कन्हैया कुमार का नाम बेगूसराय में सबसे आगे: जिग्नेश मेवाणी

#Kanhaiya Kumar

शिवानंद गिरी

बेगूसराय (बिहार)। “कन्हैया की सोच, भावना, समझ जाति धर्म से ऊपर उठ चुकी है। कन्हैया कुमार के समर्थन में सारे लोग खड़े हैं। आज बेगूसराय में जो नाम सबसे ऊपर चल रहा है वो कन्हैया कुमार का है।” जिग्नेश मेवाणी ने कहा।

जिग्नेश मेवाणी गुजरात के वडगाम से विधायक हैं। वे इन दिनों बिहार में कन्हैया कुमार का प्रचार कर रहे हैं। कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं। जिग्नेश ने गांव कनेक्शन के कम्युनिटी जर्नलिस्ट से विशेष बातचीत की।

जिग्नेश कहते हैं “कन्हैया कुमार दोस्त भी है, संघर्ष की साथी भी। ऐसे में वो जब बेगूसराय से चुनाव लड़ रहा है तो एक दोस्त के कारण, राजनीतिक साथी के तौर पर उनका समर्थन करूं, ये मेरी जिम्मेदारी भी है।”

“कन्हैया युवा राजनीति के उदय का प्रतीक हैं। आज इस मुल्क में संघ और भाजपा ने संविधान को तोड़-मरोड़कर मनुस्मृति को लागू करने का ठान लिया है। जिस प्रकार से हमारी संस्थाओं पर अटैक हुआ और जिस प्रकार से पिछले साल में मोदी जी का शासन रहा है, हिंदू-मुसमान करवाने की जो राजनीति रही है, उसके मुकाबले कन्हैया कुमार कहीं न कहीं एक उम्मीद का प्रतीक है, वो एक संघर्ष की प्रतीक है। कन्हैया से लाखों-लोगों को उम्मीद है कि यह युवा, नौजवान मुल्क में कुछ नया करके दिखायेगा। ये नया करने का मौसम है तो कन्हैया कुमार बेगूसराय से चुनाव लड़ रहे हैं तो ये मेरा दायित्व है कि मैं उनके समर्थन में रहूं, इसीलिए बेगूसराय आया हूं।” जिग्नेश मेवाणी कहते हैं।


जिग्नेश आगे कहते हैं “बिहार को बदनाम करने की जो इमेज है वो भी टूट चुकी है। इतने दिनों से मैं यहा हूं, इतने लोगों का प्यार मिला है, बुजुर्ग का, बहनों का माताओं का आशीर्वाद मिला है। सारे तबकों का साथ मिला है। बिहार के यूपी के लोगों की दूसरे राज्य के लोगों के मन में एक इमेज होती है कि वहां बहुत खून-खराबा होता है, यहां मैंने वैसा कुछ नहीं देखा, बहुत भोले लोग हैं, बहुत प्यारे लोग हैं और बहुत अच्छा लगा बिहार में आकर। बिहार की जनता को आपके माध्यम से कहूंगा, हमरा तोहार गोड़ लागी।”


आगे कहते हैं कि लोग अब ऐसा कह रहे हैं कि इस बार नेता को नहीं, बेटा को चुनना है। कन्हैया का जहर की बोतल नहीं शहद की बोतल है, बशर्ते आप बीमार न हों। शिवसेना और भाजपा का गंठबंधन हो चुका है, इसीलिए वे लोग विष फैला रहे हैं। कन्हैया की वाणी मिठास में है। किसान और मजबूर गुजरात का हो चाहे बिहार का, हर जगह उनकी हालत खराब है। गूजरात में भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं और बिहार में भी। गुजरात के किसानों को भी एमएसपी नहीं मिलता, बिहार के किसानों को नहीं मिलता। दोनों प्रदेशों के किसान दो जून की रोटी की व्यवस्था बहुत मुश्किल से कर पाते हैं।

पूरी बातचीत वीडियो में देखिए।

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