सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। किसान किशोरी लाल वर्मा अब बाजार से न रसायनिक खाद खरीदते हैं और न ही कीटनाशक, अब वो अपने खेत में जैविक खाद और घर बने कीटनाशक का ही छिड़काव करते हैं। यही नहीं अब वो गोबर और गोमूत्र से बनी खाद और कीटनाशक बेच कर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
सीतापुर के गोंदलामऊ ब्लॉक के खालेगढ़ी गाँव के रहने वाले प्रगतिशील किसान किशोरी लाल वर्मा बताते हैं, “जैविक खाद डालने से जो रासयानिक खाद के दुष्परिणाम हैं, जैसे कि हमारी जमीन बंजर हो रही है और जो तमाम दवाइयां हम फसलों में डालते हैं जिससे तमाम तरह की बीमारियां बढ़ रहीं हैं। जैविक खाद के इस्तेमाल से इन सब दुष्परिणाम से बचेंगे ही साथ ही जैविक खाद बनाकर कमाई भी हो हो रही है।
किशोरी लाल की वजह से दूसरे पशुपालकों को भी फायदा हो रहा है, वो दूसरों से भी गोबर खरीद लेते हैं। वो कहते हैं, “अब दूसरे किसान भी खुश रहते हैं कि उनके पशुओं का भी गोबर और मूत्र बिक जा रहा है। यही नहीं दूर-दूर से किसान मुझसे वर्मी कम्पोस्ट, जीवामृत, घनामृत बनाने की जानकारी भी लेने आते हैं।
किशोरी लाल से सीखने दूर-दूर से लोग आते हैं, इनमें कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी भी शामिल हैं। किशोरी लाल उनसे अपना अनुभव भी साझा करते हैं। वो बताते हैं, “इस तरह से मेरा व्यवसाय बड़ा हो रहा मुझे अच्छा लाभ भी मिल रहा है। आज मैं ये जैविक खाद एक हजार रुपए कुंतल से लेकर 14 सौ रुपए प्रति कुंतल तक बेचता हूं। एक बार जो किसान मेरे यहां से खाद और कीटनाशक ले जाते हैं और दूसरे किसानों को बताते हैं।”
एक ग्राम जीवामृत में लगभग 700 करोड़ से अधिक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। ये पेड़-पौधों के लिए कच्चे पोषक तत्वों से भोजन तैयार करते हैं। इसे तैयार करने के लिए 10 किलो गोबर, 5-10 लीटर गोमूत्र, दो किलो गुड़ या फलों के गूदों की चटनी, एक से दो किलो किसी भी दाल का बेसन, बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की 100 ग्राम मिट्टी इस सभी चीजों को 200 लीटर पानी में एक ड्रम में भरकर जूट की बोरी से ढककर छाया में 48 घंटे के लिए में रख देते हैं।
घन जीवामृत एक सूखी खाद है जिसे बुवाई के समय या पाने देने के तीन दिन बाद दे सकते हैं। इसे बनाने के लिए 100 किलो गोबर, एक किलो गुड़, एक किलो बेसन, 100 ग्राम खेत की जीवाणुयुक्त मिट्टी, पांच लीटर गोमूत्र इन सभी चीजों को फावड़ा से अच्छे से मिला लें। इस खाद को 48 घंटे छांव में फैलाकर जूट की बोरी से ढक दें। इस खाद का छह महीने तक उपयोग किया जा सकता है। एक एकड़ जमीन में एक कुंतल घन जीवामृत देना जरूरी है। इसका उपयोग करने से खेत की मिट्टी उपजाऊ होगी, जिससे उपज ज्यादा होगी।