजार में इसका साइड इफेक्ट अभी से दिखने लगा है।
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रकबा बढ़ने से वायदा बाजार एनसीडीईएक्स में सोयाबीन का दाम तेजी से घट रहा है। पिछले एक महीने में दाम गिरकर 3393 रुपए (08 अगस्त के अनुसार) प्रति कुंतल तक आ गया है, जोकि पिछले महीने इसी समय 3509 प्रति कुंतल था। इस बारे में कमोडिटीज में काम करने वाले इंदौर के हरीश पालिया कहते हैं, “तिलहन कारोबारी पिछले महीने तक जमकर खरीदारी कर रहे थे, लेकिन जैसे ही रकबा बढ़ने की खबर आई, मांग अचानक से रुक गई। पैदावार भी बंपर होने की उम्मीद है, ऐसे में कीमतें घटेंगी।”
सोयाबीन की सबसे ज्यादा पैदावार मध्य प्रदेश में होती है। वहां के सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल अभी तक 44.41 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हो रही है जो पिछले साल इसी समय 40.12 लाख हेक्टेयर थी। कुल तिलहन फसलों की बुआई का हिसाब देखें तो मध्य प्रदेश में 46.47 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुआई हुई है जबकि पिछले साल राज्य में 19 जुलाई तक राज्य में तिलहन फसलों की बुआई 44.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी।
किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये प्रति कुंतल लगभग 1100 रुपए तक नुकसान बैठ रहा है। इसके लिए सरकार ही दोषी है और अब सोयाबीन के साथ भी ऐसा होगा। किसान सोयाबीन पर लग गए हैं, रकबा अभी से बढ़ गया है। मुश्किल ही है कि किसानों को सही कीमत मिल पाए। – अविक शाह, कृषि मामले के जानकर
केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के खरीफ विपणन सत्र के लिये सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,399 रुपए प्रति कुंतल तय किया है। यह कीमत पिछले सत्र के मुकाबले करीब 11.5 प्रतिशत अधिक है लेकिन सरकार कितनी उपज खरीदेगी, इस पर कोई बात नहीं हुई है।
मध्य प्रदेश, राजगढ़ के गाँव पचौरा में सोयाबीन की खेती करने वाले किसान राघवेंद्र बताते हैं, “मैं तो 15 एकड़ में सोयाबीन की खेती कर रहा हूं। इस बार तो अभी भावांतर की भी कोई खबर नहीं है। मेरे आप-पास के किसानों ने इस बार सोयाबीन का रकबा बढ़ा दिया है। समाचार में पढ़ा था कि प्रदेश में अभी से रकबा बढ़ गया है। चना के साथ भी ऐसा हुआ था, तब किसान बहुत परेशान थे। अब देखते हैं, हमारे साथ क्या होता है।”
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मोलतोल डॉट इन के वरिष्ठ पत्रकार कमल शर्मा कहते हैं, “रकबा बढ़ने से असर तो पड़ेगा ही। ज्यादा आवक होने से दाम नीचे आएगा। इसका असर किसानों पर भी पड़ेगा। उत्पादन ज्यादा होने से उचित दाम मिले, ये मुश्किल होगा। हालांकि ये सूरत बदल भी सकती है। चीन इस साल भारत से सोयाबीन आयात करने की बात कर रहा है। अगर ये संभव हुआ तभी दाम बढ़ेंगे। वरना सोयाबीन की स्थिति चने की तरह ही होगी।”
महाराष्ट्र में 19 जुलाई तक 32.12 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 30 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। राज्य में सोयाबीन का औसत रकबा 26.80 लाख हेक्टेयर एवं सामान्य रकबा 35.84 लाख हेक्टेयर है। वहीं राजस्थान में सोयाबीन की बुआई 9.45 लाख हेक्टेयर में हुई। पिछले साल इस अवधि तक राज्य में 7.86 लाख हेक्टेयर में सोयबीन की बुआई हुई थी।