स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क/गाँव कनेक्शन
लखनऊ। गन्ने की फसलों को बेधक और भूमिगत कीट से बचाने के लिए यूपीसीएसआर (उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद) ने ऐसे जैव उत्पाद बनाए है, जिनसे गन्ने की उपज में तो इजाफा हुआ है साथ गन्ना किसानों को भी फायदा मिला है।
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शोध परिषद् में पीसीबी कल्चर, एजेटोवैक्टर, आर्गेनोडिकम्पोजर के नाम से बने जैव उत्पाद भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता वृद्यि में भी सहायक है। भूमि के अंदर रहने वाले दीमक और सफेद गिडार से फसलों को बचाने के लिए मेटाराइजियम तथा बवेरिया वैसियाना अच्छी तरह काम करता है।
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दो किग्रा की मात्रा को 200 किलो कंपोस्ट खाद के साथ चार पांच दिन तक नमी के साथ रखने पर फफूंद आ जाती है। गन्ना बुवाई से पहले इसे डालने से भूमिगत कीट दीमक और सफेद गिडार मर जाते है। इसका असर छह महीने तक रहता है। जबकि रासायनिक कीटनाशकों का असर जल्दी खत्म हो जाता है।
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बढ़ जाती है उर्वरा शक्ति और प्रतिरोधक क्षमता
जैव उत्पाद मृदा और जल प्रदूषण को रोकता है। इसके प्रयोग से फसल की उर्वरा शक्ति के साथ प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यह जैव उत्पाद मित्र कीटों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते है।
35 रुपए के एक ट्राइकोकार्ड से एक एकड़ फसल की रक्षा की जा सकती है। कार्ड पर चिपके अंड़ों से परजीवी निकालकर बेधक कीटों को मारकर फसल की रक्षा करते है।
35 रुपए के ए- क ट्राइकोकार्ड से एक एकड़ फसल की रक्षा की जा सकती है। कार्ड पर चिपके अंड़ों से परजीवी निकालकर बेधक कीटों को मारकर फसल की रक्षा करते है।
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जैव उत्पाद और उनके कार्य
- पीसीबी कल्चर : मिट्टी में फास्फोरस की मात्रा वृद्यि के लिए
- एजेटोवैक्टर : मिट्टी में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए
- आर्गेनोडिकम्पोजर : कार्बनिक पदार्थ को सड़ाने के लिए।
- जैव पेस्टीसाइड ट्राइकोडरमा : बीमारी पर नियंत्रण
- बायो इेस्क्टीसाइड ट्राइकोकार्ड : बेधक कीटों को मारने के लिए
इसके प्रयोग से बढ़ा गन्ने की फसल का रकबा
इन जैव उत्पादों के प्रयोग से जिले की गन्ना उपज में तेजी से इजाफा हुआ है। वर्ष 2015 में जिले की औसत उपज 664 कुंतल थी, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 723 कुंतल प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गई।
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