लखनऊ। जब आपकी फसल में कीड़े या कोई रोग लगता है तो किसान कीटनाशक डालते हैं। खेत में खरपतवार होता है उसकी दवा (खतपतवारनाशक) डालते हैं। ये रासायनिक दवाएं न सिर्फ काफी महंगी पड़ती हैं बल्कि किसानों की सेहत, फसल और यहां तक खेती की मिट्टी को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। लेकिन किसान बिना कीटनाशक भी खेती कर सकते हैं। बिना रसायनिक दवाओं के खेती करने के तरीके को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कहते हैं। ये बहुत सरल, सस्ता और उपयोगी तरीका है।
एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन को अंग्रेजी में इंट्रीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम यानी आईपीएम कहते हैं। आप सरल शब्दों में समझिए अगर एक एकड़ खेत में लगी किसी फसल में किसान रासायनिक कीटनाशक डालते हैं तो अगर महीने भर में 2000 रुपए का खर्चा आता है तो आईपीएम में शायद 20 रुपए से लेकर मुश्किल २०० रुपए का खर्चा आएगा। क्योंकि आईपीएम में प्राकृतिक विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कोशिश रहती है रोग या कीट खेत में लगने न पाएं, और अगर लग जाएं तो उन्हें बढ़ने से रोक दिया जाए।
खेत में रसायन के प्रयोग से वातावरण में रहने वाले मित्र कीट भी खत्म हो जाते हैं, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है, इन समस्याओं के प्रभावी निदान के लिए किसान इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट या एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन अपना सकते हैं।
क्या है एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन
व्यवहारिक नियंत्रण
व्यवहारिक नियंत्रण में परम्परागत अपनाए जाने वाले कृषि क्रियाओं में ऐसा क्या परिवर्तन लाया जाए, जिससे कीड़ों और बीमारियों से होने वाले आक्रमण को या तो रोका जाए या कम किया जाए। ये विधियां किसान लंबे समय से करते आ रहे हैं, लेकिन किसानों ने रसायनों के आने से इनका उपयोग कम होता जा रहा है।
यांत्रिक नियंत्रण
इस विधि को फसल रोपाई के बाद अपनाना आवश्यक है। इसके अंतर्गत निम्न तरीके अपनाएं जाते है:- इस विधि से नर कीटों को प्रयोगशाला में या रासायनों से फिर रेडिऐशन तकनीकों से नपुंसकता पैदा की जाती है और फिर उन्हें काफी मात्रा में वातावरण में छोड़ दिया जाता है। इससे मादा कीट अंडे नहीं दे पाती हैं। कीड़ों के अण्ड समूहों, सूडियों, प्यूपों तथा वयस्कों को इकट्ठा करके न्ष्ट करना। रोगग्रस्त पौधों या उनके भागों को नष्ट करना। खेत में बांस के पिंजरे लगाना और उनमें कीड़ो के अण्ड समूहों को इकट्ठा करके रखना ताकि मित्र कीटों का संरक्षण और हानिकारक कीटों का नाश किया जा सके। प्रकाश प्रपंच की सहायता से रात को कीड़ों को आकर्षित करना और उन्हें नष्ट करना। कीड़ों की निगरानी व उनको आकर्षित करने के लिए फेरोमोन ट्रेप का प्रयोग करना तथा आकर्षित कीड़ों को नष्ट करना। हानिकारक कीट सफेद मक्खी के नियन्त्रण के लिए यलो स्टिकी ट्रेप का प्रयोग करें।
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अनुवांशिक नियंत्रण
जैविक नियंत्रण
फसलों में नाशीजीवों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक शत्रुओं को प्रयोग में लाना जैविक नियंत्रण कहलाता है। जैसे कि ट्राइकोकार्ड के इस्तेमाल से कीटों का नियंत्रण किया जाता है, इसमें मित्र कीट व केंचुआ खाद शामिल है। कई कीट व अन्य समस्याओं का प्रभारी जैविक नियंत्रण किया गया है। नाशीजीव फसलों को हानि पहुँचाने वाले जीव नाशीजीव कहलाते है।
जैव नियन्त्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन का महत्वपूर्ण अंग है। इस विधि में नाशीजीवी व उसके प्राकृतिक शत्रुओ के जीवनचक्र, भोजन, मानव सहित अन्य जीवों पर प्रभाव आदि का गहन अध्ययन करके प्रबन्धन का निर्णय लिया जाता है।
अपने आप बढ़ने (गुणन) तथा अपने आप फैलने के कारण इसका प्रयोग घनी तथा ऊंची फसलों जैसे गन्ना, फलादार पौधों, जंगलों आदि में आसानी से किया जा सकता है। केवल विशिष्ट नाशीजीवों पर ही आक्रमण होता है अतः अन्य जीव प्रजातियों, कीटों, पशुओं, वनस्पतियों व मानव पर इसका काई प्रभाव नहीं होता है। इनका उपयोग सस्ता होता है। किसान अपने घर पर भी इनका उत्पादन कर सकते हैं।