जल्द ही मलेरिया दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा भारत

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लखनऊ। चीन को मात देकर भारत जल्द ही मलेरिया की दवा बनाने में विश्व में नंबर एक पर हो जाएगा। अभी तक इस दवा को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले आर्टीमिसिनिन रसायन का अस्सी फीसदी अकेले चीन पूरा करता आया है।

आर्टीमिसिनिन रसायन, अर्टिमीसिया पौधे से निकलता है। केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) की आर्टीमीशिया की इजाद कि गयी नयी किस्म संजीवनी से कम लागत में ज्यादा उत्पादन होगा।

केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में आयोजित एकदिवसीय किसान मेले में देश भर के लगभग चार हज़ार किसानों और उद्यमियों ने भाग लिया। किसान मेले में औषधीय और संगध पौधों की प्रदर्शनी के साथ ही उन्हें बिक्री के लिए भी रखा गया था। सीमैप द्वारा पिछले वर्ष विकसित मेंथा की उन्नत किस्म सिम क्रांति की सबसे ज़्यादा बिक्री हुई। परिचर्चा गोष्ठी में किसानों और उद्यमियों ने वैज्ञानिकों से अपनी समस्याओं को लेकर चर्चा की।

सीमैप के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने आर्टीमिशिया की नयी किस्म संजीवनी के बारे में बताते हुए कहा, ”आर्टीमीशिया से मलेरिया रोग की प्रतिरोधी आर्टीमिसिनिन रसायन निकलता है, अभी तक यह भारत में चीन से आयात किया जाता रहा है। आर्टीमीशिया की नयी प्रजाति संजीवनी से दूसरी प्रजातियों की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा उपज निकलती है और इसमें 20 से 25 प्रतिशत कम लागत भी कम आएगी।’’

डॉ संजय कुमार ने नींबू घास की नयी प्रजाति सिम शिखर के बारे में बताया, ”अभी तक किसान सीमैप की पंद्रह साल पुरानी किस्म कृष्णा ही लगाते आये हैं, सिम शिखर से दूसरी प्रजातियों के तुलना में 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा तेल निकलेगा और प्रति हेक्टेअर 20 से 25 प्रतिशत लागत भी कम लगेगी।’’

इसके साथ ही सीमैप ने ऊसर भूमि सुधार के लिए किसानों को नींबू घास के पचास हज़ार पौधे दिए। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने सीमैप के काम की सराहना की।

उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रवीर कुमार ने सीमैप की सराहाना करते हुए कहा, ”हमारे यहां 83 प्रतिशत कृषि भूमि सिंचित है, कुछ जगह पर जमीन ऊसर है तो पूर्वांचल के कुछ जल भराव वाले भी क्षेत्र हैं, वहीं बुंदेलखंड इलाके में पठारी जमीन है, वहां पर सिंचाई के भी साधन नहीं है। अलग-अलग क्षेत्रों की अपनी-अपनी परेशानियां हैं। सीमैप की मदद से हम ऐसे क्षेत्र के किसानों की भी मदद कर सकते हैं, हमारे 75 में से 50 जनपद सूखाग्रस्त हैं।’’

प्रवीर कुमार आगे बताते हैं, ”पहला बुंदेलखंड के असिंचित क्षेत्रों में ऐसी औषधीय और सगंध पौधों की फसल ले सकते हैं, जिन्हें न तो ज्यादा सिंचाई की जरुरत होती है और न ही उन्हें जानवर नुकसान पहुंचाते हैं। दूसरे हमारे प्रदेश में तीन लाख हेक्टेयर आम के बाग हैं वहां पर ऐसे पौधे ले सकते हैं जो छाया में भी हो सकते हैं। तीसरा भूमि सुधार के लिए ऊसर भूमि में भी ऐसे पौधे ले सकते हैं जो ऊसर जमीन में भी हो सकती हैं।’’

केन्द्रीय मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ हर्ष वर्धन मुख्य अतिथि रहे। राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चन्द्र बाजपेई और उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रवीर कुमार किसान मेले में विशिष्ट अतिथि रहे। इस अवसर पर सीएसआईआर में प्लानिंग और परफारमेंस विभाग के अध्यक्ष, डॉ सुदीप कुमार के साथ ही लखनऊ के कई शोध संस्थानों के निदेशक भी उपस्थित रहे।

बाराबंकी ज़िले से आए किसान चौधरी राम नरेश सिंह पिछले दस वर्षों से दो एकड़ में मेंथा की खेती कर रहे हैं। चौधरी राम नरेश सिंह कहते हैं, ”अभी तक मेंथा की पुरानी किस्में सरयू और कोसी ही लगाता आया हूं, इस बार सिम क्रांति की जड़ ले जाऊंगा।’’

एक दिवसीय किसान मेले में औषधीय और संगध पौधों की उन्नत किस्मों, सीमैप प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन, आसवन/प्रसंस्करण का प्रदर्शन, अगरबत्ती व गुलाब जल बनाने का प्रशिक्षण, मेन्था की अगेती कृषि तकनीकी का प्रदर्शन किया गया। सीमैप द्वारा विकसित एक लघु उन्नत आसवन इकाई जिसके द्वारा सगंध फसलों व पानी में घुलनशील सगंध तेलों का आसवन किया जा सकेगा, का भी प्रदर्शन किया गया। मेले में जैसे इपका लैब, जिन्दल ड्रग्स इसेंशियल ऑयल एसोसिएशन ऑफ इंडिया जैसे विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

मेले में सीएसआईआर की स्थानीय प्रयोगशालाओं जैसे सीडीआरआई, एनबीआरआई, आईआईटीआर और दूसरी कम्पनियों ने अपने स्टॉल लगाकर उपलब्ध ग्रामीण क्षेत्रों के लिये उपयोगी प्रौद्योगिकियों व सेवाओं का प्रदर्शन किया।

केन्द्रीय मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ हर्ष वर्धन ने कार्यक्रम के दौरान कहा, ” 70-80 प्रतिशत हमारे जो वैज्ञानिक प्रयोगशाला में काम आ रहे हैं, उनके काम को मुझे करीब से देखने का मौका मिला है, सीमैप में मैं दूसरी बार आया हूं। जिस तरह से किसानों की भीड़ नजर आ रही है इससे लगता है कि किसानों को यहां से लाभ मिल रहा है।’’

इस मेले में उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखण्ड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश जैसे देश कई प्रदेशों के किसानों ने हिस्सा लिया। बिहार के औरंगाबाद ज़िले से आये किसान वंशराज सिंह जंगली गेंदा की खेती के बारे में जानने आए थे। वंशराज सिंह बताते हैं, ”खस और नींबू घास की खेती करता आया हूं इस बार से जंगली गेंदे की खेती शुरू करना चाहता हूं।’’

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