अहमदाबाद। मध्य गुजरात के खेड़ा जिले के छोटे से गाँव ढूंडी में किसानों ने सौरक्रांति शुरू कर दी है। इस गाँव में करीब 3500 लोगों की बस्ती है, ज्यादातर किसान छोटे और मझौले हैं।
ज्यादातर किसान खेती के लिए डीजल पम्प पर आधारित हैं, जिसके लिए रोजाना करीब 500 रुपए की लागत आती थी, जिनके पास पम्प हैं उसमें डीजल डलवाना पड़ता था और पम्प का भाड़ा अलग। गाँव में एक अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संस्था ने कुछ किसानों को सौर ऊर्जा के फायदों के बारे में बताया। किसानों से बातचीत करने पर करीब 16 किसान इस नए प्रयोग को करने के लिए राज़ी हो गए।
इस प्रोजेक्ट का कुल खर्चा 60 लाख था, जिसमें से किसानों को सिर्फ 10 प्रतिशत ही देना था। देश में पहली बार सौर ऊर्जा के लिए किसानों की सहकारी मंडली बनी औऱ काम शुरू हो गया। आज इन 16 किसानों के खेत में सौर ऊर्जा के पैनल लगे हैं और उसी से खेती हो रही है।
6 किसानों के सौर ऊर्जा के पम्प भी लगे हैं जिससे पानी निकाला जाता है। इतनी बिजली पैदा हो जाती है कि वो खेती तो कर ही लेते हैं और इसके अलावा हर महीने करीब 1000 यूनिट बिजली ज्यादा पैदा कर लेते हैं जो वो सरकारी ग्रीड में 4.63 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेचते भी हैं, जिससे अलग से कमाई भी हो जाती है।
ये एक नया और अनूठा प्रयोग है जिसमें सिर्फ शुरुआती खर्च है लेकिन बाद में खेती मुफ्त हो जाती है। वैसे देखने में ये एक छोटा कदम लग रहा है, लेकिन सूर्य क्रान्ति की शुरुआत ऐसे ही होती है।