सितंबर के आखिर में किसान रबी की फसलों की तैयारी शुरू कर देते हैं, खरीफ की फसलें लगभग तैयार हो चुकी हैं, ऐसे में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए ज़रूरी सलाह जारी की है।
- मानसून वापसी आरंभ होने के कारण कृषि गतिविधियों की योजना बनाते समय दैनिक मौसम परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखा जाए।
- जिन फसलों में फूल आने की अवस्था है उसमें किसी भी रसायन का छिड़काव नहीं करना चाहिए।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मानसूनी वर्षा स्थगित होने के कारण दलहनी, तिलहनी और आलू की फसलों की बुवाई के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हैं।
- वातावरण में तापमान बढ़ने के साथ ही नमी की अधिकता कारण रोग और कीट का प्रकोप बढ़ने की स्थिति में कीट नियंत्रण के लिए पर्यावरण हितैषी उपायों जैसे प्रकाश-प्रपंच, बर्ड पर्चर, फेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोग्रामा और रोग नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करें। कीट और रोग नियंत्रण के लिए कीटनाशी रसायनों का प्रयोग अंतिम उपाय के रूप में करें।
- किसानों और पशुपालकों के घर पर पशु चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए विभाग के द्वारा मोबाइल वेटनरी यूनिट योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1962 पर सम्पर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं।
- धान में फूल खिलने और दुग्ध अवस्था में पर्याप्त नमी प्रत्येक दशा में बनाये रखें।
- जिन कृषकों ने बीज के लिये धान की फसल ली है उन्हें सलाह दी जाती है कि वह खेत से अवांछित पौधों को हटा दें।
- गंधी कीट बाली की दुग्धावस्था में और सैनिक कीट बाली की परिपक्वता अवस्था में लगता है। गंधी कीट 2-4 कीट प्रति पुंज और सैनिक कीट की 4-5 सूड़ी प्रति वर्ग मीटर दिखाई देने पर कार्बोफ्यूरान 0.3 प्रतिशत सी.जी. 25 किग्रा. या मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय बुरकाव करें। केवल गंधी कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत की 2.50 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- देर से बोई गई उर्द/मूंग में फली बेधकों से 5 प्रतिशत प्रकोपित फली पाये जाने पर बीटी. 5 प्रतिशत डब्लू.पी. 1.5 किग्रा या इंडोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. 400 मिली. या क्यूनालफास 25 ई.सी. 1.50 लीटर या फेनवलरेट 20 ईसी. 750 मिली. या साइपरमेथ्रिन 10 ईसी. 750 मिली. या डेका मेथ्रिन 2.8 ई.सी. 450 मिली. का प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- तोरिया की बुवाई अगर अभी तक नहीं की है तो पूरे प्रदेश प्रदेश के लिए संस्तुत भवानी प्रजाति की बुवाई 30 सितम्बर तक कर लें।
- प्रदेश के लिए स्वीकृत गन्ना किस्मों की को.शा. 13235, को.लख. 14201, को. 15023, को. 0118, को.शा.17231, को.शे. 13452 और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए जारी किस्मों को.लख.-15466 व 16466 की बुवाई करें। शरद कालीन गन्ना बुवाई से पहले मिट्टी की जांच ट्राइकोडर्मा (10 किग्रा. प्रति हेक्टेयर) और बीज उपचार बाविस्टिन 0.01 प्रतिशत या थायोफिनेट मिथाइल 0.01 प्रतिशत से ज़रूर करें। गन्ने में पायरीला, मिली बग और शल्क कीट के गंभीर प्रकोप की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- आलू की अगेती किस्मों जैसे कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ख्याति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी कंचन और कुफरी अशोका की बुवाई करें।
- नए बागों में जो पौधें किसी कारण से मर गए हों, उनकी जगह पर जल्द से जल्द नए पौधे लगाएं।
- लम्पी स्किन रोग (एलएसडी) एक विषाणु जनित रोग है, जिसकी रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग द्वारा टीकाकरण प्रोग्राम चलाया जा रहा है। सभी कृषक/पशुपालन अपने निकटतम पशु चिकित्सालय से सम्पर्क कर इसकी रोकथाम संबंधी उपाय और टीकाकरण की जानकारी ले सकते हैं।
- जहाँ खुरपका और मुंहपका बीमारी (एफ.एम.डी.) का प्रकोप है, वहाँ टीकाकरण सभी पशु चिकित्सालय में कराया जा रहा है। यह सुविधा सभी पशुचिकित्सालयों पर मुफ्त उपलब्ध है। बड़े पशुओं में गलाघोटू बीमारी की रोकथाम के लिए एच.एस. वैक्सीन से और लंगड़िया बुखार की रोकथाम के लिए बी क्यू वैक्सीन से टीकाकरण करायें।
- ये बारिश के मौसम के जाने का समय है, इसलिए मछली पालकों को तालाब के बंधों और तालाब के अंदर उग आए खरपतवार की सफाई करनी चाहिए। मत्स्य पालकों को मत्स्य बीज की वृद्धि के लिए पूरक आहार का इस्तेमाल तालाब में मछलियों के भार का एक से दो प्रतिशत हर दिन के हिसाब से करना चाहिए।
- रेशम कीट पालन के इच्छुक किसान अपने नजदीकी रेशम अधिकारी/प्रभारी से संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर कीटपालन कर सकते हैं।