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लॉकडाउन: अरब देशों तक थी यहां के हरी मिर्च की मांग, अब अच्छी कीमत को तरस रहे किसान

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बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 40 किमी दूर बाराबंकी जिले के जिन किसानों की जो हरी मिर्च की अरब देशों तक जाया करती थी वे किसान इस साल अच्छी कीमतों के लिए परेशान हैं। 21 दिनों के लॉकडाउन में हरी सब्जियों के साथ-साथ मिर्च की खेती करने वाले किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

हरी मिर्च की बड़ी पैमाने पर खेती करने वाले जिला बाराबंकी के बेलहरा निवासी पंकज मौर्य कहते हैं, “हमारे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हरी मिर्च की खेती होती है। छोटे किसानों को भी अच्छा भाव मिलता था। आलम यह था की हमारे क्षेत्र की हरी मिर्च प्रदेश की विभिन्न मंडियों में तो पहुंचता ही थी साथ ही कई देशों में निर्यात भी होता था, लेकिन इस साल विदेश की तो छोड़िए अपने जिले की मंडी तक भी हमारी मिर्च नहीं पहुंच पा रही है। अभी हरी मिर्च के उत्पादन का शुरुआती दौर है। आठ दिन बाद हमारे क्षेत्र से करीब 175-180 कुंतल हरी मिर्च का उत्पादन होगा और अगर यही हाल रहा तो हरी मिर्च की खेती करने वाले हम किसानों की बर्बादी तय है।”

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बाराबंकी जिले में हर साल 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हरी मिर्च की खेती होती है। जिला उद्यान अधिकारी महेंद्र कुमार बताते हैं, “पिछली बार हरी मिर्च का रेट अच्छा होने के कारण किसानों ने इस बार मिर्च की खेती का रकबा बढ़ाया था। पिछले वर्ष 18,050 हेक्टेयर में हरी मिर्च की खेती हुई थी, इस बार करीब 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है। प्रति हेक्टेयर लगभग 300 कुंतल तक का उत्पादन होता है। हमारी उम्मीद है कि जिले में इस साल 60,000 टन (600000 कुंतल) हरी मिर्च का उत्पादन होगा।”

“हमारे यहां से हरी मिर्च उत्तर प्रदेश की प्रमुख मंडियों में तो पहुंचती ही थी साथ ही दक्षिण भारत से भी व्यापारी यहां आते थे। लॉकडाउन की वजह से इस साल व्यापारी नहीं मिल रहे हैं। जो खेतों तक आ भी रहे हैं तो कीमत पिछले साल की अपेक्षा आधी दे रहे हैं। पिछली बार जो रेट ₹4000 कुंतल से लेकर ₹5000 कुंतल तक मिल रहा था, वही कीमत इस आर 15,00 से 2,000 रुपए पहुंच गई है।” महेंद्र कुमार आगे बताते हैं।

जिले में मार्च के आखिरी दिनों से ही कद्दू, लौकी, तोरई ,खीरा ,हरी मिर्च, लहसुन प्याज , टमाटर का उत्पादन शुरू हो जाता है। अप्रैल पहले सप्ताह तक इनकी मांग मंडियों में बढ़ जाती थी, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद 25 मार्च से देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लगा दिया गया, इससे किसान बड़ी मंडियों में नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कारण किसानों सब्जियां खराब हो रही हैं, स्थानीय मंडियों में जो कीमत मिल भी रही है वह बहुत कम है।

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बाराबंकी के गंगापुर निवासी अश्वनी वर्मा कहते हैं, “हमारे पास करीब दो एकड़ खीरे की फसल लगी है और इस समय बंपर उत्पादन हो रहा है। यह ऐसी फसल है कि रोज तोड़ेंगे नहीं तो खराब भी हो जायेगी। ऐसे में हम खीरा तोड़ तो रहे हैं लेकिन उसे मंडियों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। ऐसे में उसे रोज डंप करना पड़ रहा है। लोकल व्यापारी आ रहे है तो एक खीरे के लिए एक रुपए दे रहे हैं, जो बहुत कम है।”

सब्जियों की खेती करने वाले किसान ननकू राजपूत भी कम कीमत मिलने से परेशान हैं। वे कहते हैं, “मैं कद्दू ,हरी मिर्च और लौकी की खेती करता हूं। इस समय हमेशा कद्दू, लौकी और टमाटर जैसी फसलों के अच्छे दाम मिलते लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से माटी के मोल बेचना पड़ रहा है।”

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