फसल सुरक्षा के लिए अपनाएं ये उपाय, कम खर्च में मिलेगा अधिक उत्पादन

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फसल सुरक्षा किसान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, जिसके लिए किसान का बहुत सारा पैसा लग जाता है और फसल की सुरक्षा भी नहीं हो पाती है, जो उत्पादन होता उसकी भी गुणवत्ता बेहतर नहीं होती है। फसल सुरक्षा के बारे में बता हैं, कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया श्रीवास्तव।

आज बहुत बड़ी चुनौती है अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जब विपणन की बात होती है, कीटनाशक की मात्रा जो होती है, उस वजह से उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता है,

फसल सुरक्षा की जब भी हम बात करते हैं तो कोई भी फसल का चुनाव करते हैं, वहीं से फसल की सुरक्षा शुरू हो जाती है, इसलिए जब बीज लेने जाएं तो प्रमाणीकरण दुकान से ही बीज खरीदें। बीज लेने के बाद बीज का शोधन जरूर करें। नर्सरी का शोधन जरूर करें इसके साथ ही भूमि शोधन करें।

इन सबके बाद सबसे जरूरी है, फसल चुनाव का इसलिए फसल चक्र जरूर अपनाएं, बार-बार एक ही फसल लेते रहेंगे तो आप कीट और बीमारियों से नहीं बच सकते हैं। इसलिए फसल चक्र अपनाना है अगर दलहन है तो अनाज लगाना चाहिए। तिलहन है तो सब्जी, अगर सब्जी है तो चारा, इन सब फसलों का चुनाव करना चाहिए।


टमाटर में रोपाई से लेकर फसल की कटाई तक बड़ी संख्या में कीटों का प्रकोप रहता है। ऐसे में किसान रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करता है, जो कि पर्यावरण और फसल दोनों के लिए नुकसानदायक होता है। ऐसे में किसान मुख्य फसल के साथ ही दूसरी फसलें लगाकर कीटों से बचाया जा सकता है। इसे ही कीट प्रबंधन करते हैं।

साथ ही, अफ्रीकन गेंदा के पौधों की भी कम से कम एक लाइन खेत के चारों ओर लगाने से निमोटोड की रोकथाम के साथ साथ अन्य कीट से भी फसल को बचाव होता है। इसके साथ मित्र कीट भी खेत में आते है। कीट आकर्षित फसलें एक प्रकार की रक्षक फसलें होती हैं जो कीटों कों अपनी ओर आकर्षित कर मुख्य फसल को विभिन्न प्रकार के कीटों या अन्य जीव जैसे निमेटोड के प्रकोप से बचाने के लिये उगाई जाती हैं।

गेंदा के फूलों को बेचकर किसान को टमाटर के साथ ही अतिरिक्त आमदनी भी हो जाती है। एक तो टमाटर और फूलों की खेती से दोहरी कमाई हो जाती है दूसरे गेंदे की वजह से फसलों को फायदा पहुंचाने वाले मित्र कीटों की भी वृद्धि होती है।

यह मुख्य फसल की गुणवत्ता को बनाये रखती हैं। यह मृदा स्वासथ्य व पर्यावरण के संतुलन को बनाये रखती हैं। फसल के उत्पादकता को बढाती हैं। जैव विविधता को बढ़ाने मे सहायक होती हैं। फसलों के मित्र कीटों को आकर्षित करती हैं। हानिकारक कीटों के प्रकोप से मुख्य फसल की रक्षा करती हैं। कीटनाशी के अधिक मात्रा में उपयोग को कम करती है। 

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