मचान विधि से सब्जियों की खेती कर किसान कमा रहा मुनाफा

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सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। गन्ने और मेंथा की खेती में लगातार हो रहे नुकसान से इस किसान ने मचान विधि से सब्जियों की खेती शुरू की आज ये अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

सीतापुर जिले के मस्जिद निवासी 29 वर्षीय युवा किसान सोमिल अवस्थी बताते हैं, “मैंने दसवीं का इम्तिहान दिया था लेकिन सफलता नहीं मिली इसके बाद से उनका ध्यान पढ़ाई से भटक गया और खेती की तरफ बढ़ गया। पहले हमने शुरुआत में गन्ना गेहूं की फसल की खेती की तो उसमें लागत ज़्यादा लगती थी, लेकिन उपज लागत के अपेक्षा अधिक आती थी इतना ही नहीं कई बार गन्ना की सप्लाई पर्ची न मिलने के कारण गन्ना बिचौलियों के हाथ में मिट्टी के भाव बेचना पड़ता था।”

वो आगे बताते हैं, “इन सब से परेशान होकर हमने प्रशिक्षण लेकर के टमाटर व सब्जियों की मचान खेती करना शुरू किया। जिसमें कम लागत में अच्छी कमाई हुई।”

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10 एकड़ में करेला और तोरई की मचान खेती

सोमिल ने बताया, “हमने पहले एक एकड़ अगेती टमाटर की खेती शुरू की जिसमें अच्छी सफ़लता पाने के बाद हमने इस बार दस एकड़ में मचान विधि से करेला और तोरई की खेती करना शुरू किया है, इस समय हमारी तोरई और करेला निकल रहा है और अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है 40 से 45 रुपए किलो के हिसाब से हमारी सब्जी खेत से ही व्यापारी ख़रीद ले जाते हैं।

मचान विधि से खेती करने में कम लागत और अधिक मुनाफ़ा

सोमिल बताते हैं, “मचान विधि से खेती करने में करीब एक एकड़ में 20 हजार रुपए की लागत है वही मुनाफे की बात करें तो करीब एक लाख तक प्रति एकड़ हो जाता है। इसमें सब से ज़्यादा फायदेमंद करेला, लौकी, तोरई, टमाटर कद्दू आदि की फसलों में अच्छी कमाई होती है।


ठेके पर जमीन लेकर भी करते हैं खेती

सोमिल बताते हैं, “हमको सब्जी की खेती में इतना लागव हो गया है कि हमने अपनी खेती के साथ साथ ठेके पर भी जमीन लेकर हमने एक एकड़ में परवल की खेती किया हैं जो हमारा परवल निकलने लगा है अभी ऑफ सीजन है तो मार्जिन अच्छा मिलेगा। इसलिए हमने ठेका पर जमीन लेकर के भी परवल की मचान खेती शुरू किया है।

गाँव से बाहर रोजगार की तलाश में जाने वाले युवाओं देते हैं रोजगार

फॉर्म पर सब्जी की तुड़ाई के लिए सोमिल ने गाँव से रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले युवाओं को रोजगार भी दे रहे है। गांव के करीब आधा दर्जन युवाओं से ज़्यादा लोगो को रोजगार परक बना कर के अपने बिजनेस के साथ साथ उनके गरीब परिवारों को पाल रहे हैं।

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