बिना किसी रसायन का प्रयोग किए फसलों को कैसे रोगों व कीटों से बचाया जा सकता है, किसानों को इस बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
लखनऊ स्थित क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशजीवी प्रबंधन केंद्र (आईपीएम) बाराबंकी व लखनऊ जिले में किसानों को पाठशाला में नई जानकारियां दे रहा है। लखनऊ जिले के काकोरी ब्लॉक के कटिंगरा गाँव में आयोजित किसान पाठशाला का आयोजन किया गया।
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किसानों को खेती संबंधित आधुनिक तकनीकियों की जानकारी और सरकार की तरफ से चलाई जा रही खेती-किसानी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश भर में किसान पाठशाला का आयोजन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की तरफ से “द मिलियन फारमर्स स्कूल” नाम से नया कार्यक्रम शुरू किया गया है। पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
कटिंगरा गाँव में आयोजित पाठशाला में तीस प्रगतिशील किसानों का निःशुल्क पंजीकरण करके आईपीएम खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं। इस किसान खेत पाठशाला के संचालक वैज्ञानिक सहायक राजीव कुमार ने किसानों को आईपीएम तकनीक के तहत कीट व रोगों के रोकथाम के लिए गर्मी की गहरी जुताई, भूमि शोधन, बीजशोधन के जैव फफूंदनाशकों से करने की विधि पांच प्रतिशत नीम सीड कर्नल एक्सट्रेड दवा बनाने की विधि वनस्पतियां जैसे नीम पत्ती धतूरा पत्ती, मदार पत्ती, और कनेर की पत्तियों से विभिन्न कीटों के रोकथाम के लिए दवा बनाने की विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
गोमूत्र व गोबर से बनने वाले दवाइयों की जानकारी देते हुए अमृत पानी, बीज अमृत, पंच गव्य एवं मटका खाद बनाने की विधि की जानकारी दी। किसान खेत पाठशाला में आए किसान सुरेंद्र कुमार ने कहा, ” पाठशाला के जरिये हमें बहुत नई जानकारियां मिली जिससे हम बिना किसी रसायन का प्रयोग किए रोग व कीटों से छुटकारा पा सकते हैं।”
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द मिलियन फारमर्स स्कूल का मुख्य मकसद है कि किसान आधुनिक तकनीकों को सीखकर अच्छी खेती करके अपनी आय को बढ़ा सके। सरकार प्रयास कर रही है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो सके।