फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश। “सोमवार को मर गई वो, “झलकारी नगर में अपनी बेटी के घर की चौखट पर बैठी 60 वर्षीय गिरिजा देवी खुद से तो कभी अपनी गली में राहगीरों से बुदबुदाती रहती हैं, मान्या, उसकी नातिन, सिर्फ पांच साल की थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में रहने वाली मान्या की पांच दिन पहले 30 अगस्त को मौत हो गई थी।
“हमें उसके बीमार होने के बाद हमें ठीक से समझने तक समय नहीं मिला। मेरी मान्या की बुखार और पेट दर्द के दो दिन बाद मौत हो गई। सोमवार को मर गई वो, “मान्या की दुखी नानी ने गांव कनेक्शन को बताया।
अपनी आंखों से आंसू पोंछने के लिए कुछ देर रुकने के बाद, नानी ने कहा, “मान्या की हालत बहुत जल्दी खराब हो गई। हमने उसे कुछ दवा दी लेकिन बुखार कम नहीं हुआ। हमें पास के एक मेडिकल कैंप के बारे में पता चला और हमें और दवाएं मिलीं। एक ही खुराक खा पाई वो और फिर तुरंत ठंडी पड़ गई। चीखने लगी की बहुत गरमी लग रही है। लेकिन ऊपर से एकदम ठंडी।”
फिरोजाबाद तेजी से फैल रहे रहस्यमयी बुखार का केंद्र बन गया है। 2 सितंबर तक, जिले में कम से कम 50 लोगों की मौत हो चुकी थी, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। जिले में प्रकोप के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि कुल 2,533 सक्रिय मामले हैं, और 3,719 का अब तक इलाज किया जा चुका है। अब तक कुल 50 मौतों में से पांच मौतें, 2 सितंबर को दर्ज की गईं।
फिरोजाबाद के जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने 3 सितंबर प्रेस को बताया कि वर्तमान में जिला अस्पताल में 400 मरीज भर्ती हैं और आज 38 मरीजों में प्लेटलेट्स की अचानक गिरावट आई है।
“मैंने अपने निरीक्षण के दौरान महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी पानी जमा पाया है। हम इन चीजों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेंगे, “उन्होंने रिपोर्टस से कहा।
इस बीच, पड़ोसी जिलों मथुरा, आगरा और एटा से भी रहस्यमयी बुखार और इससे संबंधित मौतों की खबरें आ रही हैं। रिपोर्टों के अनुसार (गाँव कनेक्शन द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं), प्रभावित जिलों में कम से कम 64 लोग मारे गए हैं। यह ‘बुखार’ बच्चों को प्रभावित करता है, और वे अधिकांश पीड़ित होते हैं। मथुरा में, यह दावा किया गया है कि मिस्ट्री फीवर के कारण 14 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से 12 बच्चे थे।
जैसे ही फिरोजाबाद में मिस्ट्री फीवर की सूचना देने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिला अस्पताल (राज्य स्वायत्त जिला अस्पताल, फिरोजाबाद) असहाय माता-पिता से खचाखच भरा हुआ है, जो अपने रोते हुए बच्चों भर्ती होने इंतजार कर रहे हैं।
बच्चों की चीखें अस्पताल के गलियारों से गूंजती हैं जहां डेंगू या किसी अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के लिए बच्चों की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जा रहा है।
वहां से बाहर एक पिता अपने बीमार बच्चे को कंधे पर लटकाकर अस्पताल के लिए दौड़ा। मिस्ट्री फीवर के खिलाफ इस लड़ाई में हर मिनट मायने रखता है जिसके लक्षणों में तेज बुखार, पेट दर्द, पेचिश, दस्त, और रक्त प्लेटलेट के स्तर में अचानक गिरावट शामिल है।
अपने बीमार बच्चों के साथ कई सारे माता-पिता और दादा-दादी अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे हैं।
चार बीमार बच्चों की दादी, पचपन वर्षीय मीरा देवी अस्पताल के बाहर इंतजार कर रही थीं, जबकि बीमार बच्चों ने उल्टी कर दी, जोकि भर्ती होने का इंतजार कर रहे थे।
“मेरे पास ज्यादा पैसा नहीं है। डॉक्टरों ने मेरे बच्चों का खून जांच के लिए लिया है। अभी रिपोर्ट आनी बाकी है। उन सभी को बुखार और पेट दर्द है, मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि वह इन मासूम बच्चों की जान बख्श दें, “चिंतित दादी ने गांव कनेक्शन को बताया।
पश्चिमी #UttarPradesh के कई जिलों इन दिनों रहस्यमयी बुखार की चपेट में है। अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे हैं। ये तस्वीरें #Firozabad के मेडिकल कॉलेज की हैं जहां सबसे ज्यादा लोग बीमार हैं। विस्तृत रिपोर्ट जल्द
वीडियो @Mirzapuriy #Thread pic.twitter.com/SXmOqdLtqu— GaonConnection (@GaonConnection) September 3, 2021
30 अगस्त को मरने वाली पांच वर्षीय मान्या पेट दर्द की शिकायत कर रही थी। मान्या को पेट में तेज दर्द की शिकायत थी। डॉक्टरों ने कुछ परीक्षण किए और कुछ दवाएं दीं लेकिन उसका पेट बहुत सूज गया और उसे तेज दर्द हो रहा था, “नानी गिरिजा देवी ने गांव कनेक्शन को बताया। वे मान्या को एक निजी अस्पताल ले गए थे।
“हमने डॉक्टर से कुछ जल्दी करने की भीख मांगी क्योंकि बच्ची दर्द से कराह रही थी। डॉक्टर ने हमसे कहा कि अगर हम चाहते हैं कि चीजें जल्दी हो जाएं तो हम उसे आगरा ले जाएं। मेरी मान्या जल्द ही मर गई, “उन्होंने आगे कहा।
स्वच्छता अभियान और जागरूकता कार्यक्रम
फिरोजाबाद के स्थानीय लोग के अनुसार, शहर में गंदगी फैली है जो बारिश के मौसम में और भी खराब हो जाती है। ऐसे क्षेत्र हैं जहां खुले में कचरा फेंका जाता है या ठहरे हुए पानी में मच्छर पनपते हैं।
मिस्ट्री फीवर फैलने के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है और मच्छरों को फैलने से रोकने के लिए फॉगिंग की जा रही है। लोगों को बीमारी के लक्षणों के बारे में जागरूक करने और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने के लिए प्रभावित मोहल्लों में स्ट्रीट शो और मैजिक शो किए जा रहे हैं।
फिरोजाबाद में नौ ब्लॉक और एक नगर निगम हाल के प्रकोप से प्रभावित हैं। फिरोजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट सिंह ने कहा, “हमने इस बात पर जोर दिया है कि ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सिरप) और पैरासिटामोल ऐसे रोगियों को संभालने में महत्वपूर्ण हैं और इबुप्रोफेन जैसी दवाओं से सख्ती से बचना चाहिए।”
1 सितंबर को एक आधिकारिक बयान में, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज फ़िरोज़ाबाद की प्रिंसिपल संगीता अनेजा ने कहा, “इस अस्पताल में भर्ती होने वाले अधिकांश रोगियों में दस्त, पेचिश, वायरल बुखार, शरीर में दर्द और अधिकांश जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। वे डेंगू से पीड़ित पाए गए हैं। इस समय इस अस्पताल में 240 बच्चे भर्ती हैं और इनमें से तीन की पिछले एक सप्ताह में मौत हो चुकी है।
प्रकोप के संभावित कारणों के बारे में पूछे जाने पर, अनेजा ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में काफी बारिश हुई है और अलग-अलग जगहों पर पानी इकट्ठा हो जाता और यह डेंगू पैदा करने वाले मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बन गया है।”
हालांकि, फिरोजाबाद में बच्चों की मौत किस वजह से हो रही है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि डॉक्टरों की टीम अभी भी कारण का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक केंद्रीय टीम इस प्रकोप की जांच कर रही है और राज्य सरकार ने भी डेंगू के लिए निगरानी तेज कर दी है और फिरोजाबाद में स्वास्थ्य कर्मियों की सहायता के लिए चिकित्सा दल भेजे हैं। 2 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मामले की जांच के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) से एक टीम फिरोजाबाद भेजी थी। मिस्ट्री फीवर का पहला मामला 18 अगस्त को सामने आया था।
2 सितंबर, फिरोजाबाद के नवनियुक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने कहा था कि यह बीमारी स्क्रब टाइफस या लेप्टोस्पायरोसिस जैसा कुछ संक्रमण भी हो सकता है जिसका खुलासा आईसीएमआर द्वारा अपनी जांच पूरी करने के बाद ही होगा।