एनबीएजीआर ने किया पशुधन और पोल्ट्री की आठ नई नस्लों का रजिस्ट्रेशन, हर एक की हैं अपनी अलग खूबियाँ

आईसीएआर-एनबीएजीआर ने देश में देसी पशुधन प्रजातियों की आठ नई नस्लों को पंजीकृत किया है। चलिए जानते हैं कौन सी हैं ये नस्ले और क्या हैं इनकी खूबियाँ?
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देसी पशुओं के संरक्षण के लिए आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो पशुओं का पंजीकरण करता है, ब्यूरों ने गाय, बकरी, सुअर और मुर्गी की आठ नई नस्लों को पंजीकृत किया है।

आईसीएआर-एनबीएजीआर ने देश में स्वदेशी पशुधन प्रजातियों की सात नई नस्लों और एक सिंथेटिक गोवंश नस्ल को पंजीकृत किया है। पंजीकृत नस्लों में अरावली मुर्गी (गुजरात), अंडमानी बत्तख (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह), अंजोरी बकरी (छत्तीसगढ़); अंडमानी बकरी (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह); भीमथडी घोड़ा (महाराष्ट्र), अंडमानी सुअर (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह), माचेरला भेड़ (आंध्र प्रदेश), और फ्राइज़वाल गोवंश (उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) शामिल हैं।

इन नस्लों को शामिल करने के बाद, पंजीकृत नस्लों की कुल संख्या 220 हो गई है। इसमें गोवंश की 53, भैंस की 20, बकरी की 39, भेड़ की 45, घोड़ों और टट्टुओं की 8, ऊंट की 9, सुअर की 14, गधे की 3, कुत्ते की 3, याक की 1, मुर्गी की 20, बत्तख की 3, हंस की एक और सिंथेटिक गोवंश की एक नस्ल शामिल है।

ये हैं नई पंजीकृत नस्लें

अरावली पोल्ट्री

अरावली चिकन अंडा औ माँस दोनों के लिए पाली जाने वाली नस्ल है। जो गुजरात राज्य के बनासकांठा, साबरकांठा, अरावली और महिसागर जिलों में पायी जाती है। नर में बिर्चेन पंख होते हैं, जबकि मादाओं में शाफ़्टी और/या लेस वाले पंख होते हैं। ये पक्षी उत्कृष्ट गर्मी सहन करने की क्षमता और बहुत अच्छी ब्रूडनेस, हैचबिलिटी और मातृ क्षमता दिखाते हैं। नर के लिए औसत वयस्क शरीर का वजन 1990 ग्राम और मादा के लिए 1618 ग्राम है। औसत वार्षिक अंडा उत्पादन 72 अंडे है।

अंडमानी बतख

अंडमानी बत्तख भी अंडा और माँस दोनों के लिए पाली जाने वाली नस्ल है, जो मुख्य रूप से उत्तरी और मध्य अंडमान के निंबुडेरा से डिगलीपुर क्षेत्र में पायी जाती है। नर और मादा दोनों का पूरा शरीर काले पंखों से ढका होता है और गर्दन के नीचे सफेद निशान पेट तक फैला होता है। नर के लिए औसत वयस्क शरीर का वजन 1406 ग्राम और मादा के लिए 1265 ग्राम है। औसत वार्षिक अंडा उत्पादन 266 अंडे है।

अंजोरी बकरी

अंजोरी बकरी एक मध्यम आकार की, मांस के लिए पाली जाने वाली बकरी है। यह नस्ल छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, धमतरी, महासमुंद जिलों में पायी जाती है। अधिकांश जानवर भूरे रंग के होते हैं। यह कठोर है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित है। नर के लिए औसत वयस्क शरीर का वजन 35 किलोग्राम और मादा के लिए 28 किलोग्राम है। दूध उत्पादन 26 किलोग्राम है।

अंडमानी बकरी

अंडमानी बकरी एक मध्यम आकार की, मांस के लिए पाली जाने वाली नस्ल है। जो मुख्य रूप से मध्य और उत्तरी अंडमान द्वीप में पायी जाती है। यह द्वीप की उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित है और उत्कृष्ट शेवॉन गुणवत्ता के लिए पसंद किया जाता है। नर के लिए औसत वयस्क शरीर का वजन 29 किलोग्राम और मादा के लिए 26 किलोग्राम है। औसत दूध उत्पादन 29 किलोग्राम है। 9

भीमथडी घोड़ा

भीमथडी घोड़ा महाराष्ट्र के पुणे, सोलापुर, सतारा और अहमदनगर जिले में पाया जाता है। घोड़े की औसत ऊँचाई लगभग 130 सेमी और घोड़ी की 128 सेमी होती है। प्रमुख कोट का रंग लीवर चेस्टनट है। इनका उपयोग क्षेत्र में देहाती समुदायों के प्रवास के दौरान घरेलू सामग्री के परिवहन के लिए किया जाता है। स्टैलियन का औसत वयस्क शरीर का वजन 267 किलोग्राम है।

अंडमानी सुअर

अंडमानी सुअर अंडमान द्वीप समूह की मूल नस्ल है। वे मजबूत और आकार में मध्यम और काले (ज्यादातर) या जंग लगे भूरे रंग के होते हैं। वे तेज़ धावक हैं और कम-इनपुट प्रबंधन प्रणाली के तहत पनपने के लिए विकसित हुए हैं और मुख्य रूप से सूअर के माँस के उद्देश्य से पाले गए हैं। नर के लिए औसत वयस्क शरीर का वजन 71 किलोग्राम और मादा के लिए 68 किलोग्राम है।

माचेरला भेड़

माचेरला भेड़ माँस के लिए पायी जाने वाली नस्ल है, जो आंध्र प्रदेश के गुंटूर, कृष्णा और प्रकाशम जिलों के साथ-साथ तेलंगाना के नगर कुरनूल जिलों के पद्रा और अमराबाद मंडलों में वितरित की जाती है। यह आकार में मध्यम से बड़ा होता है, कोट का रंग मुख्य रूप से सफेद होता है और शरीर, चेहरे और पैरों पर बड़े काले या भूरे रंग के धब्बे होते हैं। नर के लिए औसत वयस्क शरीर का वजन 43 किलोग्राम और मादा के लिए 35 किलोग्राम है।

फ्राइज़वाल गोवंश

फ्राइज़वाल गोवंश साहीवाल (37.5) और होल्स्टीन फ़्रीशियन (62.5) वंशानुक्रम वाला एक सिंथेटिक डेयरी मवेशी है, जिसे आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कैटल, मेरठ द्वारा विकसित किया गया है। यह लगभग 41 किलोग्राम की अधिकतम उपज के साथ लगभग 7000 किलोग्राम दूध देने में सक्षम है। यह नस्ल देश के सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए अनुकूलित है।

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