मौसम की मार और सरकारी उदासीनता ने आलू को किया बेदम

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लखनऊ। जब-जब मौसम करवट लेता है। बारिश, आंधी, बादल या फिर ओले गिरते हैं किसानों के एक तबके को नुकसान उठाना पड़ता है। ये नुकसान तब और बढ़ जाता है जब प्राकृतिक आपदाएं असमय हों। इस वर्ष जनवरी के आखिर से लेकर अप्रैल तक मौसम ने किसानों को परेशान किया। फरवरी में देश के कई इलाकों में भारी ओलावृष्टि हुई। दिल्ली को कई लोगों ने शिमला बता दिया।

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों की महीनों की मेहनत और कमाई पर पानी फेर दिया। मौसम का ये बदलाव किसानों पर किनता असर डालता है, इसकी एक झलक बुलंदशहर की औरंगाबाद मंडी में नजर आई। औरंगाबाद मंडी दिल्ली से करीब 100 किलोमीटर दूर है। आलू की अच्छी पैदावार करने वाले इस इलाके में फरवरी की बारिश और ओलावृष्टि ने मायूसी भर दी।

मंडी के बड़े आलू कारोबारी दयानंद गुप्ता बताते हैं, ” आलू के सीजन में दो बार ओले गिरे, जिससे 90 फीसदी तक फसल प्रभावित हुई। ये आलू चोट खा गया है तो कोल्ड स्टोरेज में भी सड़ जाएगा, इसीलिए किसान इसे जल्द बेचना चाहता है। इस बार कोल्डस्टोरेज खाली रह गए हैं। आने वाले दिनों में इसके असर रेट पर देखने को मिलेंगे।’


मार्च महीने में जब गांव कनेक्शन की टीम पूर्वी यूपी, से लेकर पश्चिमी यूपी से लेकर दिल्ली तक यात्रा कर रही थी, इस दौरान औरंगाबाद मंडी में आलू का रेट 500 से 600 रुपए कुंतल था। शुरुआत में लखनऊ और आगरा की मंडियों में भी रेट अच्छे रहे लेकिन होली के कुछ दिनों पहले से रेट गिरने शुरु हो गए थे। किसानों का कहना था खेत में पानी भरने से आलू सड़ने की आशंका बढ़ गई है। इसलिए ज्यादातर किसान आलू बेच कर अपना खर्च निकालना चाहते हैं।

चार बुग्गी (भैंसा गाड़ी) आलू लेकर मंडी पहुंचे एक बुजुर्ग किसान ने अपने अनुभव से बताया, ” आलू पानी पी गया है। और जब-जब किसान ने खोदने की तैयारी की। मौसम बिगड़ गया। खेत में आलू ज्यादा दिन तक मिट्टी में रहा। इसीलिए ये पिट-पिट (दबाने पर फट जाना) करने लगा है। इस आलू को स्टोर में रखना सही फैसला नहीं होगा। हमने सिर्फ बीज भर का रखा है बाकी सब बेच दिया।’ बुलंदशहर में महमूदपुर गांव के किसान किशनचंद के पास 20 बीघे (चार एकड़) आलू थे। वो बताते हैं, इस बार की फसल अच्छी थी, लेकिन अब रेट नहीं मिल रहा। मौसम के चलते आलू की खेती में 5 महीने लग गए हैं। इस बार बहुत सारे किसानों की खुदाई नहीं निकलेगी। क्योंकि रेट अच्छा नहीं मिल रहा है।”


मौसम की मार यूपी के अवध क्षेत्र में भी पड़ी। आगरा बेल्ट के बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा आलू बाराबंकी में होता है। यहां तुरकौली गांव के किसान रामसागर बताते हैं, शुरुआत में मेरी फसल बहुत अच्छी थी लेकिन जब आलू का दाना बड़ा हो रहा था, ओले गिर गए। जिससे पौधे खत्म हो गए। ऊपर की पत्तियां चली जाने से आलू की वृद्धि रुक गई।’ रामसागर के पास 2 एकड़ सफेद आलू था। उन्होंने 425 रुपए कुंतल आलू बेचा। पिछले साल उन्होंने इसी रेट में आलू बेचा था। वो बताते हैं, आलू में कुछ नहीं बचा। जबकि पिछली बार की अपेक्षा डीजल, डीएपी (डाई आमोनियम फास्फेट), जोतुई, खुदाई सब महंगा हो गया है। लेकिन रेट नहीं मिले।’ 

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अमर उजाला की ख़बर के मुताबिक 7 अप्रैल को यूपी के मैनपुरी जिले में सगामई गांव के युवा किसान बृजेश कुमार ने सल्फास खाकर जान दे दी। उनकी पत्नी के मुताबिक कर्ज़लेकर आलू बोया था और खराब मौसम के चलते फसल चौपट हो गई थी, जिससे वो काफी परेशान थे।

कन्नौज के मनीमऊ स्थित कोल्डस्टोरेज के मालिक सतीश कुमार बताते हैं, इस बार ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज 10-15 फीसदी खाली हैं। मौसम के चलते आलू का उत्पादन प्रभावित हुआ है।” आलू के एक आढ़ती ने नाम न छपने की शर्त पर बताया, देखिए पिछले साल आलू 20 रुपए किलो तक पहुंच गया था, इस बार 25-30 रुपए तक जाएगा, क्योंकि स्टोरी में आलू कम है। दूसरा बहुत संभावना है कि कोल्ड स्टोरेज में भी आलू सड़ सकता है। ऐसे में जिस किसान या कारोबारी का आलू बचेगा वो लाभ उठाएगा।’

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