आम की खेती करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी समस्या आती है, बौर तो काफी मात्रा में आते हैं, लेकिन फल लगने के बाद गिरने लगते हैं। ऐसे में किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं।
किसानों के ऐसे ही कई सवालों के जवाब इस हफ्ते के पूसा समाचार में दिए गए हैं। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हर हफ्ते किसानों के लिए पूसा समाचार जारी करता है। संस्थान के फल एवं बागवानी संभाग के डॉ जय प्रकाश किसानों को फसल बचाने की सलाह दे रहे हैं।
इस समय आप के पेड़ों पर छोटे-छोटे फल आ गए हैं, इसी समय हम देखते हैं कि बहुत से फल जमीन पर नीचे गिरे हुए दिखते हैं। इन फलों को गिरने से बचाने के लिए इस समय किसानों को सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग बहुत अच्छे से करना चाहिए। क्योंकि आम के पौधों में फूल और फल लगने के बाद से ऑक्जीन नाम के हार्मोन की कमी हो जाती है, जिसका मुख्य स्रोत जिंक होता है, यही नहीं बोरान की कमी के चलते भी फलों की वृद्धि रुक जाती है।
ऐसे में किसानों को सूक्ष्म पोषक तत्वों की मदद लेनी चाहिए, जोकि बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण (जिंक व बोरॉन) की 2.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतराल में तीन बार छिड़काव करना चाहिए। इससे फलों के गिरने की समस्या कम हो जाती है।
आम की बहुत सारी किस्मों में अभी फल नहीं आए हैं, इसलिए पाउडरी मिलड्यू से बचने के लिए किसानों को खास ध्यान देना चाहिए। इस समय किसानों को सल्फर वेटेवल पाउडर की 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर की दर से दो बार छिड़काव करना चाहिए।
आम का भुनगा एक खतरनाक कीट होता है, जो आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है। यह बौर कलियों और मुलायम पत्तियों पर एक-एक कर अंडे देते हैं और शिशु अंडे से एक हफ्ते में बाहर आ जाते हैं। बाहर आने पर शिशु और वयस्क कीट आम के बौर, पत्तियों और फलों के मुलायम हिस्सों से रस चूस लेते हैं। इससे बौर नष्ट हो जाते हैं।बाद में फल भी गिरने लगते हैं।
भुनगा एक मीठा और चिपचिपा द्रव्य भी निकालते हैं, जिस पर काली फफूंदी (सूटी मोल्ड) लग जाती है, काली फफूंद के लगने से पत्तियों में प्रकाश संष्लेशण की प्रक्रिया रुक जाती है। वैसे तो साल भर भुनगा कीट आम के बाग में दिखते हैं, लेकिन फरवरी से अप्रैल के बीच इनका प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है।
तापमान बढ़ने के साथ ही बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है, अगर इस समय आपके बाग में भुनगा कीट का प्रकोप दिखाई दे तो जल्द ही इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली प्रति लीटर पानी) और साथ में स्टिकर (एक मिली प्रति लीटर पानी) छिड़काव करें।
कीट प्रबंधन के लिए अपनाएं यह उपाय
थ्रिप्स (रूजी) : कीटनाशक थियामेथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी (0.3 ग्राम/लीटर) के साथ छिड़काव करें।
थ्रिप्स और भुनगाः थियामेथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी (0.3 ग्राम/लीटर)
सेमीलूपर: लैम्बडा-सियालोथ्रिन 5 ईसी (1 मि.ली./लीटर) का छिड़काव करें
भुनगा और सेमीलूपर: इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत $ लैम्बडा-सायलोथ्रिन 5 ईसी (1.5 मि.ली./लीटर)