किसानों के लिए गोभी की ऐसी नई प्रजातियां तैयार की गई हैं, जो न सिर्फ कैंसर से बचाने में सहायक होगी, बल्कि हड्डियों को भी मजबूत बनाएगी।
वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) के कृषि वैज्ञानिकों ने गोभी की ऐसी दो प्रजातियां विकसित की हैं। ये दो प्रजातियां वीआरसीएफ-50 और वीआरसीएफ-86 हैं।
इन किस्मों में कैंसर रोधी तत्व ग्लूकोसाईनोलेट (सल्फर कंपाउंड) में पाया जाता है। इन प्रजातियों के बारे में संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ. बिनोद कुमार सिंह ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताते हैं, “ओपी कैटेगरी में गोभी की इन दोनों नई प्रजातियों में ग्लूकोसाईनोलेट की मात्रा अन्य की अपेक्षा अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो लोगों को कैंसर से बचाने में सहायक होगी।”
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डॉ. बिनोद आगे बताते हैं, “इसके अलावा इन प्रजातियों में कैल्शियम की मात्रा भी अन्य प्रजातियों की अपेक्षा अधिक है, जबकि इन प्रजातियों में प्रोटीन की मात्रा कम है, जिससे यूरिक एसिड से परेशान लोगों के लिए ये गोभियां काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं। इन प्रजातियों के बीज किसानों को जल्द ही मिल सकेंगे।”
जल्द नहीं होगी खराब
इन प्रजातियों की गोभी देसी गोभी की अपेक्षा जल्द खराब नहीं होगी। इन प्रजातियों की गोभी सफेद और ठोस होती हैं, ऐसे में इसे दूरदराज के इलाकों में भेजने में भी मुश्किल नहीं होगी। आमतौर पर देसी प्रजातियां स्वाद में अच्छी होती हैं, मगर खेत से तोड़ने में एक-दो दिन में ही फटने लगती हैं।
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