सेना से रिटायर होने के बाद शुरू की जैविक खेती, कई देशों में भेजते हैं जैविक गुड़

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सरधना, मेरठ(उत्तर प्रदेश)। सेना से रिटायर होने के बाद सुनील ने जैविक खेती शुरू की और आज न केवल खुद जैविक खेती कर रहे हैं, साथ ही हर हफ्ते जैविक खेती की पाठशाला भी चलाते हैं। उनके यहां के बने जैविक गुड़ की ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों तक जाते हैं।

मेरठ मुख्यालय से लगभग 28 किलोमीटर दूर सरधना तहसील के छोटे से गांव भमौरी के रहने वाले सुनील कुमार की पहचान जैविक किसान के रूप में होती है। गाँव में उनकी लगभग 20 बीघा जमीन है, जहां अग्निहोत्र जैविक फार्म पर एक हवन कुंड भी बना रखा है। हर दिन वह अपने कृषि फर्म पर यज्ञ करते हैं। वो बताते हैं, “यह एक नैनो टेक्नोलॉजी हैं, जैसे कि हम एक मिर्च खाए तो उसे एक ही आदमी खा सकता हैं इसी प्रकार यदि हम मिर्च को यज्ञ में डाले तो उसे पूरा गाँव खा नहीं पाएगा। तो यज्ञ एक विज्ञान है नैनो तकनीक हैं, जिसके माध्यम से हम अपनी फ़सलों का पोषण भी करते हैं और उनका संरक्षण और संवर्धन भी करते हैं। अपनी फ़सलों व पौधों को देते हैं पहले प्राचीनकाल में भी हमारे ऋषिमुनि इस पद्धति से ही खेती करते थे।”

जैविक गुड़, शक्कर की डिमांड पूरी नहीं हो पाती

सुनील कुमार कहते हैं, “पिछले दो साल से जैविक खेती कर रहे हैं और वो जैविक गन्ने से गुड़, शक्कर बनाते हैं दूर-दराज से लोग गुड़ शक्कर या और भी उत्पाद खरीदने आते हैं। लोग फ़ोन पर ही ऑर्डर बुक करा देते हैं उनकी डिमांड भी मैं पूरी नहीं कर पाता।”

जैविक गुड़ क्यों है खास

सुनील कुमार बताते हैं कि जैविक गुड़ की हमारे यहां बहुत डिमांड है गुड़ इसलिए खास है कि वह पेट से होने वाली बीमारियों को नियंत्रण रखता हैं, फास्फोर , कैल्सियम, आयरन जैसे नैचुरल मिनरल्स पाए जाते हैं गुड़ को खाते ही एक शरीर मे एनर्जी मिलती है। सेना की भर्ती में जो बच्चा दौड़ लगता है वो हमारे यहां से गुड़ ले जाते हैं।

मार्केट से 40 रुपए महंगा मिलता है जैविक गुड़

सुनील कुमार बताते हैं, मार्केट में साधारण गुड़ का मूल्य 30 से 35 रुपए है, लेकिन हमारे जैविक गुड़ का मूल्य 70 रुपए प्रति किलो है।

विदेशों में भी जाता है हमारा जैविक गुड़

सुनील कुमार आगे बताते हैं, “जो हमारे एनआरआई विदेशों में रहते हैं, तो जब वह अपने प्रदेश आते हैं तो यहां से जैविक गुड़ ले जाते हैं। स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, मुंब , हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, सब जगह जाता है। वहां जब अपने यार दोस्तों व परिवार वालो को खिलाते हैं तो अच्छा लगता हैं बस हमे क्या चाहिए लोगों को प्यार मिल रहा है।”

20 बीघा में एक लाख की लागत और कमाते है 10 लाख रुपए सालाना

सुनील कुमार बताते हैं, “मेरे पास 20 बीघा जमीन है जिसमें मैंने हरी सब्जी से लेकर गन्ना की बुवाई की है पूरी तरह जैविक है। मैं अपनी फसल में जीवामृत, धन जीवा अमृत, यज्ञ सुगंध, भस्म, देशी गाय का गोमूत्र कृषि अपशिष्ट इस्तेमाल करता हूं खेती में कोई लागत ज्यादा नहीं लगती सबसे ज्यादा मैन पावर का खर्चा बताया हैं बाकी खेत मे ज्यादा लगता नहीं लगती नौ से 10 लाख रुपए सालाना मुनाफ़ा मिल जाता हैं।”

पुरानी प्रथा यज्ञ पद्धति से खेती कर रहा किसान

प्राचीन काल में हमारे ऋषिमुनि यज्ञ अपना कर ही खेती करते थे लेकिन अब इक्क -दुक्का लोग ही इस पद्धति को अपनाते हैं और खेती करते है। तमाम तरह के रासायनिक खाद सामग्री किसान खेतों में डालते हैं, जिसके कारण लोगों की सेहत पर दाग लग रहे हैं। लेकिन सुनील कुमार अग्निहोत्र के माध्यम से जैविक खेती कर किसानों में अलख जगा रहे हैं और हजारों की संख्या में किसान सुनील की फसलों दूर दराज से देखने आते हैं।

हर हफ्ते लगाते हैं कृषि पाठशाला

सुनील कुमार बताते हैं, “हम सप्ताह में एक बार किसानों की पाठशाला लगाते हैं, जिसमें दर्जनों किसान शामिल होते हैं और फिर मैं उन्हें किस तरह अग्निहोत्र जैविक खेती करनी चाहिए, क्या करना चाहिए सब बताता हूं और जिस पद्धति मैं खेती करता हूं। किसानों को उसी प्रकार मैं प्रेरित करता हूं, उन्हें समझाने का प्रयास भी करता हूं। कितना खतरनाक किसान अपनी खेती में रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल कर रहा है जो हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

पहले देश की सेवा की अब लोगों की सेहत का खयाल रखते हैं

सुनील कुमार आर्मी से सेवानिवृत्त हैं और वो बताते हैं, “एक फौजी किस तरह अपनी सेहत का ख्याल रखता है, खानपान को मेंटेन रखता है, तो जब मैं सेवानिवृत्त हुआ, तभी मैंने सोचा था की मैं जैविक खेती करूंगा और लोगों तक अच्छे उत्पाद के लिए प्रेरित करूंगा मैं जैविक गन्ने से जैविक गुड़, शक्कर, घी, जैम, खांड, मेथी, हरी सब्जी तैयार कर रहा हूं।” 

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