सीतापुर। यूपी के किसान आलोक पांडे अनोखी खेती करने के लिए जाने जाते हैं। वह केले के साथ सहफसली के तौर पर शिमला मिर्च की भी खेती करते हैं। शिमला मिर्च की पैदावार होने से केले की खेती की लागत निकल जाती है। साथ ही कई प्रकार की सब्जियां भी उगाते हैं।
आलोक अपनी खेती की रखवाली के लिए सीसीटीवी कैमरा लगवाया है। वहीं पानी की बचत के लिए आलोक टपक सिंचाई विधि का भी उपयोग करते हैं। वहीं खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग का प्रयोग करते है।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के मिश्रिख ब्लाक के गोपालपुर निवासी आलोक कुमार पांडे ने अवध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रखा है। वह पीसीएस की तैयारी भी कर रहे हैं। वह पढ़ाई के साथ-साथ घर की पैतृक संपत्ति पर आधुनिक तकनीक से खेती करते हैं।
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दो साल पहले तक वह गेंहू धान की खेती करते थे, लेकिन अब आलोक ने उन्नति खेती की शुरुआत कर दी है। इसके अंतर्गत वह 10 एकड़ भूमि पर केले की खेती शुरू कर दी है। आलोक बताते हैं, “केले की खेती में लगने वाली लागत को कम करने के लिए शिमला मिर्च की सहफसल अलग से कर रखी है, जिसके कारण खेती में आने वाली लागत शून्य हो जाती है। वही फसल को खरीदने के लिए व्यापारी खेत से अनाज को खरीद ले जाते हैं।”
केले के साथ-साथ उगा रखी है 7 फीट की लौकी
आलोक बताते हैं, “अपने खेत में केले के साथ-साथ सात फ़ीट की देशी लौकी भी उगा रखी है, जिसको देखने के लिए सीतापुर ही नहीं अन्य जनपदों के लोग भी आते हैं। हमारे यहां सात फीट की लौकी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।”
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सीसीटीवी कैमरे से होती है रखवाली
खेत की रखवाली के लिए आलोक ने खेत में सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे हैं। आलोक बताते हैं, “सीसीटीवी कैमरे से हमारे खेत में फसल की चोरी नहीं होती है। इसके साथ-साथ ही खेत में अगर कोई पशु आता है तो उसकी जानकारी मिल जाती है, ऐसे में हम लोग तुरंत समय न गंवाते हुए उनको भगा देते हैं।”
उनका कहना है कि केले की खेती में अगर आमदनी की बात की जाए तो एक बीघा खेती की लागत करीब बीस हजार रुपये आती है। वही आमदनी की बात करें तो करीब 50 से 55 हजार रुपये आती है। उत्पादन के हिसाब से देखा जाए तो एक बीघा में करीब 70 से 80 कुन्तल उपज हो जाती है। वहीं केले की खेती जुलाई से अगस्त के माह में शुरू की जाती है और एक बीघा में 250 पौधे 6×6 की दूरी पर रोपित किये जाते हैं।
एक हेक्टेयर पर 30931 रुपये अनुदान मिलता है
जिला उद्यान अधिकारी राम नरेश वर्मा ने बताया, “केले की खेती में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत केले की खेती करने के लिए किसानों को प्रति एक हेक्टेयर के हिसाब से 30931 रुपये का अनुदान का भी प्राविधान है। जिसके तहत किसानों को ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की तर्ज पर दिया जाता है।
टपक सिचाई व मल्चिंग का भी करते है प्रयोग।
खेती में लागत कम करने के लिए शिमला मिर्च में मल्चिंग डाल रखी है जिससे खेत मे खरपतवार कम होता है, वहीं खेत में नमी भी हमेशा बनी रहती है। इसके साथ-साथ टपक सिचाई से जल दोहन कम होता है। वही पौधों को पर्याप्त मात्रा में जल मिलता रहता है। इसमें एक सब से बड़ा फायदा यह भी है कि मजदूर ज़्यादा नहीं लगाने पड़ते हैं।