आलू किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी, नहीं बढ़ेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य

Potato farmer

लखनऊ। संसद से लेकर विधानसभा और सड़क तक आलू को लेकर संग्राम मचा हुआ है। आलू उगाने वाले किसान जहां घाटे का सौदा बन चुकी आलू की खेती से निराश होकर अपना आलू फेंककर विरोध जता रहे हैं, वहीं सरकार अभी इस बात पर विचार ही कर रही है कि आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना बढ़ाया जाए। इस बारे में जब उत्तर प्रदेश उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक एस.पी. जोशी से गांव कनेक्शन ने बात की तो उन्होंने बताया कि आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला प्रदेश सरकार के हाथों में नहीं है, इस पर केंद्र सरकार ही कुछ फैसला कर सकती है। प्रस्ताव केंद्र को भेजने पर विचार किया जा रहा है।

सरकार के इस रवैये से आलू किसानों में रोष है। फरूखाबाद जिले के कमालगंज ब्लाक के अहमदपुर देवरिया गांव के किसान विनोद कटियार ने गांव कनेक्शन से बताया ” 23 रुपए किलो आलू का बीज खरीदकर बुवाई करने किया था लेकिन आलू तैयार होने के बाद 2 से लेकर 3 रुपए प्रति किलो के रेट में अपना आलू बेचना पड़ा है। ऐसे में अब हम आलू की खेती नहीं करेंगे।”  उन्होंने बताया कि एक एकड़ आलू की खेती करने में कुल लागत 50 हजार रुपए आई थी। आम दिनों में एक एकड़ से 60 से लेकर 65 हजार रुपए मिल जाते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

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पिछले सीजन में उत्तर प्रदेश में आलू की रिकार्ड पैदावार 155 लाख टन हुई थी। उस समय बाजार में आलू का रेट बहुत कम था। ऐसे में उत्तर प्रदेश में आलू किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यानाथ सरकार ने अपनी दूसरी ही कैबिनेट बैठक में किसानों से सरकार ने एक लाख टन आलू किसानों से खरीदने का फैसला किया था। राज्य सरकार ने चार एजेंसियों उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक सहकारी विपणन संघ, यूपी एग्रो, पीसीएफ और उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकरी संघ लिमिटेड किसानों से 487 रूपए प्रति कुंतल की दर से आलू खरीदने का आदेश दे दिया था लेकिन स्थिति यह है कि सरकार की यह एजेंसियां कुल आलू उत्पादन का एक प्रतिशत भी नहीं खरीद पाईं थी। ऐसे में मजबूरी में किसानों ने अपना आलू कोल्ड स्टोर में रख दिया था।

किसानों ने इस उम्मीद में बड़ी तादाद में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखा कि आने वाले महीनों में आलू का भाव सुधर जाएगा। किसान दिसंबर जनवरी में कोल्ड स्टोरेज आलू निकाल कर बाजार में बेचता है। लेकिन इस सीजन में आलू का रेट इतना कम है किसानों को कोल्ड स्टोर से निकालने तक की लागत नहीं निकल पा रही है।

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आलू किसान कैसे घाटा सह रहा है इसको हाथरस जिले के सादाबाद क्षेत्र के किसान चौधरी रामपाल ने बताया, ” एक बीघे आलू की खेती करने में 10 हजार रुपए की लागत आई थी लेकिन मंडियों में एक बीघे आलू की कीमत मात्र 5 से से लेकर 6 हजार रुपए मिला। ऐसे में इतना घाटा सहकर अब आलू की खेती करने की हिम्मत नहीं है। ”

उत्तर प्रदेश उद्यान एवं खद्य प्रसंस्करण विभाग ने उत्तर प्रदेश में आलू की पैदावार बढ़ाने और किसानों को आलू का उचित मूल्य मिले इसके लिए आलू मिशन बना रखा है। आलू मिशन के उप निदेशक धर्मेन्द पांडेय ने बताया ” सरकार की एजेंसियों की तरफ से किसानों से पर्याप्त मात्रा में आलू खरीदने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन सरकारी क्रय केन्द्रों में किसानों ने आलू बेचने में उत्साह नहीं दिखाया। ”

आलू मिशन के उप निदेशक की बात से किसान इत्तेफाक नहीं रखते। आगरा जिल के चौगान गांव के किसान ओमवीर ने बताया ” योगी सरकार ने आलू का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था उस रेट में आलू बेचने पर लागत ही हमारी नहीं निकल रही थी। सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य 600 रुपए करने की जरुरत है। ” उन्होंने बताया कि आलू की बुवाई, खुदाई और मजदूरी की लागत ही 500 रूपए प्रति कुतंल से ज्यादा है।

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