नई दिल्ली। “नागरिकता संशोधन कानून के बाद देशभर में जो नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) बनाने की बात हो रही है उससे सिर्फ मुस्लिमों को ही नहीं, हिन्दुओं की भी समस्या बढ़ने वाली है,” योगेन्द्र यादव ने कहा।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मचे देशभर में बवाल के बीच गाँव कनेक्शन से विशेष बातचीत में योगेन्द्र यादव कहते हैं, “पहली बार नागरिकता के आधार पर जोड़ा गया है, इसीलिए युवा सड़कों पर हैं। जो युवा सड़कों पर है वो यह कह रहा है कि इस देश की नागरिकता के साथ छेड़छाड़ क्यूं की जा रही है।”
“जो नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था के साथ किया, वहीं नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी हमारे समाज के साथ करेंगे। यह एक दीवार बन रही है हिन्दू-मुसलमान के बीच। हमसे कहा जा रहा है कि हम सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं, लेकिन मुसलमान और गैर मुसलमान की बात तो सरकार ने की,” योगेन्द्र यादव ने कहा।
इसी बीच धरना प्रदर्शन के दौरान योगेन्द्र यादव को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया।
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को नीम चढ़ा करेला बताते हुए योगेन्द्र यादव कहते हैं, “जो आज के भी नागरिक हैं, उन्हें प्रमाण देकर साबित करना होगा कि हम भारत के नागरिक हैं। जन्म प्रमाण पत्र, प्रापर्टी के कागज जो बुजुर्ग हैं, वो कैसे देंगे? यह समस्या हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए है।”
अगर असम की तरह एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप) हुआ तो पूरे देश को प्रमाण देना होगा अपने को नागरिक होने का। देश के 130 करोड़ लोग अपनी नागरिकता के सुबूत ढ़ूंढ़ने निकलेंगे, राशन कार्ड और आधार माना नहीं जाएगा।
इस समस्या को समझाते योगेन्द्र यादव कहते हैं, “जो बीमारी नहीं है, उसकी दवा पिलाई जा रही है, और दवा इतनी तेज है कि उससे बीमारी पैदा हो जाए।” आगे कहते हैं, “क्या देश में दूसरी समस्याओं की कमी है? मंदी, बेरोजगारी, किसानों की दिक्कत है। जो सचमुच बीमारी है उसका इलाज पहले करना चाहिए।”
इस मुद्दे को उछालने को लेकर एक साजिश बताते हुए योगेन्द्र यादव कहते हैं, “लगता है बेरोजगारी, महंगाई और अन्य दूसरे मुद्दों से ध्यान हटाने की साजिश है। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स् बनाने की बजाय, नेशनल रजिस्टर ऑफ अनएम्प्लायमेंट क्यूं नहीं बनाया जा रहा? इस देश के हर बेरोजगार का नाम क्यूं नहीं दर्ज किया जाता? आज भी इस देश में किसान की लिस्ट नहीं है। नेशनल रजिस्टर ऑफ फार्मर बना लो पहले।”
इस गतिरोध के हल के बारे में योगेन्द्र यादव कहते हैं कि नागरिकों के रजिस्टर के बजाय वोटर लिस्ट को ही मान लेना चाहिए। “देश में नागरिकता कानून बना है, उसके तहत कोई भी अप्लाई कर सकता है, उसके लिए अलग से कानून बनाने की जरूरत क्या है? पहले भी नागरिकता मिल रही थी अभी भी मिल रही है।”
‘असम में एनआरसी के बाद 19 लाख घुसपैठियों में 13 लाख हिन्दू, 6 लाख मुसलमान’
असम में हुए एनआरसी के बाद उपजी समस्या को समझाते हुए योगेन्द्र कहते हैं, “आजादी से पहले मुसलमान आए खेती करने, आजादी के बाद प्रताड़ना से परेशान होकर हिन्दू आए। इसके बाद असम के लोगों ने कहा कि यह बोझ हम नहीं झेल सकते। इसके बाद 40 साल तक किसी सरकार की इच्छा नहीं हुई, क्योंकि इनके वोट में भी सभी लोग शामिल थे।”
वह आगे कहते हैं, “असम में बाहर से आए लोगों का वोट कांग्रेस लेती थी, और बाहर से आए हिन्दुओं का वोट बीजेपी लेती थी। इसलिए दोनों चुप थे। असम में एनआरसी बीजेपी, कांग्रेस या एजीपी ने नहीं कराया है, ये सुप्रीम कोर्ट ने कराया है। बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एनआरसी न करवाओ। जब सप्रीम कोर्ट ने कहा करो तो छन-छन के 19 लाख नाम आए हैं, जिनमें से 13 लाख हिन्दू हैं और 6 लाख मुसलमान।”