पिछले वर्ष फरवरी में अंत तक ठंड का प्रकोप रहने से दलहनी फसलों को नुकसान हुआ था, लेकिन इस साल जल्द गर्मी आने से दलहनी किसानों को फायदा हो सकता है। इस वर्ष कृषि विभाग ने दलहनी फसलों की खेती कर रहे किसानों को उड़द , मूंग ,मसूर और अरहर जैसी दलहनी फसलों का रकबा बढ़ाने की सलाह दी है।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में अरबई गाँव में 14 बीघे खेत में मसूर की खेती कर रहे किसान प्रेम सिंह (54वर्ष) अपनी फसल की पैदावार देखकर काफी खुश हैं। प्रेम सिंह बताते हैं,” इस बार पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में दलहनी और तिलहनी फसलों का रकबा बढ़ा है। रबी की दाल को संतुलित मात्रा में वर्षा, ठंड और गर्मी मिली है, इससे दाल लगभग तैयार है और अगले महीने तक इसकी कटाई शुरू हो जाएगी।”
कृषि मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देशभर में रबी दलहन फसलों की बुवाई में इस साल पिछले साल की अपेक्षा बढ़ोत्तरी हुई है। दलहनों का कुल रकबा इस साल 163.11 लाख हेक्टेयर हो गया है जो पिछले साल के 155.70 लाख हेक्टेयर से 4.72 प्रतिशत अधिक है।
इस वर्ष दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ने की बात कहते हुए संयुक्त कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश ओमबीर सिंह ने बताया, ” पिछले वर्ष बुंदेलखंड क्षेत्र में ठंड के कारण दलहनी फसलों का रकबा घटने से किसानों को काफी नुकसान हुआ था। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में ठंड का प्रकोप कम है। इसलिए उड़द , मूंग और अरहर की खेती करने वाले किसान इस वर्ष खेती का रकबा बढ़ा सकते हैं। ”
उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड जिले में कृषि क्षेत्र में बड़े स्तर पर काम रही संस्था डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स व्दारा किए गए शोध में यह सामने आया है कि पिछले कुछ वर्षों से ठंड अधिक होने के कारण उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के साथ साथ कई तराई इलाकों में रहने वाले किसानों ने दाल की खेती करना बंद कर दिया था। इसके अलावा पूरे उत्तर भारत में पिछले तीन वर्षों से अरहर, चना, उड़द और मूंग जैसी प्रमुख दलहनी फसलों का रकबा घटा है। रकबा घटने की मुख्य कारण अन्ना पशुओं का बढ़ता आतंक और विपरीत मौसम है। ऐसे मेें इस वर्ष ठंड कम पड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र में दाल की खेती किसानों को फायदा हो सकता है।
” ठंड कम पड़ गई है इसलिए मौसम दलहनी खेती के अनुकूल है, लेकिन पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हुई तेज़ बारिश और ओलावृष्टि से दलहनी किसानों तो सतर्क हो जाना चाहिए। दालों की खेती करने वाले किसान इस वर्ष अपनी फसल का बीमा ज़रूर करवा लें।” ओमबीर सिंह आगे बताते हैं।