धान के बाद गेहूं पर संकट, आयात नहीं रोका गया तो अप्रैल में समर्थन मूल्य से नीचे बिकेगा गेहूं 

केंद्र सरकार

आरएस राणा

नई दिल्ली। चालू सीजन में अभी तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात हो चुका है तथा 28 फरवरी तक कुल आयात 40 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने जल्दी ही आयात को रोकने के लिए आयात शुल्क नहीं लगाया तो गेहूं की नई फसल आने पर अप्रैल में उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिकने की आशंका है।

इस समय दक्षिण भारत में गेहूं का भारी मात्रा में आॅस्ट्रेलिया, यूक्रेन और फ्रांस से आयात हो रहा है तथा अभी तक करीब 30 लाख गेहूं भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुका है। आयातक 28 फरवरी 2017 से पहले की शिपमेंट के आयात सौदे कर रहे हैं, क्योंकि आयातकों को डर है कि केंद्र सरकार आयात को रोकने के लिए 28 फरवरी 2017 के बाद आयात शुल्क लगाएंगी। ऐसे में 28 फरवरी 2017 तक कुल 40 लाख टन गेहूं का आयात होने का अनुमान है। ऐसे में दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों के पास मार्च-अप्रैल तक की पिसाई का गेहूं उपलब्ध रहेगा, जिस कारण इनकी मांग उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से कम रहेगी। जिसका असर गेहूं की कीमतों पर पड़ेगा। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं का भाव घटकर 1,450 से 1,500 रुपए प्रति क्विंटल रह जाएगा, जबकि रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है।

आॅस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव तुतीकोरन बंदरगाह पर 1,700 से 1,780 रुपए प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार है जबकि यूक्रेन से आयातित गेहूं का भाव 1,650 रुपए प्रति क्विंटल है। दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें गुजरात की मंडियों से एमएसपी पर गेहूं की खरीद करती हैं तो मिल पहुंच भाव 1,950 से 2,000 रुपए प्रति क्विंटल बैठेंगे, तथा अगर उत्तर प्रदेश या राजस्थान से खरीद करेंगी तो लागत बढ़कर 2,200 से 2,300 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगी। इसलिए दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें आयातित गेहूं का स्टॉक कम रही हैं ताकि अगले दो-तीन महीने उनको घरेलू मार्किट से खरीद ना करनी पड़े। दक्षिण भारत की मिलों को लगता है कि केंद्र सरकार 28 फरवरी 2017 के बाद आयात शुल्क लगा देगी, लेकिन अगर केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया तो फिर आयात बढ़कर 50 से 60 लाख टन के स्तर पर भी पहुंच सकता है।

इस साल बुवाई ज्‍यादा

चालू रबी में मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 315.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 292.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में बुवाई 100.52 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 94.99 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इसी तरह मध्य प्रदेश में बुवाई बढ़कर 62.23 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल 51.84 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। चालू रबी में बुवाई में हुई बढ़ोतरी के साथ ही मौसम भी अनुकूल होने से गेहूं का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की एमएसपी पर खरीद होगी, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण इन राज्यों की मंडियों में गेहूं का भाव एमएसपी से नीचे बिकेगा।

साभार. असलीभारत.कॉम

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