लखनऊ। जैविक और प्राकृतिक उत्पादों को लेकर शहर के लोगों की मांग बढ़ती जा रही है। सेहत के लिए फायदेमंद होने के चलते लोग थोड़े महंगे होने पर भी इन्हें खरीद रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी में लगी ‘लखनऊ फार्मर मार्केट’ में ऐसे उत्पादों की खूब खरीदारी हुई।
प्राकृतिक तरीके से बनाया गया गुड़, नीम, जामुन और सरसों का शहद, जैविक तरीकों से उगाई गईं दाल चावल और सब्जियों के साथ ही हस्तशिल्प की यहां पर करीब 22 दुकानें लगाई गई थीं। ज्यादातर उत्पाद रोजमर्रा में काम आने वाले थे। खाने के उत्पादों के साथ ही घर की सजावट और प्राकृतिक सौंदर्य उत्पाद (ब्यूटी और स्किन केयर प्रोडक्ट) भी यहां उपलब्ध थे।
लखनऊ फार्मेर मार्केट की आयोजक ज्योत्सना कौर हबीबुल्ला ने गांव कनेक्शन को बताया, “हम लोग पिछले कई वर्षों से अवध मैंगो फेस्टिवल का आयोजन कर रहे थे। उसमें कई बाग मालिक और किसान पहुंचते थे। फिर सोचा गया क्यों न बाकी किसानों और उससे जुड़े लोगों को शहर में अपने उत्पाद बेचने का मौका दिया जाए। फिर हम लोगों ने ये मार्केट शुरू की।“
आगे बताती हैं, “लोगों की सेहत के प्रति जागरुकता बढ़ी है, वो ज्यादा पैसे खर्च कर भी अच्छे प्रोडक्ट खरीदते हैं, इस तरह हम किसानों को उनके आर्गेनिक और प्राकृतिक चीजों का अच्छा मूल्य दिला पाए और शहर के लोगों को भी बढ़िया चीजें मिल गईं।”
फैजाबाद के किसान राकेश दुबे अपने जैविक गन्ने का गुड़, सिरका और काला चावल लेकर पहुंचे थे तो आर्गेनिक ग्रीन ने प्राकृतिक स्किन केयर की खूबियां लोगों को बताईं। रायन हनी के डॉ. नितिन ने बताया, “मैं किसानों के साथ मिलकर सरसों के साथ ही नीम, शहतूत, यूके लिप्टस समेत कई जगह के शहद तैयार कर रहा हूं।“
यहां पर कई ऐसे प्रोडक्ट भी थे, जो लोगों को बताने के लिए थे कि कैसे वो भी इन चीजों से अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। नदी में फेंके जाने वाले कचड़े और पूजा के सामान से बने उत्पादों की रिसाइकल कर कई तरह के उत्पाद बनाए गए थे।
गोमती नदी में सफाई अभियान से निकले इस कचरे के उत्पादों के बारे में संस्था की अनुराधा ने बताया, “इको फ्रेंडली और स्वच्छ भारत अभियान तभी सार्थक होगा, जब हम ये सीख जाएंगे कि कोई भी संसाधन बर्बाद नहीं करना चाहिए, जिसे जितनी तरीके से रिसाइकल, रियूज और रिडाइजन कर सकें वो बेहतर है।“
अपनी स्टॉल पर रखे कलश को दिखाते हुए वो बताती हैं, “ये कलश गोमती में मिल थे,कोई पूजा करके फेंक गया होगा,हम लोगों ने उन्हें सजा संवार कर नया रूप दिया। भगवान पर चढ़ाए गए कपड़ों, नवरात्र में देवी के वस्त्रों को हमने गिफ्ट देने वाली थैलियां बना दी हैं। अब लोग उन्हें ही खरीद रहे हैं।” वो आगे बताती हैं, “जब हम कचरे को मिक्स (मिला देते है) करते हैं, वो कूड़ा बन जाता है, अलग-अलग रखें तो वो किसी न किसी न किसी रूप में काम आते हैं।“
प्रियांशी दयानंद के होम डेकोर गिफ्ट, अब्बास जाफरी का औषधीय गुड़, योगा मैट और डोर मैट भी बिके। किसान अपने उत्पादों को कैसे प्रोडक्ट में बदल कर बेंचे, इसके लिए शुभी वालिया ने विशेष तौर पर ब्रेड और केक बनाए थे।
अपूर्वा भार्गव अपने जैविक फलों से तैयार जैम और शरबत के बारे में बताती हैं कि वो कैसे लोगों की सेहत के लिए मुफीद और बाजार में बिक रहे उत्पादों से अच्छे हैं। लखनऊ किसान बाजार में काफी संख्या में वो लोग भी जो शहर में रहते हैं, लेकिन खेती करते या फिर उसमें रुचि रखते हैं।
ऐसे बाजार किसान और खेती से जुड़े लोगों के लिए एक उदाहरण भी हैं, कि कैसे वो अपने उत्पादों की ब्रांडिग कर सकते हैं, कैसे वो अच्छे तरीके शहरी बाजार में पहुंचाकर मुनाफा कमा सकते हैं।