देवांशु मणि तिवारी,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। अनिल त्रिवेदी (49 वर्ष) का 20 बीघा में लगाया गया धान वर्ष 2015 ओलावृष्टि से बर्बाद हो गया था। ओलावृष्टि के कारण अनिल को करीब 50 हज़ार का नुकसान झेलना पड़ा था। तहसील दिवस पर कई बार उन्होंने ने लेखपाल से राहत चेक की अर्जी भी लगाई लेकिन अभी तक उन्हें राहत चेक नहीं मिला है।
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रायबरेली के गंगागंज क्षेत्र के शोरा गाँव के किसान अनिल त्रिवेदी बताते हैं, ‘’ गाँव के ही कई लोगों को 1,000 रुपए के आपदा राहत चेक बांटे गए हैं, पर हमें अभी तक कोई चेक नहीं नहीं मिला है। इसके लिए हमने लेखपाल से पता किया, तो उन्होंने बताया कि चेक बांटे जा रहे हैं, पहले ज़्यादा क्षति वाले किसानों को मदद मिलेगी फिर दूसरे संपन्न किसानों को सहायता दी जाएगी।’’
किसी भी प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने जाने पर किसानों को आर्थिक मदद भेजने के लिए प्राथमिक ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। इसके लिए पैसे राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और राज्य आपदा राहत कोष से भेजे जाते हैं। रायबरेली जिले में वर्ष 2015 में खरीफ की फसल ओलावृष्टि से बर्बाद हो गई थी। इस क्रम में सरकार ने किसानों को आपदा राहत देने का निर्णय लिया था। रायबरेली जिले के हरचंदपुर, ऊंचाहार, सरेनी और बछरावां ब्लॉकों के सैकड़ों किसानों को दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्राकृतिक आपदा राहत चेक नहीं मिला है।
शासन के आदेश पर जिला प्रशासन ने वर्ष 2015 में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर आपदा सहायता राशि भी वितरित की थी, लेकिन अधिकांश किसानों को राजस्व विभाग की लापरवाही के चलते दो वर्षों बाद भी आर्थिक मदद नहीं की गई। गाँवों में कुछ किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें चेक मिलें पर चेक पर नाम गलत छपने से बैंकों ने उन्हें अमान्य घोषित कर दिया।
1,500 रुपए के चेक पर श्यामशरण की जगह श्यामचरण लिखा था, इसलिए जब हमने बैंक में चेक लगाया तो चेक बाउंस हो गया। इसके बाद हमने चेक लेकपाल को वापस कर दिया, दुबारा सही नाम वाला चेक आज तक नहीं आया है।
श्यामशरण दुबेगाँव-इकौना, ब्लॉक-राही, रायबरेली
श्यामशरण बताते हैं, ‘’1,500 रुपए के चेक पर श्यामशरण की जगह श्यामचरण लिखा था, इसलिए जब हमने बैंक में चेक लगाया तो चेक बाउंस हो गया। इसके बाद हमने चेक लेकपाल को वापस कर दिया, दुबारा सही नाम वाला चेक आज तक नहीं आया है।’’जिला कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले सत्र में जिले में सरकार से मिली आर्थिक मदद के बाद 30 प्रतिशत किसानों को ही राहत राशि बांटी गई थी। बचे हुए किसानों को राहत राशि उप्लब्ध कराने के लिए जिले से अतिरिक्त 192 करोड़ रुपए की मांग की गई थी, जिस पर 104 करोड़ की राशि ही मिल पाई थी। सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता में केंद्र का 75 फीसदी और राज्य का 25 फीसदी योगदान होता है। किसी भी तरह की आपदा के बाद राहत देने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है।
सुल्तानपुर जिले के लंभुवा ब्लॉक के सोभीपुर गाँव के निवासी रामखिलावन सिंह (68 वर्ष) के दो हेक्टेयर धान के खेती में एक हेक्टेयर फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी। फसल खराब हो जाने के दो वर्ष बाद भी उन्हें कोई भी चेक नहीं मिला है। रामखिलावन ने बताया, ‘’ओलावृष्टि के कारण हमारी आधी से ज़्यादा धान की फसल खराब हो गई थी। करीब 60 हज़ार का नुकसान हुआ था, लेकिन आज तक एक पैसा नहीं मिला है।’’ बहराइच जिले के धर्मनपुर गाँव के किसान सूबेदार सिंह (54 वर्ष) ने 40 बीघे की धान की फसल वर्ष 2015 में ओलावृष्टि के कारण खराब हो गई थी।
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