आम की ख़ेती करने वाले 40 दिनों में ही निपटा लें ये ज़रूरी काम

देश के कई राज्यों में किसान आम की खेती करते हैं और यही उनकी कमाई का ज़रिया है। ऐसे में ज़रूरी है इससे जुड़े किसान तय समय पर सिंचाई,कीट प्रबंधन और पोषक तत्वों सहित कृषि से जुड़े दूसरे कामों का ध्यान रखें।
#mango

यह समय आम के बागों के लिए ख़ास है, इसके लिए ज़रूरी है नियमित अंतराल पर सिंचाई होती रहे। ऐसी जगह जहाँ पर ज़मीन हल्की बलुई है, वहाँ पर एक सप्ताह में पानी देने की व्यवस्था होनी चाहिए। जहाँ चिकनी मिट्टी है, वहाँ पर दस दिनों के अन्तराल पानी देना ज़रूरी होता है।

जिंक, बोरान, आइरन, मैगजीन, कॉपर, इन सभी के घोल आसानी से उपलब्ध होते हैं और अगर दो मिमी मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पेड़ों पर छिड़काव करते हैं तो फलों की वृद्धि में फ़ायदा होगा और उनकी क्वालिटी भी बेहतर होगी।

जहाँ तक अगेती किस्मों की बात हैं खासकर उत्तर भारत में तो जैसे दशहरी, बॉम्बे ग्रीन या फिर गौरजीत है। इसके साथ ही भारतीय अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किस्म पूसा लालिमा है। इनके फल 15 से 20 जून तक तैयार होना शुरू हो जाते हैं। इसलिए अगर जून के पहले सप्ताह में पोटेशियम का छिड़काव किया जाता है तो फलों की गुणवत्ता बरक़रार रहने के साथ उनके भंडारण क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

इसके लिए किसान भाई पोटेशियम क्लोराइड ले सकते हैं या पोटेशियम नाइट्रेट लें, अगर दोनों रसायन नहीं है तो पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग कर सकते हैं और उसके एक प्रतिशत का घोल बनाकर एक बार छिड़काव करने से काफी लाभ होगा।

ऐसा देखा गया हैं कि ईट के भट्टों से ज़हरीली गैस निकलती हैं, ख़ासकर सल्फर डाई ऑक्साइड, उससे आम में कोयलिया रोग हो जाता है। इस से बचाव के लिए किसानों को मई महीने में ही 10 ग्राम बोरेक्स को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

इस समय जो प्रमुख कीट आम के बागों में देखा जा रहा है, वह फल मक्खी कीट है। उसकी मादा फल की सतह पर छिलके के नीचे अंडे देती हैं। उन अण्डों से लार्वा निकल कर के गोदे को खाता हैं और जो प्रभावित भाग होता है वहाँ पर सड़न पैदा हो जाती है। ऐसे फल खाने योग्य नहीं होते हैं और वो पेड़ से गिर जाते हैं।

कुछ किसान भाइयों ने ज़रूर ही फल मक्खी ट्रैप अपने बाग में लगा लिया होगा, उन्हें इस बात की सबसे ज़्यादा सावधानी रखनी होगी कि 15 से 20 दिनों के अंतराल पर जो उपचारित लकड़ी फल ट्रैप पर रखी होती है, उसको बदलना जरूरी होता है। जिन्होंने अभी फल मक्खी ट्रैप नहीं बदला हैं उनको जल्द से जल्द फल मक्खी ट्रैप लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

सामान्य तौर पर एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 12 से 15 फल मक्खी ट्रैप पर्याप्त होता है। अब बात आती है फल मक्खी ट्रैप की लकड़ी को उपचारित कैसे करें ? इसके लिए तीन रसायनों की ज़रूरत होती है।

पहला इथाइल एल्कोहल, जिसकी 6 भाग मात्रा ले लें।

दूसरा मिथाइल यूजेनाल, इसकी 4 भाग मात्रा लें।

तीसरा कीटनाशी जैसे स्पाइनोशेड इसकी 3 भाग मात्रा लें।

इन सब का घोल बना लें, और एक प्लाईवुड के टुकड़े को इस घोल में कम से कम 72 घंटों तक भिगों दें।

इसके साथ ही किसान भाई 40 मिली स्पाइनोशेड की मात्रा को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर कम से कम 2 बार छिड़काव 10 से 15 दिनों के बीच में करें, इससे फल मक्खी प्रबंधन में काफी लाभ होता है।

ऐसे बाग जहाँ पर अभी पेड़ छोटे हैं या अभी फल नहीं आ रहे हैं, उसको इस गर्मी से बचाने के लिए नियमित सिंचाई करना ज़रूरी होता है।

वो किसान भाई जो अभी विचार कर रहे हैं कि आने वाले मानसून में नया बाग लगाएँगे, उनके लिए भी ये समय बहुत ख़ास है। उन्हें मई से जून के पहले पखवाड़े में ही गड्ढे खोदने की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। ये ध्यान रखना चाहिए की जो खुला हुआ गड्ढा है उसको 20 से 25 दिनों के लिए चिलचिलाती धूप में खुला रखें, जिससे उसमें जो भी रोगाणु या कीटाणु हो नष्ट हो जाएँ। इससे आने वाले दिनों में हम उसमें पौधे लगाएँगे तो कोई नुकसान नहीं होगा।

डॉ मनीष श्रीवास्तव आईएआरआई में कृषि वैज्ञानिक हैं   

Recent Posts



More Posts

popular Posts