आलू-टमाटर के बाद अब मूंगफली किसानों के सामने संकट

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लखनऊ। देश में अपनी मेहनत से बंपर पैदावार करने के बाद भी किसान किस तरह घाटे में जा रहा है, यह देखना हो तो गुजरात के जामनगर के जामखंभालिया मंडी का नजारा काफी है। यहां पर मूंगफली का ढेर लगा हुआ, लेकिन उसका कोई खरीददार नहीं है।

900 रुपए घोषित किया था न्यूनतम समर्थन मूल्य

यहां के किसान विनोद माणिया ने ‘गाँव कनेक्शन’ को फोन पर बताया, ”400 रुपए प्रति कुंतल मूंगफली का दाम व्यापारी लगा रहे हैं, इतने में बेचने पर तो लागत भी नहीं निकलेगी।” आगे कहा, “गुजरात चुनाव से पहले राज्य सरकार ने मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य 900 रुपए घोषित किया था, लेकिन चुनाव के बाद दाम एकाएक गिरा दिए गए हैं।“

क्रय केंद्रों का भी बुरा हाल

पिछले दो साल से अच्छा मानसून रहने के बाद इस साल मूंगफली की अच्छी पैदावार हुई है। मूंगफली के खेती के लिए प्रसिद्ध गुजरात के जूनागढ़ जिले के केशव तालुका के किसान मगनभाई ने बताया, ”मूंगफली की खरीद के लिए सरकार की तरफ से खोले गए क्रय केन्द्रों का बुरा हाल है। दिनभर लाइन में लगने के बाद भी खरीद नहीं हो रही है।”

उत्पादन बढ़ा, मगर घाटे में किसान

नगदी फसल रूप में किसानों की पसंद मूंगफली की देश में सबसे ज्यादा खेती गुजरात में होती है। इसको देखते हुए यहां के जूनागढ़ में ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मूंगफली अनुसंधान निदेशालय खोला है। किसानों की मेहनत की बदौलत देश में हर साल मूंगफली का उत्पादन तो बढ़ा, लेकिन मूंगफली किसान घाटे में जा रहे हैं। यह हाल तब है जब मूंगफली के आढ़ती विदेशों में मूंगफली निर्यात करके करोड़ों का फायदा कमा रहे हैं।

5456 करोड़ कीमत की मूंगफली निर्यात

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानि एपीडा के रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वर्ष 2016-17 के दौरान 5456.72 करोड़ रुपए की कीमत की 7,26,535.91 मीट्रिक टन मूंगफली का विश्व को निर्यात किया है।

राजस्थान और गुजरात में स्थिति विस्फोटक

गुजरात के किसानों की स्थिति पर करीब से काम करने वाले नवनीत पटेल ने बताया, ”गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश जैसे मूंगफली उत्पादक राज्यों में मूंगफली पैदा करने वाले किसान निराश हैं। राजस्थान और गुजरात में तो स्थिति विस्फोटक है।”

‘गाँव के लोग खेती करना छोड़ रहे’

पिछले दो सालों से मूंगफली का अच्छा दाम नहीं मिलने से किसान इसकी खेती करने कतरा रहे हैं। बड़ोदा जिल के बाघोड़िया गाँव के किसान भावेश पटेल बताते हैं, “हर साल मूंगफली की अच्छी पैदावार होन के बाद भी इसका अच्छा रेट नहीं मिलता है, इसलिए उनके गाँव के लोग अब इसकी खेती छोड़ दिए हैं।“ उन्होंने बताया, “सरकार किसानों को पूरा मूंगफली खरीद नहीं पाती और सरकार के पास गोदाम भी नहीं हैं। ऐसे में मूंगफली की खेती करना एक घाटे का सौदा है।“

इतना भी पैसा नहीं मिलता है

राजस्थान का बीकानेर क्षेत्र भी मूंगफली की खेती के लिए जाना जाता है। यहां पर मूंगफली का उचित दाम नहीं मिलने से किसान आक्रोशित हैं। यहां के किसान आसुराम गोदारा ने बताया, “एक हेक्टेयर मूंगफली की खेती में 89,240 रुपए का कम से कम खर्च आता है, लेकिन जब उपज बेचने की बात आती है तो इतना भी पैसा नहीं मिलता है।“

देश में घटा मूंगफली की खेती का रकबा

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के तहत आने वाले इंडियन आयलसीड्स एंड प्रोड्यूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की खरीफ मूंगफली सर्वे 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस साल देश में मूंगफली की खेती का क्षेत्रफल 11.8 प्रतिशत घटा है। वर्ष 2016 में जहां पूरे देश में 47,07,500 हेक्टेयर में मूंगफली की खेती हुई थी, वहीं इस साल 41,52,500 हेक्टेयर में हुई है।

गुजरात का हिस्सा सबसे ज्यादा

देश में मूंगफली की खेती में गुजरात का हिस्सा सबसे ज्यादा 39.1 प्रतिशत है, वहीं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक का 16 से लेकर 9.1 प्रतिशत है। विश्व में भारत मूंगफली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह देश में प्रमुख तेल बीज फसल भी है। देश में वनस्पति तेलों की कमी को पूरा करने में यह प्रमुख भूमिका भी निभाती है। देश में मार्च और अक्टूबर में दो फसल चक्र होने के कारण मूंगफली पूरे साल उपलब्ध रहती है।

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