सोनभद्र के इस किसान से सीखिए सहफसली खेती के फायदे

किसान ब्रह्मदेव कुशवाहा आज जिले ही नहीं प्रदेश के कई जिलों के किसानों के आदर्श बन गए हैं, यही नहीं इनसे सीखने कृषि वैज्ञानिक तक आते हैं।
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घोरावल (सोनभद्र)। सहफसली खेती से कैसे फायदा कमाया जा सकता है, आप इनसे सीख सकते हैं। एक साथ कई फसल उगाने पर ये फायदा होता है कि अगर किसी फसल का सही दाम नहीं मिला तो दूसरी फसल से मिल ही जाता है।

सोनभद्र जिले के घोरावल ब्लॉक के मरसड़ा गाँव के किसान ब्रह्मदेव कुशवाहा आज जिले ही नहीं आस-पास के कई जिलों के किसानों के आदर्श बन गए हैं। इनसे सीखने कृषि वैज्ञानिक तक आते हैं। वो हल्दी, जिमिकंद, गेहूं, मटर, धान, मसूर, अरहर, स्ट्राबेरी और पालक, भिंडी, अदरक जैसी कई फसलों की खेती करते हैं।

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ब्रह्मदेव कुशवाहा बताते हैं, “खेती में ऐसी कोई फसल नहीं है, जिसकी खेती हम नहीं करते हैं, अपनी जरूरत का सब कुछ उगा लेते हैं। मेहनत करने के बाद किसी फसल में नुकसान नहीं होता है। दाल भी मैं उगाता हूं, तेल वाली फसलें भी और धान गेहूं भी, काम भर के मसाले भी उगा लेता हूं, इसमें कोई घाटे की बात नहीं है। एक ही फसल की खेती करने पर नुकसान भी होता है। जैसे कि धान का किसान को अगर घाटा हो गया तो या मक्का या फिर उड़द-मूंग में नुकसान हो गया, लेकिन सहफसली खेती में किसी न किसी फसल से तो फायदा हो ही जाएगा।”

26 साल पहले नक्सलियों के डर से छोड़ा था झारखंड


आज सोनभद्र के सफल किसान बन गए ब्रह्मदेव के लिए इतना आसान नहीं था। 26 साल पहले नक्सलियों से परेशान होकर झारखंड से सोनभद्र आए ब्रह्मदेव को भी नहीं पता था कि आज वो जिले के उन्नत किसानों में शामिल हो जाएंगे। कम पानी में कैसे खेती की जाती है, लोग उनसे सीखने आते हैं।

ब्रह्मदेव बताते हैं, “झारखंड में मेरा मकान था, जहां पर मैं इलेक्ट्रिक सामानों की दुकान चलाता था, वहां पर उस समय नक्सलियों ने परेशान कर दिया था, जेब में सिर्फ सत्तर हजार रुपए थे, वही लेकर सोनभद्र में आ गया।”

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सोनभद्र में आकर ब्रह्मदेव ने पहले पांच बीघा खेत खरीदकर खेती शुरु। ब्रह्मदेव बताते हैं, “पांच बीघा खेत से आज मैंने 15 बीघा खेत खरीद लिया, जिसमें हल्दी, जिमिकंद, गेहूं, मटर, मसूर, अरहर, स्ट्रबेरी और साग सब्जियों की भी खेती करता हूं।”

करते हैं जैविक खेती

ब्रह्मदेव पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं। वो बताते हैं, “अपनी खेती में पूरी कोशिश रहती है 75 जैविक खेती है, यहां पर भारी मिट्टी है, लेकिन कम्पोस्ट डाल डालकर हल्का बना लिया है और आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कितनी बढ़िया मिट्टी लेकर बढ़िया उत्पादन ले सकते हैं।”

बाजार देखकर करते हैं खेती

ब्रह्मदेव बाजार देखकर खेती करते हैं, कि बाजार में किस समय कौन सी फसल से फायदा कितना फायदा होगा। “जिमिकंद बाजार में सस्ता था, तो किसानों को बहुत नूकसान हुआ था, इसलिए इस बार लोगों ने कम लगाया, लेकिन इस बार मैंने इसकी खेती और अच्छा मुनाफा भी कमाया।” ब्रह्मदेव ने बताया।

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ब्रह्मदेव खेती के साथ हल्दी और जिमिकंद का बीज भी किसानों को बेचते हैं, जिससे अतिरिक्त मुनाफा हो जाता है। अपने उत्पादों की मार्केटिंग भी ब्रह्मदेव खुद ही करते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक भी समय-समय पर उनको उन्नत खेती की जानकारी देते रहते हैं। ब्रह्म देव बताते हैं, “मैं पिछले कई वर्षों से हल्दी की खेती करते आ रहा हूं, लेकिन इस बार नरेन्द्र-एक किस्म लगाया है। हमारे यहां सिंचाई की बहुत परेशानी है। इस किस्म में कम पानी में ही ज्यादा पैदावार मिल जाती हैं।”

सिंचाई के लिए खेत में ही बनाया है तालाब

उन्होंने स्प्रिंकलर और दूसरे आधुनिेक यंत्रों की सहायता से वो उन्नत खेती करते हैं। सोनभद्र में सिंचाई की समस्या रहती है, जिससे निपटने का तरीका भी ब्रह्मदेव ने निकाल लिया है। उन्होंने अपने खेत में ट्यूबवेल लगा रखे हैं साथ ही दो बिस्वा का तालाब भी बना रखा है, जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा कर लेते हैं, जो आगे सिंचाई में काम आता है।  

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