लखनऊ। रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और रासायनिक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से खेती योग्य जमीन खराब होने से हर वर्ष 5334 लाख टन मिट्टी खत्म हो रही है। केन्द्रीय मृदा और जल संरक्षण अनुसंधान संस्थान देहरादून ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया ” तेजी से खत्म हो रही उपजाऊ मिट्टी से कृषि की उत्पादका भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में धरती की सेहत को लेकर किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर किसानों को जागरूक करने के साथ ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया जाएगा।”
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कृषि मंत्री ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसी खेत विशेष की माटी यानी मृदा के पोषक तत्वों की स्थिति बताता है और उसकी उर्वरकता में सुधार के लिए जरूरी पोषक तत्वों की उचित मात्रा की सिफारिश किसानों को करता है। इससे किसानों को खेत की मिट्टी की प्रकृति की जानकारी भी मिलती है। किसान उसी के अनुसार खेत में उर्वरक और अन्य रसायन डाल सकता है ताकि लागत में कमी आए और उत्पादन बढ़े।
उन्होंने बताया कि किसानों को जो मृदा कार्ड इस बार वितरित किया जाएगा उसमें उसके खेत विशेष की मृदा का ब्यौरा है। किसान के खेत में किस-किस पोषक तत्वों की कमी ओर उसके पूरा करने के लिए उर्वरकों का कितना इस्तेमाल जरूरी है यह भी होगा। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की मदद से किसान अगर अपने खेत में उर्वरकों को इस्तेमाल कतरा है तो प्रति तीन एकड़ में कम से कम 50 हजार रुपए बचा सकता है।
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खेत की मिट्टी की घटती सेहत से चिंतित होकर दो साल पहले केन्द्र सरकार की तरफ खेत की मिट्टी की जांच के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरूआत की गई थी। स्वस्थ धरा, खेत हरा के नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में राष्ट्रव्यापी ‘राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड’ यानि सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की शुरूआत की थी।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य देशभर के किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए जाने के लिए राज्यों को सहयोग देना था। इस योजना के तहत केंद्र सरकार का अगले तीन वर्षों के दौरान देश भर में लगभग 14.5 करोड़ किसानों को राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य है रखा था। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना में प्रत्येक 2 साल में एक बार 12 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कोर्ड देना था। इस योजना में प्रत्येक मिट्टी के नमूने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्थिति सहित 12 मापदंडों पर मिट्टी के नमूनों का व्यापक परीक्षण किया जा रहा है। योजना का पहला चक्र (2015-17) जुलाई 2017 तक पूरा होने की उम्मीद है।
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केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न राज्यों से जो रिपोर्ट मिली है उसके अनुसार 244 लाख मृदा नमूनों का परीक्षण किया गया है। अभी तक 9 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य मृदा कार्ड योजना के पहले चरण में 49.27 लाख नमूनों का विश्लेषित करके 1.45 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में पहले 30 जिलों में ही मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशाला थी लेकिन अब यह 72 जिलों में हो गई है।