पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से बर्बाद हो गई धान की अगेती फसल

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बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। धान की अगेती फसल की खेती करने वाले किसानों को इस बार अच्छे उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन पिछले दिनों लगातार हुई बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कई खेतों में पानी भरने से धान फसल में ही अंकुरित होने लगे हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के दुन्दपुर गाँव के कल्लू वर्मा बताते हैं, “हम बड़े पैमाने पर अगेती धान की फसल करते हैं, लेकिन इस बार सितंबर माह के अंत में लगातार बरसात और तेज हवाओं ने हमारी पूरी फसल चौपट कर दी है। खेतों में फसल तेज हवाओं से लेट गई हैं जिससे जो धान की हमारी फसल पूरी तौर से पक चुकी थी वह अब सड़ने और खेतों में ही जमने लगी है।”


लगातार बरसात होने से खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से धान की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया है। लगातार हो रही रुक रुक के बरसात और तेज हवाओं ने अगेती धान की फसल लेने वाले किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। इस वक्त 060, एम सी 13, लालमति, 834, 468,1509, 2366, जैसे हाइब्रिड वैरायटी के धान सितंबर माह में लगभग पककर तैयार हो जाते हैं। और इस वक्त लगातार बरसात होने से जमीन पर लेट गए हैं सितंबर माह के अंतिम सप्ताह तक कई प्रजाति अगेती धान की फसल पककर तैयार हो जाती है।

इस बार बाराबंकी जिले में 182000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई की गई थी, लगातार पानी गिरने से अगेती धान की फसल धराशाई हो गई है। उप कृषि निदेशक अनिल सागर ने बताया की बरसात और तेज हवाओं से लगभग 20% फसल बर्बाद होने की रिपोर्ट शासन को भेजी गई।


अगेती धान की खेती करने वाले किसान देशराज बताते हैं, “धान की फसल जमीन में लेट जाने से और खेतों में जलभराव होने से धान की क्वालिटी में बहुत गिरावट आ जाएगी, जिससे हम किसानों को अगर थोड़ा बार धान बचा भी लेते हैं तो भी क्वालिटी ना होने से हमें औने पौने दामों में बेचना पड़ेगा।”

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भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार इस बार सितंबर में सामान्य से 50 फीसदी अधिक बारिश हुई। सितंबर में इतनी अधिक बारिश लगभग एक सदी बाद हुई है। इससे पहले 1917 में सितंबर में सामान्य से 65 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी। भारतीय उपमहाद्वीप में बनी भौगोलिक परिस्थितियां और जलवायु परिवर्तन को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।

लगातार हो रही बरसात के कारण खेतों में पानी भरा है और इस वक्त मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं, मजदूरी पर काम करने वाले लोग इस समय मजदूरी छोड़ अपनी फसल निकालने की जुगत में लगे हुए हैं। ऐसे में बड़े पैमाने पर धान की खेती करने वाले किसानों को मजदूर ढूंढ़ने से भी नहीं मिल पा रहे हैं।

वीरेश वर्मा बताते हैं, “इस समय धान की बालियों में दूध बन रहा था और एडवांस वैरायटी के धान लगभग पक्ककर तैयार हो गए थे, तेज हवाओं ने जो धान पककर तैयार थे, उन्हें जमीन में लेटा दिया है जबकि जिन धान की फसल में दूध और फूल था उन्हें भी खासा नुकसान पहुंचाया है जो धान की फसल अभी भी खेत में है उनकी बालियां सूखने लगी है जिससे उत्पादन घट आएगा।”

कृषि रक्षा इकाई सूरतगंज प्रभारी सिद्धार्थ मिश्रा बताते हैं, “धान की फसल इस समय तैयार अवस्था में थी और लगातार बरसात होने से धान की फसल में बीपीएच कीट और गंधी लगने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी जिससे भी किसानों के उत्पादन पर फर्क आएगा।” 

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