शायद आपने छह फीट की लौकी की किस्म नरेंद्र शिवानी देखी होगी और सुराही के आकार की नरेंद्र माधुरी किस्म देखी होगी, आप भी इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इन किस्मों को विकसित करने वाले डॉ शिव पूजन सिंह इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं।
नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कृषि वैज्ञानिक लौकी की खेती के बारे में बताते हैं, “जो ज्यादातर प्रजातियाँ बाजार में भी उपलब्ध हैं, इनको लगाने का फरवरी से जुलाई, अगस्त, सितंबर तक होता है। लेकिन अगर नरेंद्र शिवानी, नरेंद्र माधुरी या फिर नरेंद्र शिशिर की बात की जाए तो इसकी बुवाई जुलाई से अगस्त तक कर सकते हैं।”
लौकी पुरुष के नाम से मशहूर 73 साल के डॉ शिव पूजन सिंह आगे कहते हैं, “किसान भाई या कोई भी मित्र इसे लगाना चाहते हैं तो अप्रैल-जून तक लगा सकते हैं, लेकिन उत्तर भारत में इसका सही समय जुलाई से अगस्त तक है, अगर देर हो गई तो 10 सितंबर तक भी लगा सकते हैं। मार्च-अप्रैल में लगाने पर पैदावार अच्छी नहीं मिलेगी।”
“इनमें पैंसठ से सत्तर दिन में फल आने लगते हैं, अगर अच्छी पैदावार पानी है तो हमेशा मचान लगाकर ही इनकी बुवाई करें, “उन्होंने आगे कहा।
वो आगे बताते हैं, “अगर छत या किचन गार्डेन में इनकी खेती करना चाहते हैं तो इसे छोटे गमलों के बजाए बड़े ग्रोइंग बैग में लगा सकते हैं। इसकी चौड़ाई दो फीट और गहराई चार फीट तक होनी चाहिए। इसके ऊपर तार बाँधकर मचान बना देना चाहिए, जिससे इन्हें बढ़ने का मौका मिल जाए।”
देश भर से किसान और किचन गार्डनिंग करने वाले नरेंद्र शिवानी, नरेंद्र शिशिर और नरेंद्र माधुरी के बीज मंगाते रहते हैं। प्रो शिव पूजन कहते हैं, “भले ही मैं रिटायर हो गया हूँ, लेकिन मेरी सामाजिक ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं कुछ न कुछ करता रहूँ। जनता के पैसों से ही तो मुझे पेंशन मिलती है, इसलिए उनके लिए कुछ न कुछ करते रहना होगा।”