लखनऊ। देश में टमाटर के दाम भी आखिर सेसेंक्स की तरह कभी ऊंचाइयों को छूता है तो कभी क्यों धड़ाम हो जाता है। टमाटर के घटते-बढ़ते दामों के पीछे का खेल क्या है? इसको जानने के लिए बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के कृषि विज्ञान संस्थान ने पहली बार अध्ययन किया।
यह देश का पहला कृषि संस्थान है जिसने किसानों और उपभोक्ताओं के हित के टमाटर के दामों को सच जानने के लिए एक दो नहीं बल्कि पिछले 14 सालों में टमाटर के दाम में कैसे चढ़ाव आया इसकी पड़ताल की।
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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट के प्रोफेसर और क्वार्डिनेटर डॉ. राकेश सिंह के नेतृत्व में ” टमाटर मार्केट इंटेलीजेंस परियोजना ” के तहत पिछले 14 वर्षों में देशभर में टमाटर की पैदावार, मंडियों में टमाटर की आवक और मूल्यों का अध्ययन किया गया। जिसमें पता चला कि पिछले 14 वर्षों में देश में टमाटर की पैदावार तो बढ़ती रही लेकिन इसका लाभ न तो टमाटर उगाने वाले किसानों को हुआ और न ही आम उपभोक्ताओं को। टमाटर की जमाखोरी करके व्यापारी और बिचौलियों ने टमाटर के नाम पर खूब पैसा बनाया। सरकार से लेकर विपक्ष तक ने टमाटर के नाम पर सिर्फ राजनीति की लेकिन टमाटर के नाम पर देश में क्या हो रहा है, इसकी सच्चाई कभी सामने लाने की कोशिश नहीं की।