Gaon Connection Logo

आपके खेत की मिट्टी में छिपे रहते हैं ये दुश्मन कीट, इनसे बचने का तरीका जान लीजिए

फसलों में कई तरह के कीट-रोग लगते हैं, कुछ आँखों से दिखाई देते हैं और कुछ इतने छोटे होते हैं, जिन्हें आँखों से नहीं देखा जा सकता है। सूत्रकृमि भी उन्हीं में से एक हैं, जो दिखाई तो नहीं देते हैं, लेकिन पूरी फसल को बर्बाद कर देते हैं। गाँव कनेक्शन के कार्यक्रम 'खेती के डॉक्टर' में डॉ दया शंकर श्रीवास्तव इनसे बचने का तरीका बता रहे हैं।

खेती के डॉक्टर के पिछले भाग में हमने जाना था कि सूत्रकृमि होते क्या हैं और कैसे आपकी फ़सल को नुकसान पहुंचाते हैं। आप में से कई किसानों ने तो अपने खेतों में जाकर इसे अपने खेतों में खोजा होगा। कुछ को यह दिखा होगा, कुछ को नहीं। लेकिन यह जरूर कहीं न कहीं छिपा होगा, क्योंकि सूत्र कृमि ऐसा अदृश्य शत्रु है जो लगभग हर फसल पर नजर बनाए रखता है।

आज हम जानेंगे कि अगर आपके खेतों में सूत्र कृमि का प्रकोप है या हो सकता है, तो आप इससे कैसे बच सकते हैं, इसका प्रबंधन और नियंत्रण कैसे कर सकते हैं।

सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि सूत्र कृमि एक छिपा हुआ शत्रु है जो बड़ी चालाकी से खेतों में प्रवेश करता है। एक बार जब यह आपके खेत में आ जाता है, तो यह मिट्टी में लंबे समय तक बना रहता है। यह इतना छोटा होता है कि आपको पता भी नहीं चलेगा कि यह खेत में है या नहीं। यह मिट्टी में छिपकर वर्षों तक जीवित रह सकता है और फसल न होने पर भी मिट्टी में सुसुप्त अवस्था में रहता है। यह उच्च तापमान और अत्यंत निम्न तापमान दोनों में जीवित रह सकता है, चाहे मैदान हों या पहाड़।

खेती में खासतौर पर यह जरूरी है कि आपके खेतों में संक्रमण न हो। जैसे हम अपने घरों में साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं और गंदगी को बाहर रखते हैं, उसी तरह खेतों में भी संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई जरूरी है। जब हम एक खेत से दूसरे खेत में जाते हैं, तो मिट्टी और कीटाणु भी हमारे साथ ट्रांसफर हो सकते हैं। इसलिए ध्यान रखें कि जब आप खेत में जाएं, तो साफ-सफाई का ध्यान रखें।

दूसरा महत्वपूर्ण कदम है खेत का समतलीकरण। अगर आपके पड़ोसी के खेत में सूत्र कृमि है और बारिश के पानी से वह आपके खेत में आ जाता है, तो आपके खेत में भी यह फैल सकता है। इसलिए खेत को समतल बनाएं और मजबूत बाउंड्री रखें ताकि पानी और कीटाणु आपके खेत में प्रवेश न कर सकें। इससे जल संरक्षण भी होगा और पोषक तत्वों का प्रबंधन भी बेहतर होगा।

गर्मी के दिनों में जब खेत खाली हो, तो गहरी जुताई करके खेत को खुला छोड़ दें। इससे तापमान बढ़ेगा और सूत्र कृमि की संख्या में कमी आएगी। इसके अलावा, फसल चक्र अपनाएं। एक ही प्रकार की फसल बार-बार लगाने से सूत्र कृमि को पोषण मिलता रहता है, इसलिए सरसों या चारा वाली फसलें लगाएं ताकि इनकी संख्या में कमी हो।

सूत्र कृमि को नियंत्रित करने के लिए जैविक प्रबंधन भी एक प्रभावी तरीका है। गोबर की सड़ी हुई खाद और नीम की खाली का उपयोग करें। इसके साथ ही मिश्रित फसलों का भी उपयोग करें जैसे गेंदे की फसल, जो सूत्र कृमि की संख्या को नियंत्रित करती है। अगर आपके खेत में फिर भी सूत्र कृमि दिखते हैं, तो रासायनिक नियंत्रण के लिए फ्लूप मोरम जैसे रसायन का उपयोग करें।

आखिर में, अगर आपको लगता है कि आपका खेत प्रभावित हो सकता है, तो सावधानी से प्रबंधन करें। फसल चक्र को अपनाएं, खेत को साफ-सुथरा रखें, और जैविक व रासायनिक नियंत्रण का सही समय पर उपयोग करें।

अगर आपको इस विषय पर और सवाल हों, तो ज़रूर बताएँ। ‘खेती के डॉक्टर’ के अगले भाग में मिलेंगे, एक नई जानकारी के साथ।

More Posts

मोटे अनाज की MSP पर खरीद के लिए यूपी में रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है, जानिए क्या है इसका तरीका?  

उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। जो किसान भाई बहन मिलेट्स(श्री...

यूपी में दस कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाई रोक; कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इनका इस्तेमाल

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने...

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...