गन्ने के गढ़ कहे जाने वाले वेस्ट यूपी में अब किसान मशरूम की खेती भी करेंगे। कृषि वैज्ञानिकों ने मेरठ सहित वेस्ट यूपी को मशरूम की खेती के अनुकूल माना है। इसी के चलते कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान में वेस्ट की जलवायु के हिसाब से मशरूम की प्रजाति विकसित की जा रही है।
साथ ही किसानों को मशरूम की खेती के प्रति जागरूक करने के लिए गोष्ठियों का आयोजन भी किया जा जाएगा, जिसमें किसानों को उसकी खेती से होने वाले लाभ से लेकर खेती करने के सभी तरीकों पर विशेषज्ञ प्रकाश डालेंगे।
वेस्ट यूपी के किसान मुख्य रूप से गन्ना और गेहूं की फसल ही उगाते हैं। जिसके चलते कई बार शुगर मिल गन्ना खरीदने में हाथ खड़े कर देते हैं, साथ ही पैसा भी समय से नहीं मिलता। इन्हीं सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिक किसानों को दूसरी खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के निदेशक आजाद सिंह पंवार बताते हैं कि हमने सबसे पहले वेस्ट के 14 जनपदों की मिट्टी का परीक्षण कराया था, जिसमें मेरठ सहित मुज्जफरनगर, सहारनपुर, शामली, बिजनौर, अमरोहा, हापुड़, गाजियाबाद की मिट्टी मशरूम के लिए बहुत ही अनुकूल है।
प्रजाति की जा रही विकसित
भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. चंद्रभानू बताते हैं, “मैंने पिछले साल से ही वेस्ट में मशरूम की खेती को बढावा देने के लिए कार्य शुरू कर दिया था। इसी बाबत संस्थान में ऐसा मशरूम मॉडल तैयार किया गया, जो पूरी तरह से यहां की मिट्टी के अनुकूल है। संस्थान में मशरूम की ढिंगरी, बटन, पराली आदि प्रजातियों पर अभी भी काम चल रहा है।
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डॉ. चंद्रभानू बताते हैं कि उत्तर भारत में केवल श्वेत बटन मशरूम की फसल लेने के बाद उत्पादन बंद कर देते हैं। गर्मियों में तापमान अधिक होने के कारण वर्षभर मशरूम उत्पादन जारी नहीं रख पाते हैं। कई उत्पादक ढिंगरी मशरूम की एक या दो फसल लेने का प्रयास करते हैं। यदि उत्पादक दूधिया मशरूम को वर्तमान फसल चक्र में शामिल कर लें तो उत्पादन काल बढ़ जाएगा। इन्हीं सब बातों को लेकर किसानों को जागरूक करने का प्लान है।
वेस्ट यूपी के किसानों के लिए वर्षभर मशरूम उत्पादन का मॉडल विकसित किया जा रहा है, जिसका फायदा लेकर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
डॉ. आजाद सिंह पवार, निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान मेरठ
जलवायु के अनुसार प्रजातियां
देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग मौसम और जलवायु पाए जाते हैं। इसलिए विभिन्न फसलों को हेर-फेर करके उगाने की परंपरा को मौसमी मशरूम उत्पादन में भी लागू किया जा सकता है। मशरूम की विभिन्न प्रजातियों को मई एवं जुलाई में सितंबर तक उगाया जाता है। पहाड़ी क्षेत्र में श्वेत मशरूम को सितंबर से मार्च तक उगाया जाता है, वहीं ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम को वर्षभर कभी भी उगा सकते हैं। मशरूम को अक्टूबर से फरवरी तक तथा दूधिया मशरूम को अप्रैल से जून तक उगाया जा सकता है। यही दूधिया मशरूम वेस्ट यूपी की जमीन व जलवायु के लिए अनुकूल है।