सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)। धान-गेहूं जैसी परंपरागत फसलों की खेती करने वाले किसान गेंदा की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। यही नहीं जल्द ही किसानों को गेंदा के प्रसंस्करण की भी जानकारी दी जाएगी।
सोनभद्र जिले के सदर ब्लॉक के मानपुर गाँव के किसान बाबूलाल मौर्य ने गेहूं, धान, चना की खेती छोड़कर सब्जी की खेती करनी शुरू की। उद्यान विभाग से अनुदान लेकर दस एकड़ में गेंदा की खेती शुरू की आज वो बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं।
जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार शर्मा बताते हैं, “जिले में तीन वर्षो से फूल की खेती किया जा रहा है यह हमारी योजना के अंतर्गत आता है इसके लिए सब्सिडी भी दिया जाता है। किसान परम्परागत खेती से हटकर जैसा कि सरकार की मंशा भी है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुना करना है जिसमे फूलों की खेती कारगर है इसमें किसान गेंहू और धान की तुलना में तीन से चार गुना अधिक फायदा कमाता है।”
नीति आयोग द्वारा देश के 115 अति पिछड़े जिलों की सूची में भले ही सोनभद्र शामिल हो लेकिन यहां के किसान अब परम्परागत खेती से हटकर फूलों की खेती के तरफ ध्यान दे रहे हैं। जिसका परिणाम है कि उनकी आय चार गुनी बढ़ गयी है।
बाबूलाल को 2018-19 का गेंदा के फूल की खेती करने में प्रथम स्थान का प्रमाण पत्र भी मिल चुका है।
किसान बाबूलाल कहते हैं, “गेंदा के फूल की खेती करने से उनकी आय बढ़ी है और इसके लिए किसानो को आगे आना चाहिए।”
गेंदा के फूल की खेती पर जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार शर्मा कहते हैं, “जिले में तीन वर्षो से फूल की खेती किया जा रहा है यह हमारी योजना के अंतर्गत आता है इसके लिए सब्सिडी भी दी जाती है। किसान परम्परागत खेती से हटकर जैसा कि सरकार की मंशा भी है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुना करना है जिसमे फूलों की खेती कारगर है इसमें किसान गेंहू और धान की तुलना में तीन से चार गुना अधिक फायदा कमाता है।”
वो आगे बताते हैं, “जिले में चोपन विकास खण्ड के खरौंधी गांव निवासी फिरोज आलम 5 बीघे में फूलों की खेती करते है जिनको देख पूरा गांव भी खेती करने लगा है और सदर विकास खण्ड के मानपुर निवासी बाबूलाल मौर्य भी गेंदा फूल की खेती करते है। अगले कुछ दिनों मे विभाग द्वारा किसानों को बचे गेंदा फूल का ऑयल बनाना बताया जाएगा।”