लखनऊ। अभी तक आपने मछलियों के मांस के ही बारे में सुना होगा लेकिन अब आप इनके मांस से आचार, पापड़, कटलेट, सेव, चकली जैसे कई उत्पाद बनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
मुम्बई स्थित केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान के प्रोसेसिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने मछली के मांस से कई ऐसे उत्पाद तैयार किए है, जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा से लाभ मिल सके। ”भारत में मछली पालन बहुत तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं भी है। किसानों इस क्षेत्र में और लाभ मिले इसके लिए इनके मांस से कई उत्पाद बनाए गए जिसको किसान बिना किसी ज्यादा खर्च के बनाकर बेच सकता है।” केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान के वैज्ञानिक डॉ सीकेंद्र कुमार ने बताया।
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मछली पालन में मुख्य रूप से छह तरह की मछलियां पाली जाती हैं। इनमें भारतीय मेजर कार्प में रोहू, कतला, मृगल (नैन) और विदेशी मेजर कार्प में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कामन कार्प मुख्य है। इन सभी के मांस से उत्पादों को तैयार किया जा सकता है।
मछली के मांस से अभी तक 10 तरह के उत्पादों को तैयार संस्थान में तैयार किया गया है। डॉ कुमार बताते हैं, ” ”कभी-कभी मछलियों के छोटे साइज की वजह से मछली पालक को बाजार में अच्छे दाम नहीं मिल पाते है। ऐसे में वैल्यू एडिशन करके इनसे कई तरह के उत्पाद तैयार किए जा सकते है।” इस संस्थान में मछली पालकों को नई-नई तकनीक सिखाने के साथ उन्हें उत्पाद बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। मछली के मांस से उत्पाद बनाने की पूरी विधि भी बताई जाती है।
मछली पालन व्यवसाय से देश के डेढ़ करोड़ लोगों की आजीविका जुड़ी हुई हैं। सभी प्रकार के मछली पालन (कैप्चर एवं कल्चर) के उत्पादन को साथ मिलाकर 2016-17 में देश में कुल मछली उत्पादन 11.41 मिलियन तक पहुंच गया है।
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”महिलाएं इसको आसानी से स्वरोजगार के रुप में शुरू कर सकती है। हमारे संस्थान में समय-समय पर उत्पादों को बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। 200 से भी ज्यादा महिलाएं छोटे स्तर पर मछली आचार, पापड़ बना रही हैं और बाजार में उन्हें अच्छे दाम भी मिल रहे हैं।” मछली के मांस से बने उत्पादों को बनाने के लिए डॉ कुमार ने बताया, ”व्यवसायिक स्तर पर कर रहे मछली पालक अगर मछलियों के मांस में वैल्यू एडिशन करेंगे तो इसकी कीमत दोगुनी हो जाएगी।”
अगर आप मछली के मांस से बने उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो यहां संपर्क कर सकते हैं:
केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान
022-26361446