दीपक सिंह, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। कुछ साल पहले गिरती दीवारें… टूटी फर्श… डोमी भुवालपुर प्राथमिक विद्यालय की पहचान हुआ करती थीं। आज दीवारों पर शानदार पेंटिंग, चमचमाती फर्श, अत्याधुनिक लाइब्रेरी, साफ-सुथरे शौचालय और बच्चों की बढ़ती संख्या स्कूल में बदलाव की कहानी बयां कर रहे हैं।
जनपद बाराबंकी मुख्यालय से करीब 60 किमी. दूर शिक्षा क्षेत्र त्रिवेदीगंज का पूर्व माध्यमिक विद्यालय धौरहरा इस बात को गलत साबित कर रहा है। विद्यालय की रंग बिरंगी दीवारें जिनपर कविताएं लिखी हैं, वहीं दूसरी तरफ कक्षाओं में टाई-बेल्ट लगाकर व्यवस्थित रुप से पढ़ते बच्चों को देखकर हर किसी को लगता है कि ये कोई प्राइवेट स्कूल है।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद बोर्ड के अनुसार प्रदेश में 1,13,500 प्राथमिक व 45,700 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं, अगर इनमें भी ऐसी सुविधाएं हो जाए तो कोई भी बच्चा निजी विद्यालयों में फीस देकर पढ़ने नहीं जाएगा लेकिन ज्यादातर सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है। ऐसे में ये स्कूल कुछ अलग ही तस्वीर पेश कर रहा है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय धौरहरा के इंचार्ज व सहायक अध्यापक हरिराम पटेल बताते हैं, “मैंने अक्टूबर 2016 में जब स्कूल ज्वाइन किया तो मुश्किल से 10 से 15 बच्चे थे जिन्हें एक अध्यापक पढ़ा रहे थे। उसके बाद मै व मेरी धर्मपत्नी जिनकी इसी विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर तैनाती हुई जिसके बाद मैंने ये सोचा कि पहले स्कूल में बच्चों को लाना होगा, जिससे ये स्कूल लगने लगे. इसके लिए जब हम गाँव गए तो वहां अभिवावकों के दिमाग में प्राइवेट स्कूलों ने घर कर रखा था। उन्हें लगता था कि वहां उनके बच्चे अच्छे से नहीं पढ़ पाएंगें।”
वो आगे कहते हैं, “इसके बाद हमने स्कूल के माहौल को बदलने पर ध्यान दिया। हम दोनों अध्यापक हर महीने अपने वेतन से 6000 हजार रुपए स्कूल फंड में जमा करते हैं, जिससे स्कूल का अतरिक्त सामान आ सके। हमारी इस पहल को देखकर लोग हमसे जुड़ते गए और अपने बच्चों को विद्यालय में पढ़ने के लिए भेजने लगे जिससे आज बच्चों की अच्छी संख्या स्कूल में हो गई है।
हरिराम पटेल आगे बताते हैं कि हमारी आगे की रणनीति है कि हम पढ़ाई के लिए बच्चों को तकनीकी उपकरण दिलाएं जिससे उनका रुझान बढ़ सके और वो रोज स्कूल पढ़ने आएं। हमारे यहां पिछले दो साल में बच्चों का नामांकन भी बहुत हद तक बढ़ा है। इतना ही नहीं हमारे विद्यालय में कई प्राइवेट स्कूलों के बच्चे एडमिशन के लिए आए और उनका एडमिशन किया गया. बच्चों को हमारे यहां कंप्यूटर के साथ-साथ डीवीडी प्लेयर के माध्यम से पढ़ाई करवाई जाती है, साथ ही रोजाना बच्चों को साइंस का प्रैक्टिकल भी करवाया जाता है, साथ ही बच्चों को आत्मरक्षा के लिए ड्रम, लेजी, डंबल और कराटे भी सिखाया जाता है जिससे वह अपने आप की रक्षा स्वयं कर सके।