मोहम्मद फहद
भिलाई (छत्तीसगढ़)। जहां एक तरफ आज लोग विदेशों में नौकरी कर अच्छी जिंदगी जीना चाहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ भिलाई जिले के फहीम अहमद खान ने विदेश की नौकरी छोड़कर डेयरी फार्म खोला है। डेयरी फार्म से वो अच्छा मुनाफा तो कमा ही रहे हैं, साथ ही और लोगों को रोज़गार देकर उनकी मदद भी कर रहे हैं।
फहीम कहते हैं-
“जब हम छोटे थे तो छुट्टियों में अपने मां-बाप के साथ एक रिश्तेदार के घर जाते थे। वो खेती तो करते ही थे साथ ही घर की काफी जगह में पशुओं को भी पालते थे। वहीं से मैंने सोचा कि एक दिन ऐसा व्यवसाय हम भी करेंगे। डेयरी मेरे लिए सिर्फ व्यापार नहीं है, ये मेरा जुनून है।”
फहीम का डेयरी फार्म 35 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें रोज़ाना 550 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वो कहते हैं, “सिर्फ पांच भैसों से मैंने इस व्यापार को शुरू किया था और तीन साल में आज हमारे पास 120 पशु(गाय-भैंस) हैं।”
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डेयरी में रोज़ाना आने वाली लागत और मुनाफे का गणित समझाते हुए फहीम बताते हैं, “सारी लागत निकलने के बाद हमको भैंस का दूध 35 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से पड़ रहा है और बाहर इसकी कीमत 55 से 60 रुपए लीटर मिलती है यानि कि 10 से 15 रुपए प्रति लीटर बचत आती है। इसे आने वाले समय में हम और बढ़ाएंगे।”
फहीम अहमद खान ने अपनी 35 एकड़ जगह में एक तरफ अपने पशुओं के रहने की व्यवस्था कर रखी है। बाकी बची ज़मीन में वो अपने पशुओं के लिए हरा चारा उगाते हैं ताकि उनके पशुओं को पूरे वर्ष हरा चारा मिलता रहे। डेयरी के पास पशुओं के लिए हरा चारा उगाने से पशुओं पर आने वाला खर्च भी कम हो जाता है। डेयरी के बारे में जानकारी देते हुए खान कहते हैं-
“आज अगर हम अपने समाज पर नज़र डालें तो पढ़े लिखे लोग जल्दी डेयरी फार्मिंग और किसानी के व्यापार में नहीं आते हैं जबकि मेरा मानना है अगर इसमें पढ़े लिखे लोग आने लगें तो इससे अच्छा कोई दूसरा व्यापार नहीं हो सकता।”