लखनऊ। पिछले तीन वर्षों से ग्वार की अच्छी कीमत नहीं मिलने और बारिश की कमी से राजस्थान के कई ज़िलों में ग्वार की बुआई में कमी देखने को मिल रही है। अभी तक राजस्थान के श्रीगंगानगर में पिछले साल के मुकाबले केवल एक तिहाई एरिया पर ही ग्वार की बुआई हुई है।
ग्वार की उपलब्धता में कमी आने से ग्वार के भाव तेज़ी से चढ़ने लगे हैं। क्रूड में रिकवरी से आगे इसकी कीमतों में और ज्यादा तेजी देखने को मिल सकती है। ग्वार का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कच्चे तेल की ड्रिलिंग के दौरान किया जाता है जहां ग्वार से निकाले गए गम का इस्तेमाल ड्रिलिंग मशीनों में किया जाता है।
राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले किसान दलजिंदर सिंह (35 वर्ष) बताते हैं, “बीते तीन-चार वर्षों से किसानों को ग्वार की अच्छी कीमत नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से किसानों का ग्वार की खेती से मन खट्टा हो रहा है। दूसरी वजह बारिश है अभी तक राजस्थान में इतनी बारिश ही नहीं हुई कि किसान ग्वार की बुवाई कर सकें।’’
अब किसान अपना रहे नकदी फसलों की खेती
राजस्थान देश का सबसे बड़ा ग्वार उत्पादक राज्य है। राजस्थान के श्रीगंगानगर में सबसे ज्यादा ग्वार की खेती की जाती है। राजसमंद के एक किसान विवेक सिंह (38 वर्ष) ने बताया, ‘’अभी तक केवल एक तिहाई हिस्से में ही ग्वार की बुआई हुई है। ग्वार के भाव अच्छे नहीं मिल रहे हैं। राजस्थान के किसान अब अरहर और मूंग जैसी नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं। एक एकड़ पर ग्वार उगाने का खर्चा तकरीबन 5,000 हजार रुपए है, लेकिन रिटर्न केवल 3,000 रुपए के आस-पास ही मिल रहा है। इसलिए इस बार ख़रीफ सीजन में ग्वारर की जगह दाल की फसल लगाएंगे।’’
उत्तर प्रदेश पर नहीं पड़ेगा खास असर
कृषि विकास निगम के कृषि वैज्ञानिक डॉ दया एस श्रीवास्तव के मुताबिक, राजस्थान में ग्वार की खराब पैदावार का असर उत्तर प्रदेश में ख़ास नहीं पड़ेगा।
पिछले साल के मुकाबले इस बार ग्वार का रकबा 10 फीसदी तक घट सकता है। राजस्थान में कोटा और उदयपुर को छोड़कर सभी जगह ग्वार की बुवाई होती है।’’डॉ दया एस श्रीवास्तव ने बताया कि अब राजस्थान ही नहीं देश के कई राज्य भी बड़ी तादात में ग्वार की खेती कर रहे हैं ऐसे में अगर राजस्थान में पैदावार गिरती है तो बाक़ी के राज्यों को ग्वार की मांग को संतुलित किया जा सकता है।