सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। “सोचा था कि इस बार गेंदा की फसल अच्छी है, तो मोटरसाइकिल की किश्त बच्चों की पढ़ाई की फ़ीस निकल जायेगी। लेकिन कोरोना वायरस के चलते सब सत्यानाश हो गया, “यह कहते हुए अपने खेत में खड़े किसान सुरेश निषाद की आंखे भर आती हैं।
कोरोना महामारी के चलते फूलों की खेती करने वाले किसान पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं। सीतापुर जिले के बेहटा ब्लॉक के रहने वाले किसान सुरेश निषाद कहते हैं, “कर्ज लेकर हमने एक एकड़ में गेंदा की खेती की थी। सोच रहा था कि इस बार की फसल अच्छी होगी तो हमारा गेंदा अच्छा बिक जाएगा जिसके चलते हमने एक मोटरसाइकिल कर्ज पर ले ली,लेकिन जब फसल तैयार हुई तब से कोरोना के चलते लॉकडाउन हो गया। जिस कारण सभी धर्मिक कार्य, शादी ब्याह, राजनैतिक पार्टियों के कार्यक्रम सब कुछ तो बन्द हो गया। ऐसे में फूलों की डिमांड मन्दिरों में भी खत्म हो गयी। फूल खेतों में सड़ रहा है। एक एकड़ में बीस हजार रुपए लागत जो लगाया था वो निकलनी तो दूर की बात खेत में खड़ी फसल की जुताई करने भर को पैसे नहीं रहे हैं। अब ऐसे में कैसे बच्चों की पढ़ाई की फ़ीस देंगे और कहां से मोटर साइकिल की किश्त जमा कर पाएंगे।”
लॉकडाउन से दूसरी फसलों के साथ ही फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस समय मंदिरों, शादियों और दूसरे कई कार्यक्रमों में फूलों की मांग रहती है। लेकिन इस बार सब ठप्प पड़ा है। अब किसानों को चिंता है कि फूलों का क्या करें।
सीतापुर जनपद में इतने हेक्टेयर में होती है खेती
सीतापुर जनपद में फूलों की खेती की बात की जाए तो उद्यान विभाग के मुताबिक 15 हैक्टेयर पर गेंदा की खेती की जाती है। 3000 स्क्वायर में पाली हॉउस बना कर के जलवेरा की खेती की जाती है। पांच हेक्टेयर भूमि पर गुलाब की खेती की जाती है, वहीं 2 हेक्टेयर भूमि पर ग्लेडियोलस की खेती की जाती है।
यह कार्य करें तो नहीं होगा घाटा
कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के अध्यक्ष डॉ आनन्द सिंह ने बताया कि किसान भाई अगर गेंदा के फूलों को खेतों में तोड़ फेंकने की जगह उनकी तुड़ाई कर उसको सोलर ड्रायर में सुखा कर उनका नेचुरल कलर बना सकते है। जो आमतौर पर बाजार में मिल्क केक बनाई जाती है,औषधि कम्पनियों को बेच सकते हैं।
लॉकडाउन से हुए नुकसान के लिए सरकार को भेजा है प्रपोजल
जिला उद्यान विभाग के डीएचओ राम नरेश वर्मा ने बताया कोरोना वायरस के चलते लॉडाउन के दौरान हुये नुकसान का आंकलन कर के सरकार को प्रपोजल भेजा जा चुका है। जैसे ही सरकार द्वारा हरी झंडी मिलती है,उनको राहत प्रदान की जायेगी।