होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)। होशंगाबाद के ढाबाकुर्द गाँव के किसान प्रतीक शर्मा जैविक तरीके से खेती करते हैं और ये अपनी फसल को मंडी में बेचने के बजाय सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाते हैं, जिससे लागत कम आती है व मुनाफा अच्छा होता है।
प्रतीक शर्मा गाँव कनेक्शन को बताते हैं, ”मैंने 2015 में बैंक की नौकरी छोड़कर पॉलीहाउस में खेती की शुरुआत की थी। फसल तो बहुत अच्छी पैदा हुई लेकिन मण्डी में उसकी कीमत बहुत कम लगाई गई। इससे मुझे इतने भी रुपये नहीं मिले की ट्रांसपोर्टेशन की लागत निकल आए, फसल से मुनाफा कमाना तो बहुत बड़ी बात थी। उस समय मैं जो खेती करता था उसमें लागत भी बहुत ज़्यादा थी, दूसरा मैं रसायनिक तरीके से खेती करता था जिससे मिलने वाली फसल सेहत के लिए भी काफी नुकसानदेह होती थी।
“2015 में बैंक की नौकरी छोड़ खेती की शुरुआत की थी। फसल तो बहुत अच्छी पैदा हुई लेकिन मण्डी में उसकी कीमत नहीं मिली, इसके बाद उसे खुद लोगों तक पहुंचाना शुरु किया”
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वह कहते हैं, ऐसे में मेरे मन में हमेशा एक अपराधबोध रहता था कि मैं लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा हूं। इस पर मैंने काफी विचार किया और फिर कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक टीम बनाई और वर्दा फार्मर्स क्लब की शुरुआत की। इसके बाद हमने कई सब्जि़यां उगाईं और उनको उगाने में काफी कम लागत लगाई, इसके लिए हमने जैविक तरीके से खेती की और उन्हें सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाया। वह बताते हैं कि उनके पास साढ़े पांच एकड़ ज़मीन है जिसमें वो 12 – 13 सब्ज़ियां उगाते हैं। इससे पहले प्रतीक ने जैविक खेती साकेत संस्था से सीखी।
पिछले साल हमने नवंबर में ये काम शुरू किया था। अब 15 किसान हैं जो हमारी टीम के कोर मेंबर हैं। हमने दो हब्स बनाए हैं जहां सारी सब्ज़ियां इकट्ठी होती हैं और फिर वहां से उन्हें भोपाल भेजा जाता है। भोपाल में हमारे कलेक्शन सेंटर हैं जहां इनकी छंटाई, बिनाई और पैकेजिंग होती है। इसके बाद व्हॉट्सऐप पर इनकी एक लिस्ट अपडेट होती है। हमारे जो उपभोक्ता हैं वो वहीं उनका ऑर्डर कर देते हैं और वहीं से इनकी होमडिलीवरी की जाती है।”
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प्रतीक बताते हैं कि हम जैविक विधि से खेती करते हैं और इसके लिए हम खाद भी खुद ही बनाते हैं। फसल नियंत्रण के लिए नीमास्त्रिका, भ्रमास्त्रिका आदि का उपयोग करते हैं। इसके अलावा पोषण और फसल का कीट नियंत्रण हम खुद करते हैं जिससे लागत काफी कम हो गई और हम सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचते हैं। इसलिए हम बाज़ार के सामान्य दामों में ही अपनी जैविक विधि से तैयार की गई सब्ज़ियां बेच पाते हैं।
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जैविक विधि से खेती करने के हैं कई फायदे
प्रतीक शर्मा बताते हैं कि जैविक विधि से खेती करने के कई फायदे हैं एक तो ये कि इससे मिट्टी की सजीवता वापस आ जाती है, दूसरा ये कि इससे तैयार हुई फसल काफी बेहतर होती है। वह बताते हैं कि हमारे खेत में हमने जैविक विधि से जो तोरई उगाई हैं उनकी लंबाई लगभग साढ़े तीन फुट तक है। इनका स्वाद भी काफी अच्छा होता है।