धान की सीधी बुवाई करते समय आप भी तो नहीं करते हैं ये गलतियाँ

धान की सीधी बुवाई का ये सही समय है, लेकिन इसकी बुवाई करते समय किसान कुछ ज़रुरी बातों का ध्यान नहीं रखते हैं, जिसके कारण उन्हें कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसी से जुड़ी है ये रिपोर्ट।
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धान की सीधी बुवाई के तीन फायदे होते हैं। सबसे पहला फ़ायदा है, पानी की बचत 

दूसरा इससे श्रम की बचत होती है। (धान की रोपाई की करीब 3000- 4000 रुपए प्रति एकड़ बचत होती हैं)

तीसरा बड़ी बात है ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 30 से 35 प्रतिशत की कमी आती है।

इसकी अगर जल्द तैयार होने वाली किस्मों की बात करें तो उनमें पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1692 , और पूसा बासमती 1847 शामिल हैं। ये किस्में 120 से लेकर 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके अलावा जो बीच की अवस्था की फसलें हैं, जो140 दिन में पककर तैयार होने वाली हैं उनमें पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1718, और पूसा बासमती 1885 शामिल हैं।

ज़्यादा किस्में 155 से 160 दिन में पककर तैयार होती हैं। इनमें पूसा बासमती 1401, पूसा बासमती 1728 और पूसा बासमती 1886 शामिल हैं। ख़ास बात ये है कि पूसा बासमती 1847 (प्रतिरोधक क्षमता, जीवाणु झुलसा रोग/झोंका ब्लास्ट रोग) और पूसा बासमती 1885 पूसा बासमती 1886 पत्ती के झौंका झुलसा रोग के रोधी किस्में हैं।

ये सभी किस्में धान की सीधी बिजाई के लिए सही पायी गई हैं, बहुत सारे किसान भाई पूसा बासमती 1509, 1121 को लम्बे समय सें धान की सीधी बुवाई में इस्तेमाल कर रहे हैं।

संभव हैं, कुछ किसान भाई पहले से धान की सीधी बिजाई कर चुके होंगे, या कुछ नर्सरी डालने की तैयारी में होंगे। ऐसे में इससे जुड़ी सावधानी जानना भी ज़रूरी है।

पहली बात आती हैं बीज की क्या मात्रा हम प्रयोग करेंगे। बीजों को सीड ड्रिल के द्वारा बुवाई करने पर करीब आठ किलो बीज प्रति एकड़ लगता है।

लेकिन सबसे पहले बीजोपचार करें, इसके लिए 10 प्रतिशत नमक के घोल में बीज डुबोकर रखना चाहिए। 10 प्रतिशत नमक का घोल बनाने के लिए एक किलो नमक को 10 लीटर पानी में घोल लेते हैं। इसमें करीब आठ किलो बीज डालकर थोड़ी देर तक किसी डंडे से हिलाइए। जो भारी बीज हैं वो नीचे बैठ जाएंगे वो हल्के बीज हैं वो ऊपर तैरते रहते हैं। हल्के बीज निकालकर फेंक देना चाहिए और जो बीज नीचे सतह पर बैठ जाते हैं, उन्हें तीन-चार बार धो देना चाहिए, जिससे नमक का प्रभाव कम हो जाए।

अब इन बीजों को उपचारित करते हैं इसके लिए दो दवाएँ हैं।

स्ट्रेप्टोसाइक्लीन जिसकी 2 ग्राम मात्रा और बाविस्टीन जिसकी 20 ग्राम मात्रा 10 लीटर पानी में घोल बनाते हैं। इसके बाद इसे नमक पानी से छानकर निकाले गए आठ किलो बीज को इस घोल में 24 घंटे के लिए डुबोकर रख देते हैं। 24 घंटे के बाद बीज को बाहर निकालकर छाया में अच्छी तरह से सुखाकर रख देते हैं। अब ये बीज बुवाई के लिए तैयार है।

अब बात धान खेती की बुवाई की, जिसके दो प्रमुख तरीके होते हैं।

एक है तरबतर विधि, जिसमें ज़्यादा पानी लगता है। इसके लिए गेहूँ की कटाई के बाद जो खेत हैं, उसकी अच्छी तरह जुताई कर लेते हैं। इसके बाद उसे अच्छे से बराबर कर उसमें पानी लगा देते हैं। इसके बाद उसकी दो-तीन बार और जुताई कर लेते हैं।

ऐसा करने से जो नमी है लम्बे समय तक बनी रहती है, अब ये खेत बिजाई के लिए तैयार है। इसमें जीरो ड्रिल मशीन या लकी सीडड्रिल मशीन से बुवाई करते हैं। इस विधि में कतार से कतार की दूरी करीब आठ इंच और गहराई करीब डेढ़ इंच के आसपास रखते हैं। बिजाई करने के बाद पाटा लगा देते हैं, इसमें लगभग सात-आठ दिनों में अंकुरण होने लगता है।

दूसरा तरीका जो हम बुवाई के लिए इस्तेमाल करते हैं उसमें गेहूँ की कटाई के बाद खेत की जुताई करके खेत को बराबर कर लेते हैं। पहले हम ड्रिल से धान की बुवाई कर देते हैं और उसके बाद हम पानी लगाते हैं। पानी लगाने के बाद उसमें अंकुरण जल्दी हो जाता है, लेकिन उसमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि उसमें बीज की गहराई कम रखी जाती है।

इसी तरह से हम पानी बुवाई के बाद लगाते हैं, तो उसमें अगले दिन या एक दो दिन बाद खेत में चलने लायक हो जाता है। उस समय हमें पेन्डीमेथलीन दवा का छिड़काव कर लेना चाहिए।

अगर हम तर बतर विधि से धान की सीधी बुवाई करते हैं तो इसमें खरपतवार का नियंत्रण अच्छी तरह से हो जाता है। क्योंकि पहली बार जब हम पानी लगाते हैं उसके बाद अंकुरण खरपतवार का हो जाता हैं। जुताई करने के साथ खरपतवार खत्म हो जाता हैं ।

अगर आप इस बात का ध्यान रखें कि अपने खेतों में उसी किस्म के बीज़ को दूसरी बार लगा रहे हैं तब तो कोई चिंता की बात नहीं है। लेकिन किस्म आप बदल रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि जब हम बुवाई के तुरन्त पानी लगाते हैं तो उस तरीके में खरपतवार की समस्या थोड़ी आती है। ऐसे में पेंडीमेथलीन का छिड़काव करते हैं तो खरपतवार का शुरू में नियंत्रण होता है।

इसके बाद करीब 20 से 22 दिन बाद हम खेत में पानी लगाते हैं । पानी लगाने के बाद जब चलने लायक हो जाता है तब नॉमिनी गोल्ड दवा का छिड़काव करते हैं। इसमें करीब सौ मिली मात्रा में दवा 200, 250 लीटर पानी में घोल करके उसका छिड़काव करते हैं। इससे जो खरपतवार उगे होते हैं वो नष्ट हो जाते हैं और फ़सल भी अच्छी होती है।

एक बात और, धान की सीधी बिजाई करने का सबसे सही समय 25 मई से 10 जून तक का होता है। अगर आपने नहीं किया है तो आपके पास समय है।

डॉ अशोक कुमार सिंह, आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक हैं।

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