किसानों के बीच बीज विनिमय नेटवर्क हो विकसित

भारत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश वैज्ञानिक और प्राकृतिक संसाधन संपन्न प्रदेश होने के बाद भी अधिकतर बीजों की मांग की पूर्ति निजी क्षेत्र की बीज कंपनियों की तरफ की जा रही है। जिससे किसानों को जो बीज सस्ता मिलना चाहिए वह महंगा खरीदना पड‍़ता है। ऐसे में किसानों के बीच बीज विनिमय नेटवर्क विकसित किया जाना चाहिए। साथ ही प्रदेश में जैविक कृषि निदेशालय अथवा कृषि निदेशालय के अंतर्गत अलग से जैविक कृषि यूनिट की स्थापना किए जाने की संस्तुति की गई।

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यह यूनिट निदेशालय जैविक कृषि के बीज उत्पादन से लेकर फसल उत्पादन तथा बाजारीकरण के समस्त बिन्दुओं पर पॉलिसी एवं रेगुलेटरी इश्यूज को नियंत्रित करेगी। जिससे उत्तम बीज का उत्पादन होगा और प्रजातियों का बेमेल मिश्रण कम होगा। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से मंगलवार को ” प्रजेंट स्टेटस ऑफ सीड डिमाण्ड, अवलेबिलिटी एण्ड स्ट्रेटेजीस टू ब्रिज द गैप (पल्सेस एण्ड वेजीटेबिल्स)” विषय पर एक दिवसीय ब्रेन स्टार्मिंग सेशन में यह संस्तुति देशभर से आए कृषि वैज्ञानिकों ने दी।

इस कार्यक्रम में देश के बीज उत्पादन क्षेत्र के प्रख्यात वैज्ञानिक सह सहायक महानिदेशक (बीज) आईसीएआर डा. जेएस चौहान, पूर्व एडीजी सीड्स डा. आरसी चौधरी, डा. आरपी कटियार, डा. एम.सी. खरकवाल, डा. हरिहर राम, प्रदेश स्थित आईसीएआर संस्थाओं के निदेशक सहित प्रदेश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के बीज उत्पादन अधिकारी, संबंधित प्रजनक और कृषि तथा उद्यान निदेशालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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