इस साल आम लोगों की पहुँच से क्यों दूर हो सकता है ‘आम’

मार्च की शुरुआती गर्मी, उसके बाद बेमौसम बरसात और अप्रैल, मई में तापमान में गिरावट ने आम के फूल और फलों के बनने को प्रभावित किया है। देश के सबसे बड़े आम उत्पादक उत्तर प्रदेश के उन्नाव में आम के किसान मायूस हैं।
mango farmer

उन्नाव, उत्तर प्रदेश। देश में आम के शौकीनों के लिए इस बार अच्छी खबर नहीं है। उन्नाव जिला आम की कई किस्मों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण आम के बौर को काफी नुकसान हुआ है। इसके चलते इस साल लोगों को आम खाने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी।

“अब सब कुछ ऊपरवाले के हाथ में है। जो होना है सो होकर होगा, “उन्नाव जिले की सफीपुर तहसील के झब्बा खेड़ा गांव के योगेंद्र दास गांव कनेक्शन को बताते हैं।

“जब आम के फूल खिलते थे, तो वे अच्छे लगते थे और मैं एक भरपूर फसल की आशा करता था, लेकिन मार्च में तेज गर्मी पड़ी और फूल सूख गए, “65 साल के आम किसान योगेंद्र कहते हैं। उनके पास आम का एक बाग़ है जो चार बीघे में है।

वे कहते है, “कई नाजुक फूल मुरझा गए। जो कुछ बचे हैं वे आम देंगे, लेकिन उपज तो कम होगी ही। हमने एक बीघा में 25,000 रुपये खर्च किया है। बस लागत निकल जाए अब तो यही प्रार्थना कर रहे हैं। मुनाफा तो दूर की बात है।” (1 बीघा = 0.25 हेक्टेयर)

पिछले साल भी मार्च महीने में अचानक तापमान बढ़ने से आम की फसल पर असर पड़ा था। मार्च 2022 पिछले 122 साल में सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया था। भारत में आम के उत्पादन में कोई भी बदलाव अंतरराष्ट्रीय समाचार बन जाता है, क्योंकि दुनिया के लगभग आधे आम भारत में पैदा होते हैं।

राम जीवन तिवारी (62वर्ष) झब्बा खेड़ा से 10 किलोमीटर दूर दरौली गाँव में रहते हैं। रामजीवन के पास आठ बीघा आम के बाग है। वे बाग में पेड़ों और फलों को दिखाते हुए बताते हैं, ” आम की फसल में पहले की बारिश ने नुकसान पहुँचाया था। क्योंकि बौर (फूल) के समय जब बारिश होती है तो उससे नुकसान होता है। क्योंकि बारिश का पानी बौर पर रुक जाता है। इससे फूल में रोग लगने लगता है। यही वजह रही कि इस बार बौर के समय की बारिश से फूल मर गया था। जो बचा था उसमें लासी (रोग का एक प्रकार) लग गई । दवा डालने से भी लासी खत्म नहीं हुई। मई में हुई जोरदार बारिश से लासी धुल गयी है।”

रामजीवन आगे बताते हैं कि मौसम के बार बार के बदलाव से फसल में नुकसान पहुँचता है। फल की वृद्धि रुक जाती है। इस बार अभी तक आम में जाली नही पड़ी है जबकि पिछले सालों में एक मई के बाद अमिया टूटने वाली हो जाती थी। बारिश से फायदा तो हुआ है लेकिन अचानक से धूप और गर्मी बढ़ती है तो नुकसान होने की संभावना बढ़ जाएगी।

बदलते मौसम से बीमारी भी बढ़ी है

उन्नाव के धौरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक जय कुमार यादव गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “मौसम की मार का आम की खेती पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। आम के फूलों के खिलने के समय बहुत अधिक गर्मी नहीं होनी चाहिए, लेकिन इस साल ऐसा हुआ और फूल मुरझा गए।”

उनके मुताबिक, इस साल फूल काफी थे लेकिन मार्च में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ गया जो एक आपदा थी। फरवरी में भी तापमान जितना होना चाहिए था, उससे कहीं अधिक था।

जो फूल गर्मी झेल कर भी बच गए उन्हें मार्च के अंत में बारिश ने खराब कर दिया। बारिश के चलते कीट का प्रकोप होने से बचे फलों को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

“किसानों की बदहाली कम नहीं हुई है क्योंकि जिन लोगों ने कीटनाशकों का छिड़काव किया था, उसने गर्मी के साथ मिलकर फसल को बर्बाद कर दिया, “यादव ने समझाया।

झब्बा खेड़ा गाँव के दास ने कहा कि उन्होंने देखा है कि कैसे पिछले कुछ वर्षों से मौसम का पैटर्न अनियमित होता जा रहा है।

“अब बहुत गर्म है। ऐसे में आम में कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है। एक समय था जब आम बिना किसी कृत्रिम सहायता के स्वाभाविक रूप से पकते थे। मुझे इस बार आमों पर तीन बार छिड़काव करना पड़ा। पहले के मुकाबले इस बार पैदावार काफी कम होगी। उम्मीद थी कि किसी तरह लागत वसूल हो जाएगी, पर मुश्किल है, ”उन्होंने कहा।

इस बीच, हाल की बारिश ने उन्नाव के रघुवीर सिंह जैसे किसानों को कुछ राहत दी है। 74 साल के रघुवीर ने गांव कनेक्शन को बताया, “बारिश ने कुछ राहत दी और उन फलों को बचा लिया जो चिलचिलाती गर्मी से बमुश्किल बचे थे, नहीं तो मैं सब कुछ खो देता।”

सिंह रघुवी के पास दो बीघा आम के बाग हैं। वे कहते हैं कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल से उनका खर्चा भी बढ़ गया है, जबकि उत्पादन में कमी आई है।

एक नज़र आम उत्पादन पर

एक आकड़े के मुताबिक भारत अकेले करीब आधी दुनिया का आम उत्पादन करता है जो साल 2019-20 (जुलाई-जून) के दौरान 20.26 मिलियन टन तक पहुंच गया था। यहां आम की लगभग 1,000 किस्में उगाई जाती हैं, लेकिन व्यावसायिक रूप से केवल 30 का ही इस्तेमाल किया जाता है।

भारतीय बागवानी के रिकॉर्ड के अनुसार, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर ) द्वारा तैयार किया जाता है, उत्तर प्रदेश देश में आम का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और बिहार हैं।

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के पांच ब्लॉक – सफीपुर, हसनगंज, मियागंज, बांगरमऊ और औरास आम बेल्ट के रूप में जाने जाते हैं। आम इस क्षेत्र की प्रमुख फसल है और यहां की अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह से आम के उत्पादन पर निर्भर करती है।

इस साल आम का उत्पादन जैसा भी हो, देश में आम निर्यात बढ़ रहा है। विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट की अनुसार भारत से ताजा आमों का निर्यात 1987-88 में 20,302 टन से बढ़कर 2019-20 में 46,789.60 टन हो गया था।

लेकिन उत्तर प्रदेश के आम किसानों के लिए यह साल मुश्किलों भरा नज़र आ रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक जय कुमार यादव की शब्दों में , ” अभी का पूर्वानुमान आम के लिए अच्छा नहीं है। बदलते जलवायु पैटर्न ने इस साल आम किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है।”

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