कृषि विशेषज्ञों की सलाह: इस समय अरहर के साथ ही करें ज्वार, मक्का, बाजरा जैसी फसलों की बुवाई की तैयारी

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए मौसम आधारित संबंधित कृषि सलाह जारी की है।
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इस समय ज्यादातर किसानों ने खरीफ की फसलों की तैयारी शुरू कर दी है। शुरू से कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान बढ़िया उत्पादन सा सकते हैं।

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए मौसम आधारित संबंधित कृषि सलाह जारी की है।

रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतो की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दें ताकि सूर्य की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीटों के अण्ड़े और घास के बीज नष्ट हो जाएंगे।

ज्वार, मक्का, बाजरा आदि चारा फसलों की बुवाई इस सप्ताह कर सकते हैं। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी जरूरी है। बीजों को 3-4 सेमी. गहराई पर डाले और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेमी. रखें।

अरहर की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। किसानों को सलाह है कि वे बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम और फास्फोरस में घुलनशील बेक्टीरिया से अवश्य उपचार कर लें। इस उपचार से बीजों के अंकुरण और उत्पादन में वृद्धि होती है। अरहर की उन्नत किस्में:- पूसा- 2001, पूसा- 991, पूसा- 992, पारस मानक, UPAS 120।

तापमान अधिक रहने की संभावना को देखते हुए, किसान तैयार सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम को करें और इसके बाद इसे छायादार स्थान में रखें।

 इस मौसम में सब्जियों की फसल में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें। फोटो: दिवेंद्र सिंह

इस मौसम में बेलवाली फसलों व सब्जियों में न्यूनतम नमी बनाएं रखें अन्यथा मृदा में कम नमी होने से परागण पर असर हो सकता है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आ सकती है। इस मौसम में सब्जियों की फसल में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें।

भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद युरिया @ 5-10 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से डाले व माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर ईथियाँन @1.5-2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। इस मौसम में भिंडी की फसल में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें।

बैंगन और टमाटर की फसल को प्ररोह और फल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित फलों व प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

इस मौसम में किसान अपनी मिट्टी की जांच किसी प्रमाणित स्रोत से करवाएं और जहां संभव हो अपने खेत का समतलनीकरण करवाएं।

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