उत्तर भारत में बदला मौसम का मिजाज, यूपी के कई जिलों में बारिश से किसानों के चेहरे मुरझाए

Heavy rain

लखनऊ। उत्तर भारत में मौसम ने करवट ली है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में देर रात से शुरु हुआ बारिश का सिललिसा दिन में भी झारी है। इस बारिश से आलू, मसूर, सरसों समेत कई फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।

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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, सीतापुर, लखनऊ, कन्नौज समेत कई जिलों में देर रात से ही बारिश का दौरा शरु हो गया था जो अब तक जारी है। कन्नौज में रुक-रुक कर बारिश हुई है तो बाराबंकी में झमाझम बारिश की हुई है। मौसम की इस बेरुखी से किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। मंदी की मार झेल रहे आलू किसानों की बेमौसम बारिश ने कमर तोड़ दी है। बाराबंकी में बेलहरा के किसान वीरेंद्र सिंह ने फोन पर बताया, सुबह से बहुत तेज बारिश हो रही है। हजारों कुंटल आलू खेतों में पड़ा है वो सब सड़ जाएगा, थोड़ी और ज्यादा बारिश हुई तो खेतों में खुदने को बाकी रह गया आलू भी सड़ जाएगा।”

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बारिश से आलू के साथ सरसों और दलहनी फसलों को नुकसान हो सकता है, जबकि गेहूं में फंगस लगने का खतरा बढ़ गया है। मौसम विभाग की चेतावनी पर कृषि वैज्ञानिकों ने पहले ही किसानों के लिए चेतावनी जारी की थी। मौसम की जानकारी देने वाली संस्था स्काई मेट ने 10 मार्च से उत्तर भारत में प्री मानसून से बारिश की आशंका जताई थी।

कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की थी चेतावनी

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. राजेन्द्र कुमार ने बताया ” भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान और उपग्रहों से प्राप्त चित्रों के विशलेषण के आधार पर यह जानकारी मिली है। इस सप्ताह किसान किसी भी फसल की सिंचाई न करें और बरसात से होने वाली संभावित हानि से बचने के लिए तैयार फसल को काटकर सुरक्षित रख लें। ‘

उन्होंने बताया कि मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह की बैठक में मौमम विज्ञान विभाग अमौसी लखनऊ के निदेशक, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्विविद्यालय कानपुर के तिलहन वैज्ञानिक, नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद के मौसम वैज्ञानिक, दलहन वैज्ञानिक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक, कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, रेशम और दूसरे कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

इस बैठक में बताया गया कि सप्ताह के शुरूआती चार दिनों में 6 से लेकर 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी और बरसात भी होगी। दिन में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में 2 से लेकर 3 डिग्री सेंटीग्रेड कम हरने की संभावना है। इसको देखेत हुए गेहूं किसानों को सलाह दी गई है कि गेहूं की खेत में किसान टाप ड्रेसिंग न करें। नमी का फायदा उठाकार गेहूं के पौधे में गेरूई, पत्ती धब्बा रोग बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजेाल 25 प्रतिशत ईसी की 500 मिली लीटर को 750 लीटर पानी में घोलकर आसमान साफ होने की स्थिति में छिड़काव करने का कहा गया है

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