मौसम केंद्र लखनऊ प्रमुख डॉ. मनीष रनाळकर ने गाँव कनेक्शन को आने वाले मौसम के पूर्वानुमानों के हवाले से बहुत ही जानकारी दी; जिनमें से कुछ किसानों के लिए ख़ुशी का कारण बन सकती हैं वही कुछ चिंता का। भारत के लिए इस बार का मानसून बेहतर हो सकता है, लेकिन अगर गर्मी और हीट वेव की बात करें तो इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ने वाली है।
गाँव कनेक्शन: लोगों के बीच एक डर है, इस बार भीषण गर्मी पड़ने वाली है इस पर आपका क्या कहना है?
डॉ. मनीष रनाळकर: जैसा की हमारे डिपार्टमेंट ने हाल ही में अप्रैल महीने में एक लॉन्ग टर्म पूर्वानुमान ज़ारी किया था, उसके मुताबिक अप्रैल, मई और जून में हमारे यहाँ समर सीजन है और हमारे देश में गर्मी के मौसम में हीट वेव कंडीशन होती है; इस साल जो गर्मी के महीने हैं जैसे अप्रैल, मई और जून में हीट वेव की कंडीशन ज़्यादा होगी।
अब अप्रैल महीने में तो हीट वेव की कोई भी कंडीशन नहीं हुई, लेकिन मई और जून महीने के लिए डिपार्टमेंट ने रिवाइज्ड फोरकास्ट ज़ारी किया है, तो जो हमारा पूर्वानुमान है मई का और जून का भी उससे ये लग रहा है की मई और जून में हीट वेव की कंडीशन सामान्य से ज़्यादा रहेगी; सामान्य से ज़्यादा से मतलब, अगर हम पिछले 30 साल का डाटा देखेंगे तो उसके मुक़ाबले ज़्यादा रहने वाली है।
गाँव कनेक्शन: हीट वेव कंडीशन क्या होती है?
डॉ. मनीष रनाळकर: गर्मियों के महीने में कुछ दिन ऐसे आते हैं जिसमे जो उच्चतम तापमान होता है वो सामान्य से ज़्यादा होता है; मतलब ये है कि अगर एवरेज टेम्प्रेचर से तापमान 4 से 5 डिग्री ज़्यादा होता है तो ऐसी कंडीशन को हीट वेव कंडीशन कहते हैं, तो ऐसे दिनों की संख्या ज़्यादा होने का पूर्वानुमान है; अभी हाल के आकड़ों से ऐसा दिख रहा है, हर साल तापमान बढ़ता ही जा रहा है, जैसे पिछले साल की तुलना में ये साल ज़्यादा गर्म होने का पूर्वानुमान हैं।
गाँव कनेक्शन: क्या आने वाला हर साल पिछले साल से गर्म होने वाला है?
डॉ. मनीष रनाळकर: इससे पहले आप देखेंगे तो आने वाला हर साल पिछले साल की अपेक्षा गर्म ही रहता है, इसका मुख्य कारण है क्लाइमेट चेंज; क्लाइमेट चेंज भी आजकल रियलिटी है और इसके कई कारण हैं जैसे कि कुछ मैन मेड रीज़न भी हैं, जैसे पेड़ काटे जा रहे हैं, शहरीकरण भी एक कारण है, ज़्यादा जनसँख्या, ज़्यादा कंस्ट्रक्शन इसकी वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है और जब प्रदूषण बढ़ता है तो ग्रीन हाउस गैसे निकलती है तो वो हीट को ट्रैप करता है; जिसकी वजह से शहरों में ज़्यादा गर्मी महसूस होती है।
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weather todayये सब कारण हैं जिसकी वजह से हर साल गर्म दिन बढ़ रहे हैं; हमारा विभाग पिछले 150 साल का डाटा रखता है और हर साल जो भी डाटा मिलता है वो हम उसमें जोड़ते जाते हैं, जो हमारा औसत होता हैं, वो हम पिछले 30 साल के लिए हम निकालते हैं; हाल की जो जलवायु विज्ञान शास्त्र हैं वो 1991-2020 के आधार पर हैं, हर साल गर्मीं बढ़ी तो हर साल वो क्लाइमेटोलॉजी में ऐड हो जाती है; इसकी वजह से हर साल क्लाइमेटोलॉजी एवरेज भी बदलते रहेंगे।
गाँव कनेक्शन: इस बार का मानसून भारत के लिए कैसा होगा?
डॉ. मनीष रनाळकर: अभी फिलहाल हमारे डिपार्टमेंट ने अप्रैल महीने में लॉन्ग रेंज पूर्वानुमान ज़ारी किया था, जब हम इस फोरकास्ट को देखते हैं तो एक अच्छी ख़बर है कि मानसून इस बार अच्छा होने का पूर्वानुमान दिया हुआ है; कारण ये है कि इस साल एल- नीनो कंडीशन चल रही है, धीरे-धीरे हम देख रहे हैं कि एल – नीनो कंडीशन अब बेअसर हो रही है और ला-नीना की तरफ़ हम जा रहे हैं।
ला-नीना का सीधा असर भारतीय मानसून पर होता है और ला नीना कंडीशन इंडियन मानसून के लिए अच्छी होती है; अगर ला नीना फेज है; इसका मतलब मानसून अच्छा होने की उम्मीद है, एल नीनो और ला नीना एक ग्लोबल फेनोमिना है; ऐसा देखा गया है कि ये साइक्लिक फेनोमिना है जैसे कुछ साल एल नीनो होता है और कुछ साल ला नीना होता है; इसका साइकिल तीन से सात साल तक की होती है।